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Sunday, January 6, 2019

अधिगम की अवधारणा भाग ग्यारह / concept of learning part 11/determinants of learning process


अधिगम की अवधारणा भाग ग्यारह / concept of learning part 11/determinants of learning process


अधिगम अंतरण-

इसे प्रशिक्षण अंतरण या अंतरण प्रभाव भी कहा जाता है।
इसमें किसी भी नवीन अधिगम पर पहले से प्राप्त अधिगम के प्रभाव का आंकलन किया जाता है।
यह अधिगम अंतरण धनात्मक या ऋनात्मक प्रकार का हो सकता है।
यदि पूर्व अधिगम नए अधिगम में सहायता करता है तो इसे धनात्मक जबकि यदि इससे नए अधिगम की गति कम हो या बाधा हो तो इसे ऋनात्मक अधिगम अंतरण कहते है।

अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक -

अधिगम की प्रक्रिया अनेक कारकों से प्रभावित होती है जिनमे से कुछ प्रमुख निम्न है -

सीखी जाने वाली सामग्री -
अर्थपूर्ण एवं परिचित सामग्री का अधिगम शीघ्र होता है।
इसी तरह एक कहानी का अधिगम भूगोल के एक पाठ की अपेक्षा जल्दी होता है क्योंकि इसकी घटनाओं के बीच सम्बंध होते है। सामग्री की स्पष्टता, आकर्षकता आदि भी अधिगम को प्रभावित करते है।

वातावरण-
अधिगम वातावरण से भी प्रभावित होता है। शांत व स्वच्छ वातावरण उचित मात्रा में रोशनी तापमान आदि चीजें अधिगम को सुगम बनाती है।

अभिप्रेरणा-
अभिप्रेरणा व्यक्ति को लाभ प्राप्त करने के लिए प्रबलता से काम करने के लिए ऊर्जा प्रदान करती है। यह अभिप्रेरणा आंतरिक अथवा भाइयों प्रकार की होती है जो कि लक्ष्य की प्राप्ति तक व्यक्ति में बनी रहती है।

सतत बनाम आंशिक प्रबलन-
सतत प्रबलन में प्रतिभागी को प्रत्येक लक्षित अनुक्रिया के बाद प्रबलन दिया जाता है जबकि आंशिक प्रॉब्लम में उसे रुक रुक कर प्रबलन दिया जाता है। सतत प्रॉब्लम से अधिगम तथा विलोप दोनों ही शीघ्रता से होते हैं जबकि आंशिक प्रबलन में सिखाई गई अनुक्रिया का विलोप कठिनाई से होता है।

संवेदी क्षमता-
अलग-अलग प्रजातियों की संवेदी क्षमता तथा अनुक्रिया करने की योग्यता भिन्न होती है।अधिक संवेदी क्षमता वाले जीवो में अधिगम तत्परता से जबकि कम क्षमता वालों में धीमे होता है।

आयु तथा परिपक्वता-
अधिगम की जटिलता को देखते हुए किसी विशेष कार्य को सीखने के लिए एक न्यूनतम आयु तथा परिपक्वता का होना आवश्यक है।

पूर्व अधिगम-
पूर्व में सीखे गए अधिगम का भी नए अधिगम पर प्रभाव पड़ता है जिसे अधिगम अंतरण करते हैं। 

संवेगात्मक स्थिति-
यदि व्यक्ति की मन स्थिति खुशी प्रसन्नता तथा संतुष्टि से परिपूर्ण है तो उसके लिए अधिगम सरल होता है वही यदि व्यक्ति नकारात्मक संवेग यथा क्रोध, घृणा, हिंसा आदि से भरा है तो यह सब अधिगम में बाधा पैदा करते हैं।

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