राजस्थान एम- सैंड  नीति 2024

30 नवम्बर 2024 को मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित मंत्रिमण्डल की बैठक में प्रदेश के औद्योगिक और आर्थिक विकास को गति देने के लिए 9 नई नीतियों के अनुमोदन किया गया।राजस्थान एम सैंड नीति 2024 उन्हीं में से एक है।

राज्य सरकार का लक्ष्य - प्रदेश में एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना और बजरी के सस्ते विकल्प के रुप में एम-सेण्ड के उपयोग को बढ़ावा देना।

अवधि - एम-सैंड नीति इसके प्रकाशन की तारीख से प्रभावी होगी और 31 मार्च 2029 तक या नई नीति की घोषणा होने तक लागू रहेगी।

उद्देश्य - 

1. नदी की रेत के उपयोग को विवेकपूर्ण तरीके से प्रबंधित करके और इस पर निर्भरता कम करके नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को होने वाले नुकसान को कम करना।
2. नदी की रेत के लिए एक सरल और किफायती विकल्प प्रदान करना।
3. मौजूदा एम-रेत उत्पादन को हर साल 20% बढ़ाना, 2028-29 तक 30 मिलियन टन प्रति वर्ष का लक्ष्य रखना।
4. टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल खनन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए खनन क्षेत्रों में मौजूदा ओवरबर्डन का उपयोग करना।
5. राज्य में भवन/कंक्रीट संरचनाओं के निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट में मोटे और महीन समुच्चय के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
6. एम-रेत उद्योग को बढ़ावा देना और साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर विकसित करना।

इस नीति में निम्नलिखित लाभ दिए जाएँगे -

प्रोत्साहन प्राप्त करने के उद्देश्य से एम-सैंड इकाई को ऐसी इकाई के रूप में परिभाषित किया गया है जो अपने कुल उत्पादन का कम से कम 50% एम-सैंड के रूप में उत्पादित करती है। 

1. एम-सैंड इकाइयों की उद्योग के रूप में स्थिति प्रभावी बनी रहेगी। 

2. एम-सैंड के निर्माण में ओवरबर्डन डंप के उपयोग के लिए जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट फंड में योगदान को छूट दी गई है।

3. एम-सैंड इकाई की स्थापना के लिए न्यूनतम नेटवर्थ और टर्नओवर की आवश्यकता को माफ कर दिया गया है। 

4. एम-सैंड के निर्माण के लिए सरकारी भूमि पर पड़े ओवरबर्डन डंप के उपयोग पर रॉयल्टी में 50% की छूट दी गई है। 

5. एम-सैंड इकाइयों की स्थापना के लिए सरकारी भूमि पर पड़े ओवरबर्डन डंप के भूखंडों को चिन्हित कर नीलामी के माध्यम से आवंटित किया जाएगा। आरक्षित मूल्य को लागू डेड रेंट के 50% से कम किया जाएगा। 

6. एम-सैंड इकाइयों की सुचारू स्थापना के लिए कीनेस मनी को मौजूदा लागू मूल्य से 50% कम किया जाएगा। 

7. राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना, 2024 के खंड 4.1.2 के तहत और समय-समय पर संशोधित निम्नलिखित प्रोत्साहन नई एम-सैंड इकाइयों पर लागू होंगे: 

क. निवेश सब्सिडी: 10 वर्षों के लिए देय और जमा किए गए राज्य कर का 75%। 

ख. रोजगार सृजन सब्सिडी: 7 वर्षों के लिए ईपीएफ और ईएसआई के लिए नियोक्ता के अंशदान के 50% की प्रतिपूर्ति (केवल मूल कर्मचारियों के लिए)। 

ग. फंड जुटाने का प्रोत्साहन: एसएमई प्लेटफॉर्म के माध्यम से फंड (पूंजी) जुटाने पर एकमुश्त वित्तीय सहायता, फंड (पूंजी) जुटाने की प्रक्रिया में किए गए निवेश के 50% की सीमा तक, 5 लाख रुपये तक। 

घ. स्टांप ड्यूटी छूट: 75% स्टांप ड्यूटी के भुगतान से छूट और 25% स्टांप ड्यूटी की प्रतिपूर्ति। 

ई. विद्युत शुल्क में छूट: 7 वर्ष तक विद्युत शुल्क में 100% छूट। 

एफ. रूपांतरण शुल्क: 75% रूपांतरण शुल्क के भुगतान से छूट तथा 25% रूपांतरण शुल्क की प्रतिपूर्ति। 

8. राज्य सरकार, अर्ध-सरकारी, स्थानीय निकाय, पंचायती राज संस्थाओं तथा राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित अन्य संगठनों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न निर्माण कार्यों में प्रयुक्त रेत की मात्रा का न्यूनतम 25% एम-सैंड होना चाहिए। इसे 2028-29 तक चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर 50% किया जाएगा।

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