राजस्थान करंट अफेयर्स - 03-04 Aug 2020 (हिंदी)

राजस्थान में 20 अगस्त से शुरू होने वाली इंदिरा रसोई योजना के लिए प्रतिवर्ष कितना ख़र्च किया जाएगा-

100 करोड़
200 करोड़
300 करोड़
500 करोड़

’कोई भूखा ना सोए’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए 20 अगस्त से प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में इंदिरा रसोई योजना की शुरूआत की जाएगी।
जिसमें गरीबों एवं जरूरतमंद लोगों को मात्र 8 रूपए में शुद्ध पौष्टिक भोजन मिलेगा।
राज्य सरकार इस योजना पर प्रतिवर्ष 100 करोड़ रूपए खर्च करेगी।
इसमें दोनों समय का भोजन रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाएगा। राज्य सरकार प्रति थाली 12 रूपए अनुदान देगी। प्रदेश के सभी 213 नगरीय निकायों में 358 रसोइयों का संचालन किया जाएगा, जहां जरूरतमंद लोगों को सम्मान के साथ बैठाकर भोजन खिलाया जाएगा।
प्रतिवर्ष 4 करोड़ 87 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। आवश्यकता के अनुरूप इसे और बढ़ाया जा सकता है। रेल्वे स्टेशन, बस स्टैंड, अस्पताल, चौखटी आदि ऎसे स्थानों पर रसोइयां खोली जाएंगी जहां लोगों की अधिक उपस्थिति रहती है। भोजन में प्रति थाली 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती एवं अचार का मेन्यू निर्धारित किया गया है।

निम्नलिखित में से किसी एक क्षेत्र में बाग़वानी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशासन द्वारा खुबानी की खेती पर प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा -

हिमाचल प्रदेश
लद्धाख
जम्मू कश्मीर
उत्तराखंड

लद्दाख प्रशासन ने बागवानी गतिविधियों को प्रोत्साहन देते हुए खुबानी के किसानों की आय बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों की समिति की सिफारिशों पर काम करना शुरू कर दिया है।
इस वित्त वर्ष में खुबानी को प्रोत्साहन देने के लिए दो प्रदर्शनी लगाई जाएंगी। खुबानी की कई किस्म और प्रजातियां हैं।
लद्दाख में खुबानी की विश्व स्तरीय प्रजाति रक्तसे कार्पो की खेती होती है, जिसे दुनिया में सबसे मीठी किस्म माना जाता है। लद्दाख के अलावा खुबानी की खेती हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में होती है।
विशेषज्ञ समिति के सदस्य और लेह के मुख्य बागवानी अधिकारी त्सेवांग ने बताया कि समिति लद्दाख में खुबानी की खेती कर रहे किसानों को समृद्ध बनाने पर काम कर रही है।
खुबानी Vitamine C से भरपूर होता है. यह आंखों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है.
उम्र बढ़ने के साथ ही आंखों की होने वाली बीमारी, आंखों का सूखापन और आंखों में पानी आने की समस्या को इसे खाकर खत्म किया जा सकता है।

हाल ही में नासा के दो अंतरिक्षयात्रियो ने किस कैप्सूल का प्रयोग करके स्प्लैशडाउन किया है -

होरिजन
डीपस्पेस
एंडेवर
लाइट्निंग

निजी कंपनी स्पेस एक्स के कैप्सूल में सवार होकर नासा के दो अंतरिक्ष यात्री रविवार को समुद्र में उतरे।
परीक्षण पायलट डोग हर्ले और बॉब ब्हेनकेन स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्षयान 'एंडेवर' में धरती पर लौटे.
अंतरिक्ष में करीब दो महीने की परीक्षण उड़ान के बाद ये अंतरिक्ष यात्री मेक्सिको की खाड़ी में उतरे। गत 45 साल में पहली बार ऐसा हुआ, जब नासा का कोई अंतरिक्ष यात्री समुद्र में उतरा।
ड्रैगन नाम के कैप्सूल को चालक दल ने एंडेवर नाम दिया है जो पृथ्वी की कक्षा से 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की ओर आया और उसने 560 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वायुमंडल में प्रवेश किया और अंतत।
24 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मेक्सिको की खाड़ी में उतरा।
इससे पहले नासा के अंतरिक्ष यात्री 24 जुलाई 1975 को अंतरिक्ष से पानी में लौटे थे।

देश का पहला ऐसा प्लांट, जहां गोबर गैस को सीएनजी में कन्वर्ट किया जा रहा है, किस राज्य में बनाया गया है -

गुजरात
राजस्थान
महाराष्ट्र
तमिलनाडु

गुजरात की बनास डेयरी में देश का पहला ऐसा प्लांट बनाया है जहां गोबर गैस को सीएनजी में कन्वर्ट किया जा रहा है।
यह सीएनजी स्टेशन बनासकांठा में धामा गांव के पास बन रहा है।
स्टेशन एक रुपए प्रति किलो के हिसाब से गोबर खरीद कर 2000 घन मीटर कच्ची बायोगैस पैदा कर रहा है जिसमें से 800 किलो सीएनजी उपलब्ध होती है।
इसमें दूध की तर्ज पर ही किसानों को सीधे 15 दिनों में भुगतान किया जा रहा है।
बायोगैस (मीथेन या गोबर गैस) मवेशियों के उत्सर्जन पदार्थों को कम ताप पर डाइजेस्टर में चलाकर माइक्रोब उत्पन्न करके प्राप्त की जाती है। जैव गैस में 75 प्रतिशत मेथेन गैस होती है जो बिना धुँआ उत्पन्न किए जलती है। लकड़ी, चारकोल तथा कोयले के विपरीत यह जलने के पश्चात राख जैसे कोई उपशिष्ट भी नहीं छोड़ती है।
संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ज्वलनशील गैस को अत्यधिक दबाब के अन्दर रखने से बने तरल को कहते हैं। इस गैस को वाहनों में प्रयोग करने के लिए 200 से 250 किलोग्राम प्रति वर्ग से.मी. तक दबाया जाता है।

डिफेंस प्रोडक्शन एंड एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी के मसौदे में डिफेंस प्रोडक्शन से 2025 तक कितने कारोबार का लक्ष्य रखा गया है -

1.50 लाख करोड़
1.75 लाख करोड़
2.00 लाख करोड़
2.25 लाख करोड़

केंद्र सरकार ने देश में डिफेंस प्रोडक्शन से 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा है।
डिफेंस प्रोडक्शन को लेकर सोमवार को रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस प्रोडक्शन एंड एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी का मसौदा जारी किया।
अगले पांच साल में डिफेंस और एरोस्पेस क्षेत्र में 35,000 करोड़ रुपये के इक्यूपमेंट और अन्य सेवाओं के निर्यात की प्लानिंग है।
इसमें लड़ाकू विमानों के रिकंस्ट्रक्शन से लेकर नए लड़ाकू विमान, रक्षा उपकरण, हथियार तैयार करना भी शामिल है।
केंद्र सरकार ने देश में बने सैन्य उत्पादों की खरीददारी के लिए इस बार अलग से बजट पास किया है। इसके अलावा डिफेंस प्रोडक्शन के क्षेत्र में एफडीआई (विदेशी निवेश) की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% कर दी है।