अधिगम की अवधारणा भाग नौ /concept of learning part 9/ verbal learning
वाचिक अधिगम -
वाचिक अधिगम अनुबंधन से इसलिए भिन्न है क्योंकि यह केवल मनुष्यों तक ही सीमित है।
मनुष्यों द्वारा अधिकतर घटनाओं तथा वस्तुओं के बारे में जानकारी शब्दों के माध्यम से ही प्राप्त की जाती है।
ऐसी कई विधियाँ विकसित की गयी है जिनके माध्यम से सीखने की इस प्रक्रिया का अध्ययन किया जा सकता है।
इन विधियों में निरर्थक शब्दों, परिचित शब्दों आदि सामग्री का प्रयोग किया जाता है
वाचिक अधिगम के अध्ययन में प्रयुक्त विधियाँ निम्न प्रकार है -
युग्मित सहचर अधिगम - इस विधि का प्रयोग मातृभाषा के शब्दों के किसी अन्य विदेशी भाषा के पर्याय सीखने में किया जाता है।
इनमे दोनो भाषाओं के युग्मित सहचरो की एक सूची बनाई बनाई जाती है।प्रत्येक युग्म का पहला शब्द उद्दीपक जबकि दूसरा शब्द अनुक्रिया का कार्य करता है।
इस विधि में सामान्यत पहले शब्द के रूप में निरर्थक शबढ को दिखाकर फिर अनुक्रिया शब्द दिखाया जाता है तथा बाद में इन्हें पुन स्मरण करने को कहा जाता है। यह क्रिया तब तक चलती है जब तक प्रतिभागी द्वारा सभी शब्द सही सही नहीं बात दिए जाते है।
क्रमिक अधिगम - इसका प्रयोग यह जानने के लिए किया जाता है की सीखते समय प्रतिभागी द्वारा कौन कौन सी प्रक्रियाएँ उपयोग की जाती है।
प्रतिभागी को एक सूची दी जाती है जिसमें निरथक, अधिक परिचित, काम परिचित तथा आपस में सम्बंधित शब्द होते है।
फिर उसे इन शब्दों को उसी क्रम में बताना होता है जैसा सूची में दिया गया है। इसकी समय सीमा निर्धारित होती है।
इसे क्रमिक पूर्वाभास विधि भी कहा जाता है।
मुक्त पुन स्मरण-
इसमें प्रतिभागी को कुछ शब्दों की सूची एक निश्चित समय के लिए दर्शायी जाती है तथा उसे किसी भी क्रम में शब्दों को पुनः स्मरण करने के निर्देश दिए जाते है।
सूची में दस से ज़्यादा शब्द होते है जो आपस में सम्बंधित या असंबंधित हो सकते है।
इसका उपयोग यह जानने के लिए किया जाता है की शब्दों को याद करने के लिए व्यक्ति उन्हें किस तरह संगठित करता है। अतः इसे संगठित प्रक्रिया अथवा विधि भी कह सकते है।
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