Integrated guided missile development program/मिसाइल विकास कार्यक्रम
देश में ही स्वदेशी तकनीक के साथ लंबी दूरी की मिसाइलों के विकास के लिए भारत द्वारा इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई। भारत में बैलेस्टिक मिसाइलों के क्षेत्र में अनुसंधान की शुरूआत 1960 के दशक में हुई थी।
देश में ही स्वदेशी तकनीक के साथ लंबी दूरी की मिसाइलों के विकास के लिए भारत द्वारा इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई। भारत में बैलेस्टिक मिसाइलों के क्षेत्र में अनुसंधान की शुरूआत 1960 के दशक में हुई थी।
1986 में उपरोक्त कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
इस कार्यक्रम का नाम समन्वित निर्देशित प्रक्षेपात्र विकास कार्यक्रम है (आईजीएमडीपी)
कार्यक्रम का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम द्वारा किया गया तथा इसके अंतर्गत कुल 5 मिसाइलों का विकास किया गया जो अलग-अलग मारक क्षमता तथा विशेषताएं धारण करती हैं।
भारत में 2008 तक सभी मिसाइलों का विकास कर लिया था तथा उसके पश्चात लगातार मिसाइलों के उन्नति करण पर कार्य चल रहा है।
कार्यक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित पांच मिसाइलों का विकास किया गया-
पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, आकाश तथा नाग
पृथ्वी मिसाइल-
भारत ने अपने मिसाइल विकास कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण में इन मिसाइलों का विकास करना शुरू किया जो कम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल थी।
मिसाइल के तीन संस्करणों का विकास किया जा चुका है तथा इसकी अधिकतम मारक क्षमता 350 किलोमीटर है।
इसे थल सेना तथा वायु सेना द्वारा शामिल कर लिया गया है।
नौसेना के लिए विकसित पृथ्वी के संस्करण का नाम धनुष मिसाइल है।
यह मिसाइल 1000 किलोग्राम वारहेड को ले जाने में सक्षम है तथा सतह से सतह पर मार करती है।
अग्नि मिसाइल-
यह मिसाइल भारत द्वारा विकसित की गई सबसे महत्वपूर्ण मिसाइलों में से एक है। इसके विकास की शुरुआत 1979 से की गई थी।
यह एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल है जो सतह से सतह पर मार करती है।
अलग-अलग लक्ष्यों के लिए एक ही मिसाइल हथियार ले जाने में सक्षम है।
इसके 5 उन्नत संस्करण का सफल विकास किया जा चुका है।
अग्नि 1 से लेकर अग्नि 5 तक के इसके संस्करण 700 किलोमीटर से 5000 किलोमीटर तक मार क्षमता रखते हैं।
यह मिसाइल 5000 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकती है।
अमेरिका इजरायल फ्रांस रूस तथा चीन के बाद भारत छठा ऐसा देश है जिसने आईसीबीएम मिसाइल विकसित करने में सफलता प्राप्त की है।
त्रिशूल मिसाइल प्रणाली-
त्रिशूल मिसाइल देश की पहली ऐसी मिसाइल है जो स्वदेशी तकनीक से बनाई गई है और सतह से हवा में मार करने में सक्षम है।
इसकी अधिकतम मारक क्षमता 12 किलोमीटर तक है तथा यह निम्न ऊंचाई पर उड़ रहे वाहनों तथा मिसाइलों के विरुद्ध प्रयोग की जा सकती है।
इस मिसाइल में ठोस प्रणोदको का इस्तेमाल किया जाता है।
आकाश मिसाइल-
एक सुपर सोनिक मिसाइल है जो की सतह से हवा में मार करती है।
स्वदेशी तकनीक से विकसित इस मिसाइल की मारक क्षमता 25 किलोमीटर है तथा यह 55 किलो तक वारहेड ले जाने में सक्षम है।
इस मिसाइल का विकास 1990 में शुरू किया गया था।
यह मिसाइल रैमजेट तकनीक पर आधारित है तथा इसमें दो चरणों के ठोस प्रणोदक का इस्तेमाल किया जाता है।
यह देश में ही विकसित राजेंद्र रडार द्वारा निर्देशित होती है।
नाग मिसाइल-
यह एक टैंक भेदी मिसाइल है जिसे फायर एंड फॉरगेट सिद्धांत पर विकसित किया गया है।
इस मिसाइल को जमीन तथा हवा से फायर किया जा सकता है।
अत्याधुनिक तकनीक से लैस होने की वजह से यह मिसाइल दिन तथा रात दोनों समय उपयोग की जा सकती है।
इससे हेलीकॉप्टर से भी लॉन्च किया जा सकता है जिसे हेलिना के नाम से जाना जाता है।
इसे एचएल ध्रुव तथा रुद्रा पर स्थापित किया गया है।
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न-
भारत के किन्हीं दो सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का नाम बताइए।
दागो तथा भूल जाओ तकनीक क्या है?
रैमजेट तकनीक क्या है
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