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Wednesday, April 14, 2021

6th(Sixth) Rajasthan state finance commission/ छठा राजस्थान राज्य वित्त आयोग

 


गहलोत सरकार बनने के 2 साल 5 महीने बाद राजस्थान में छठे राज्य वित्त आयोग का गठन कर दिया गया है।
राज्यपाल कलराज मिश्र की मंजूरी के बाद वित्त विभाग ने वित्त आयोग अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है।
पूर्व वित्त मंत्री प्रद्युम्न सिंह को राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
सांगानेर से भाजपा विधायक अशोक लाहोटी और भीम से पूर्व कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह रावत को सदस्य नियुक्त किया गया है।
वित्त आयोग के अध्यक्ष बने प्रद्युम्न सिंह पिछली भाजपा सरकार के समय आयोग में सदस्य थे। राज्य वित्त आयोग में एक सदस्य विपक्षी दलों से बनाने की परंपरा रही है। राज्य वित्त आयोग संवैधानिक संस्था है। लेकिन नियुक्तियां सियासी आधार पर ही होती हैं।
राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष और एक सदस्य विधायक के पिता हैं जबकि लाहोटी खुद विधायक हैं।

राज्य वित्त आयोग-

देश में स्थानीय स्वशासन को कानूनी मंजूरी मिलने के बाद 1993 में राज्यों में वित्त आयोग का प्रावधान किया गया।
इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 243 (आई) तथा 243 (वाई) में राज्य वित्त आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है।
राज्य वित्त आयोग 5 वर्ष के लिए गठित किया जाता है।
राजस्थान में अब तक कुल 5 वित्त आयोग का गठन किया जा चुका है।
राज्य के पहले वित्त आयोग का गठन वर्ष 1995 में किया गया था जिसके अध्यक्ष कृष्ण कुमार गोयल थे।

पाँचवा राज्य वित्त आयोग-

पांचवें वित्त आयोग का गठन डॉक्टर ज्योति किरण की अध्यक्षता में 30 मई 2015 को किया गया।
श्री प्रद्युम्न सिंह तथा श्री एससी देराश्री को इस आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया।

आयोग वर्ष 2015 से 2020 तक राज्य व स्थानीय सरकारों के बीच वित्त के बंटवारे संबंधी अनुशंसा करने के लिए निर्धारित किया गया है।
आयोग द्वारा प्रस्तुत अंतरिम प्रतिवेदन (वर्ष 2016-17 के लिए) के अंतर्गत की गई सिफारिशानुसार राज्य के स्वयं के शुद्ध कर राजस्व के 7.182 प्रतिशत हिस्से का वितरण वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के आधार पर पंचायती राज संस्थाआें एवं नगरीय स्थानीय निकायों के मध्य 75.1 एवं 24.9 प्रतिशत के अनुपात में किये जाने एवं राशि का वितरण जिलेवार निर्धारित भारांकन के आधार पर जिले की जिला परिषद को 5 प्रतिशत, पंचायत समितियों को 20 प्रतिशत एवं ग्राम पंचायतों को 75 प्रतिशत हिस्सा राशि दिये जाने की संस्तुति की गई है।

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