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Tuesday, December 18, 2018

Demographic scenario of Rajasthan and impact on Economy/राजस्थान का जनांकिकी परिदृश्य

Demographic scenario of Rajasthan and impact on Economy/राजस्थान का जनांकिकी परिदृश्य

भोगोलिक तथा सामाजिक आर्थिक स्थिति -

राजस्थान भारत की पश्चिमी सीमा पर अवस्थित देश का सबसे बड़ा राज्य है। (क्षेत्रफल 3.42 लाख वर्ग किलोमीटर)
राजस्थान को प्रशासनिक दृष्टि से 7 संभागो, 33 जिलो तथा 44672 गावों में विभाजित किया गया है।
राजस्थान की जनसंख्या  करोड़ है तथा अधिकतर लोग ( तीन चोथाई  75.1 प्रतिशत) ग्रामीण जनसंख्या को प्रदर्शित करते है।
राजस्थान में अनुसूचित जाति (17.8 % ) तथा अनुसूचित जनजाति (13.5 % ) का एक बड़ा हिस्सा रहता है।
राजस्थान को कम वर्षा तथा उषण जलवायु की वजह से कई बार अकाल की विभीषिका का सामना करना पड़ता है। यह औसत वार्षिक वर्षण १५० से ९०० मिलीमीटर, तथा औसत तापमान ५ से ४५ डिग्री सेल्सियस रहता है।
पिछले पचास वर्षों के दौरान राजस्थान के पाँच छः साल ही अकाल से मुक्त रहे है।
राजस्थान का लगभग साठ प्रतिशत हिस्सा मरुस्थल है तथा यह देश के उपलब्ध पानी का मात्र एक प्रतिशत है जिसमें से भी ८३% सिंचाई में प्रयोग होता है।

जनांकिकी-

2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान की जनसंख्या 6.85 करोड़ तथा घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। देश की कुल जनसंख्या के 6% के साथ राजस्थान राज्यों में आठवें स्थान पर है।
पिछले एक दशक में राजस्थान ने जनसंख्या में 21.44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। जनसंख्या में से पुरुष जनसंख्या 51.86% तथा महिला जनसंख्या 48.14% है।
राजस्थान में लिंगानुपात में 2001 की तुलना में 2011 में सुधार हुआ है और अब यह 928 के पास है। हालांकि इसी दौरान राजस्थान में बाल लिंगानुपात घटते हुए 888 तक पहुंच गया।
राज्य की कुल कार्यशील जनसंख्या 43.6% है।

साक्षरता-

राज्य की साक्षरता दर 66.1% है जिसमें से 79.2% पुरुष और 52.1% महिलाएं साक्षर है।
देश की तुलना में राज्य की पुरुषों की स्थिति में ज्यादा अंतर नहीं है लेकिन महिलाओं की स्थिति काफी खराब है।
कुल साक्षरता प्रतिशत के मामले में राजस्थान 35 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 33 वें स्थान पर है।

राजस्थान में बढ़ती जनसंख्या की स्थिति-

2001 से 2011 तक एक दशक के दौरान राजस्थान की जनसंख्या 5.58 करोड़ से 6.86 करोड़ हो गई है। इस प्रकार से जनसंख्या में 21.3% की वृद्धि के साथ कुल 1.2 करोड लोगों का इजाफा हुआ है। राजस्थान की कुल प्रजनन दर 2.9 है जिसमें सर्वाधिक बाड़मेर में 4.5 तथा कोटा में 2.5 है। हालांकि राजस्थान के सभी राज्यों की प्रजनन दर प्रजनन की प्रतिस्थापन दर अर्थात 2.1 से अधिक है।

राजस्थान की प्रजनन क्षमता में धीमी गिरावट-

2001 से 2012 के बीच राजस्थान की प्रजनन क्षमता दर 4 से 2.9 तक कम हुई है। एक अनुमान के अनुसार राजस्थान द्वारा जनन की प्रतिस्थापन स्तर को 2021 तक प्राप्त कर लिया जाएगा।

सुधार योग्य जनसंख्या वृद्धि के कारण-

आबादी में वृद्धि सामाजिक आर्थिक निर्धारकों के साथ प्रजनन क्षमता और मृत्यु दर संकेतकों का एक संचयी प्रभाव है। बढ़ती आबादी पर रोक सुनिश्चित करने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यक कार्रवाइयों में शामिल हैं:

कम उम्र में शादी को रोकना
शादी के पश्चात जल्दी बच्चे पैदा करने में कमी लाना।
मातृ मृत्यु दर में सुधार
आईएमआर तथा u5mr में कमी करना।
वर्तमान विवाहित महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक प्रयोगों में सुधार।
परिवार नियोजन की आवश्यकता को संबोधित करना।

भावी जनसंख्या अनुमान-

एक अनुमान के अनुसार 2022 तक राजस्थान की कुल जनसंख्या 8.2 करोड़ पर पहुंचने की संभावना है। इस प्रकार से 2011 की तुलना में 2022 तक राजस्थान की जनसंख्या में लगभग 1.4 करोड़ अतिरिक्त लोगों के जुड़ने की उम्मीद है।

जनसांख्यिकीय संक्रमण-

राजस्थान जनसंख्या की दृष्टि से वर्तमान में दूसरे चरण में है तथा धीरे धीरे जनसांख्यिकीय संक्रमण के तीसरे चरण में प्रवेश कर रहा है।
जनसंख्या वृद्धि दर में परिवर्तन तो हो रही है लेकिन बहुत ही धीमी गति से, हालांकि यह परिवर्तन स्थाई है और लगातार बना हुआ है।
राजस्थान की अधिकतर जनसंख्या परिवार नियोजन को समझती तो है लेकिन उसके तरीकों पर बात करने से शर्म महसूस करती है।
जनवरी 2000 में जनसंख्या नीति को लागू करने वाला राजस्थान दूसरा राज्य है।

अर्थव्यवस्था पर जनांकिकी का प्रभाव-

तीव्र जनसंख्या वृद्धि आर्थिक सामाजिक तथा व्यक्तिगत विकास को बाधित करती है। जनसंख्या में वृद्धि तथा आर्थिक विकास दोनों आपस में नजदीकी रूप से संबंधित है। हालांकि हमने आर्थिक विकास तो किया है लेकिन जनसंख्या वृद्धि से यह आर्थिक विकास संपूर्ण रूप से नहीं हो पाया है। 
यदि हम आर्थिक रूप से विकसित जिलों की बात करें तो कोटा जयपुर गंगानगर हनुमानगढ़ तथा अजमेर जैसे जिलों का नाम आता है जहां जनांकिकी परिदृश्य भी काफी अच्छा है। 


राज्य का आर्थिक रूप से बीमारू राज्य के रूप में होना जनसंख्या वृद्धि का ही परिणाम है। जनसंख्या वृद्धि अपने साथ कुपोषण बेरोजगारी गरीबी संसाधनों की कमी कैसे कई समस्याएं लाती है जो आर्थिक विकास को बाधित करते हैं।

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