राजस्थान करंट अफेयर्स - 30 July 2020 (हिंदी)

राजस्थान कौंसिल ऑफ एलिमेंट्री एजुकेशन एवं राजस्थान कौंसिल ऑफ सैकण्डरी एजुकेशन को एकीकृत करते हुए अब इनके स्थान पर किसका गठन किया गया है-

राजस्थान समग्र शिक्षा परिषद
राजस्थान प्राइमरी शिक्षा परिषद
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद
इनमें से कोई नहीं

प्रदेश में प्री-प्राइमरी से कक्षा 12वीं तक के समेकित विकास के लिए अब ‘राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद्‘ कार्य करेगी।
राजस्थान कौंसिल ऑफ एलिमेंट्री एजुकेशन एवं राजस्थान कौंसिल ऑफ सैकण्डरी एजुकेशन को एकीकृत करते हुए अब इनके स्थान पर ‘राजस्थान कौंसिल ऑफ स्कूल एजुकेशन‘ का गठन किया गया है।
भारत सरकार द्वारा जारी की गयी एकीकृत स्कूल शिक्षा योजना के क्रम में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद् एवं राजस्थान प्रारम्भिक शिक्षा परिषद् को राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् में एकीकृत करने के प्रस्ताव को विधिवत अनुमोदित किया गया है।
इसी के अंतर्गत अब परिषद् के वर्तमान विधान में संशोधन कर उसके स्थान पर भारत सरकार के निर्देशानुसार प्रस्तावित राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् का विधान अंगीकार किया गया है।
दोनों परिषदों के उद्देश्यों एवं गतिविधियों को राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् में समाहित किया गया है।

राजस्थान में किस विभाग द्वारा पोषण वाटिका अभियान का संचालन किया जा रहा है-

शिक्षा विभाग
महिला एवं बाल विकास विभाग
पंचायती राज विभाग
उपरोक्त सभी

राज्य में पोषण वाटिका अभियान के तहत समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय में आंवला, अमरुद, चीकू, बील आदि फलदार पौधों का आरोपण कर पोषण वाटिका अभियान का महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश द्वारा शुभारम्भ किया।
30 जुलाई से 15 अगस्त तक के पखवाड़े में विभाग के लगभग 62 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में से विकास के लिए चयनित सभी केंद्रों में पौधारोपण कार्यक्रम के तहत न्यूट्री गार्डन विकसित किए जाएंगे।
विभाग में पहली बार इतने व्यापक स्तर पर फलों के पौधे लगाए जा रहे हैं। इनके साथ ही चयनित केंद्रों पर क्यारियाँ बना कर मौसमी सब्जियों को भी लगाया जाएगा।
इनका उद्देश्य पोषण के लिए आंगनबाड़ी केंद्र में वाटिका बनाने के साथ साथ जनसामान्य को पोषण के प्रति जागरूक करना भी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी नरेगा एन आर एल एम आदि योजनाओं के माध्यम से ऎसे न्यूट्री गार्डन का विकास किया जाएगा जिसमें पोषण अभियान की राशि का पौधों की खरीद फेंसिंग ट्री गार्ड मेटेरियल ग्रीन नेट आदि पर खर्च किया जायेंगे।

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2018 के चौथे बाघ सर्वेक्षण में राजस्थान में बाघों की संख्या कितनी है-

45
69
84
95

29 जुलाई को प्रतिवर्ष विश्व टाइगर दिवस मनाया जाता है जिसे 2010 में एक संकल्प द्वारा पारित किया गया था।
विश्व भर के लगभग 70% भाग अकेले भारत में निवास करते हैं।
बाघ सर्वेक्षण के चौथे चक्र के अनुमानों के अनुसार भारत में वर्ष 2018 में कुल 2967 बाघ हो चुके हैं।
इस गणना के अनुसार राजस्थान में बाघों की संख्या 2014 के 45 की तुलना में 2018 में 69 हो गई है।
हालांकि वर्तमान में कुल मिलाकर 95 बाघ राजस्थान में उपलब्ध है।
इनमें से सर्वाधिक रणथंबोर में 70 सरिस्का में 20 तथा मुकुंदरा में 5 बाघ सम्मिलित है।
पिछले 15 सालों में बाघों की संख्या 25 से बढ़कर 95 हो चुकी है जो कि एक अच्छा संकेत है।

