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Monday, December 17, 2018

Concept of money supply and high powered money/मुद्रा पूर्ति एवं उच्च अधिकार प्राप्त मुद्रा

Concept of money supply and high powered money/मुद्रा पूर्ति एवं उच्च अधिकार प्राप्त मुद्रा

मुद्रा अर्थव्यवस्था में विनिमय का एक महत्वपूर्ण माध्यम होती है।
Money शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द मॉनेटा से हुई है जो कि आनंद का प्रतीक है। प्राचीन रोम में देवी जूनों को आनंद की देवी माना जाता था और मुद्रा भी इसी का प्रतीक है।
भारत में मुद्रा को काग़ज़ी अथवा पत्र मुद्रा भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय है क्योंकि इसे सोने या चाँदी में नहीं बदला जा सकता है।

प्रमुख परिभाषाएं-

हार्टले विदर्स के अनुसार -
मुद्रा व सामग्री है जिससे हम वस्तुओं का क्रय विक्रय करते हैं।
सैलिगमैन के अनुसार मुद्रा वह वस्तु है जिसे सामान्य स्वीकृति प्राप्त हो।

किनले के अनुसार मुद्रा एक ऐसी वस्तु है जिसे सामान्यतः विनिमय के माध्यम अथवा मूल्य के मान के रूप में स्वीकार किया जाता है।

मुद्रा के प्रमुख गुण-

विनिमय का माध्यम
सामान्य स्वीकृति
वैधानिकता


भारत में १९५७ से ही न्यूनतम आरक्षित प्रणाली अस्तित्व में है।इसके तहत रिज़र्व बैंक द्वारा नोट जारी करने के लिए स्वयं के पास दो सौ करोड़ रुपए रिज़र्व के रूप में रखे जाते है जिसमें ११५ करोड़ रुपए का स्वर्ण तथा ८५ करोड़ रुपए की विदेशी प्रतिभूतिया शामिल होती है।

भारत में वर्तमान में इंडिया सिक्यरिटी प्रेस नासिक, करेन्सी नोट प्रेस नासिक, सिक्यरिटी पेपर मिल होशंगाबाद, बैंक नोट प्रेस देवास सिक्यरिटी प्रिंटिंग प्रेस हैदराबाद आदि स्थानो पर नोटो व प्रतिभूतियों की  छपाई का कार्य होता है।

भारत में मुद्रा पूर्ति ( Money supply in india)-

बाज़ार में मुद्रा की आपूर्ति करना रिज़र्व बैंक का कार्य माना जाता है।
आम लोगों, सरकार तथा रिज़र्व बैंक के पास जो धनराशि होती है उसे मुद्रा का कुल स्टॉक कहा जाता है। 
मुद्रा आपूर्ति से तात्पर्य उपरोक्त स्टॉक के उस हिस्से से है जो किनी समय में प्रचलन में अर्थात आम लोगों के पास उपलब्ध रहता है।
किसी भी देश में अर्थव्यवस्था से जुड़ी मौद्रिक नीति के निर्माण के लिए नीति निर्धारक को मुद्रा के प्रवाह के स्तर तथा उसमें परिवर्तन की जानकारी आवश्यक होती है।

रिज़र्व बैंक द्वारा 1977 में गठित मुद्रा प्रवाह पर द्वितीय कार्यकारी समूह की अनुशंसा पर मुद्रा के चार घटकों या मानदंडो का प्रयोग किया जाता है जो निम्न प्रकार है -
M1 = जनता के पास नक़द+ बैंक के पास मांग जमाए+ रिज़र्व बैंक के पास जामा अन्य राशियाँ।
M2 = M1 + डाकघर में बचत जमा राशियाँ।
M3 = M2 + बैंकों में सावधि जमा राशियाँ।
M4 = M3 + डाकघरों में सावधि एवं आवर्ती जमा राशियाँ।
M1 को संकीर्ण मुद्रा माना जाता है जिसकी तरलता सबसे ज़्यादा होती है।
वही M4 को व्यापक मुद्रा माना जाता है जिसकी तरलता सबसे कम होती है।

मुद्रा के प्रमुख कार्य-

मुद्रा विनिमय का माध्यम है।
मुद्रा वस्तु के मूल्य का मापक है।

मुद्रा के सहायक अथवा गौण कार्य-

भावी भुगतानो का आधार
मुद्रा मूल्य संचय का साधन
क्रय शक्ति का हस्तांतरण

मुद्रा के आकस्मिक कार्य-

राष्ट्रीय आय का वितरण
साख का आधार
संपत्ति की तरलता
शोधन क्षमता सूचकांक

भारत में मुद्रा पूर्ति के तीन अवयव है -

सिक्के, काग़ज़ी मुद्रा तथा माँग जमाए 

सिक्के - धातु के सिक्के केंद्रीय सरकार द्वारा जारी किए जाते है। इन सिक्कों का आंतरिक मूल्य इनके अंकित मूल्य से अधिक होता है।

काग़ज़ की मुद्रा - यह मुद्रा भारत के रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की जाती है।पूर्व में जितनी मात्रा में पत्र मुद्रा जारी की जाती थी लेकिन अब केवल न्यूनतम मात्रा में एक कोष संरक्षित रखा जाता है।

माँग जमाए - इनका तात्पर्य जनता की उस पूँजी से है जो सरकारी बैंकों के बचत खातों में जमा होती है। भारत में यह मुद्रा पूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है।

मुद्रा का महत्व -

मुद्रा वर्तमान आर्थिक क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है। निम्नलिखित कारणों से मुद्रा को महत्वपूर्ण माना जा सकता है-

बाजार व्यवस्था की धुरी
आर्थिक विकास का मापक।
श्रम विभाजन एवं विशिष्ट करण
आर्थिक जीवन में स्वतंत्रता
सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार

उच्च अधिकार प्राप्त मुद्रा (high powered money)-

उच्च शक्ति प्राप्त मुद्रा से तात्पर्य मुद्रा के उस भाग से हैं जो लोगों द्वारा नगदी के रूप में, बैंकों द्वारा सुरक्षित जमाव के रूप में तथा रिजर्व बैंक की अन्य जमाओं के रूप में होती है।

सूत्र के रूप में उच्च शक्ति प्राप्त मुद्रा को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जाता है-

H उच्च शक्ति प्राप्त मुद्रा = C लोगों के पास नकदी + R रिजर्व बैंक के पास जमा बैंकों की मुद्रा

उच्च शक्ति प्राप्त मुद्रा रिजर्व बैंक तथा भारतीय सरकार द्वारा उत्पन्न की जाती है तथा यह लोगों व बैंकों के पास होती है।
इसे सुरक्षित मुद्रा भी कहा जाता है।

उच्च शक्ति प्राप्त मुद्रा का निर्माण निम्न भागों से मिलकर होता है-
जनता के पास करेंसी
रिजर्व बैंक की अन्य जमा
बैंकों के पास नगद
बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक के पास आरक्षित जमा।

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