हाल ही में किस राज्य में जुलाई 2020 में उड़ान आरसीएस के तहत पवन हंस की पहली सेवा की शुरुआत की गई है-

केरल
उत्तराखंड
हिमाचल प्रदेश
सिक्किम

उत्तराखंड में पवन हंस की पहली उड़ान-आरसीएस सेवा का शुभारम्भ किया गया।
हेली सेवा की शुरुआत और इन नए रूटों के खुलने से राज्य के लोग ज्यादा नजदीक आएंगे और क्षेत्र में पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा।
इस सेवा से देहरादून, नई टिहरी, श्रीनगर और गोचर के बीच संपर्क सुनिश्चित होगा।
नई हेली सेवा की शुरुआत से उत्तराखंड में पहाड़ी क्षेत्रों के बीच हवाई संपर्क बढ़ेगा और औसत यात्रा समय घटकर 20-25 मिनट रह जाएगा। इससे चार धाम यात्रियों के लिए भी यात्रा आसान हो जाएगी। पवन हंस लिमिटेड इस रूट पर सप्ताह में तीन दिन हेलीकॉप्टर सेवा का परिचालन करेगी। आम लोगों के लिए किरायों को किफायती बनाए रखने के लिए उड़ान योजना के अंतर्गत परिचालक और यात्री दोनों ही वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) उपलब्ध कराई गई है।
उड़ान के तीन चरण पहले ही पूरे कर लिए गए हैं और अभी तक 19 राज्यों तथा 2 संघ शासित क्षेत्रों में उड़ान सेवाओं में लगभग 50 लाख यात्री यात्रा कर चुके हैं।
अप्रैल, 2017 में शिमला से दिल्ली के लिए पहली उड़ान (यूडीएएन) सेवा को हरी झंडी दिखाने के बाद अभी तक 45 हवाई अड्डों और 3 हेलीपोर्ट्स को जोड़ने वाले 274 उड़ान रूट्स परिचालन में आ चुके हैं।

हाल ही में एक गंभीर बीमारी की जांच के लिए रक्त जांच शोध के सही परिणाम प्राप्त हुए हैं-

टीबी
कैंसर
अल्जाइमर
इनमें से कोई नहीं

अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों और स्वस्थ लोगों के बीच अंतर को पहचानने के लिए प्रायोगिक रक्त जांच के विभिन्न शोध किए गए, जिसमें एकदम सही परिणाम मिले हैं। इससे डिमेंशिया के सबसे सामान्य रूप की पहचान का एक सरल तरीका जल्द ही सामने आने की उम्मीद जगी है।
जांच में अल्जाइमर से पीड़ित लोगों और वे लोग जो डिमेंशिया या इसके किसी भी अन्य प्रकार से पीड़ित नहीं हैं उनके बीच अंतर की पहचान की गई और यह परिणाम 89-98 फीसदी तक सही रहा।
अमेरिका में 50 लाख से अधिक लोग अल्जाइमर से पीड़ित हैं। इस रोग के लिए जो दवाएं दी जाती हैं वे लक्षणों को अस्थायी तौर पर कम करती हैं लेकिन मस्तिष्क क्षय को कम नहीं करती।
वर्तमान में इस रोग की पहचान स्मरण शक्ति और सोचने-समझने की क्षमता के आधार पर होती है लेकिन इसके सटीक परिणाम नहीं मिलते। अधिक भरोसेमंद जांच स्पाइनल फ्ल्यूड टेस्ट और मस्तिष्क का स्कैन करके होती है लेकिन इनमें चीर-फाड़ की जरूरत होती है तथा ये महंगे भी होते है। ऐसे में खून की साधारण जांच से इस रोग का पता लगाना एक बड़ा कदम होगा।