अधिगम की अवधारणा भाग आठ/ concept of learning part 8/संज्ञानात्मक अधिगम
संज्ञानात्मक अधिगम (cognitive learning) -
संज्ञानात्मक अधिगम में सीखने वाले के कार्यकलापो की बजाय उसके ज्ञान में परिवर्तन होता है।इसमें अधिगम को अधिगम के मूल में होने वाली प्रक्रियाओं के रूप में देखा जाता है।
अंतर्दृष्टि अधिगम तथा अव्यक्त अधिगम इसके उदाहरण है।
अंतर्दृष्टि अधिगम-
इस माडल का विकास कोहलर द्वारा किया गया है।
उन्होंने चिम्पेंजी पर प्रयोग किए जिसमें चिम्पेंजी के समक्ष समाधान हेतु जटिल समस्याएँ प्रस्तुत की गई। यह अनुबंध अधिगम से इस प्रकार भिन्न था की इसमें कोई प्रबलन या उद्दीपक का उपयोग नहीं था।
इसमें चिम्पेंजी को एक बंद खेल क्षेत्र में रखा गया जहाँ भोजन था लेकिन उसकी पहुँच के बाहर था।
वही पर कुछ बॉक्स तथा डंडे भी रख दिए।
यह पाया कि चिम्पेंजी ने बड़ी तेज़ी से बॉक्स पर खड़े होना तथा डंडे से भोजन प्राप्त करना सीख लिया।
यह अधिगम चिम्पेंजी द्वारा बिना किसी बाहरी सहायता के स्वयं सिखा गया था इसीलिए इसे अंतर्दृष्टि अधिगम कहा गया।
इसमें समस्या का समाधान अचानक व एकाएक प्रकट होता है।
अव्यक्त अधिगम -
अव्यक्त अधिगम की अवधारणा टोलमेन द्वारा प्रस्तुत की गई।
इस प्रकार के अधिगम में नया व्यवहार सीख तो लिया जाता है लेकिन उसका प्रदर्शन तब तक नहीं होता है जब तक की कोइ प्रबलन प्रदान नहीं किया जाए।
इसमें दो चूहों को एक भूलभुलैया में छोड़ दिया गया।
चूहों के पहले समूह के लिए भूलभुलैया के अंत में भोजन रखा गया जिसके परिणाम स्वरूप उन्होंने बड़ी तेज़ी से बाहर निकलने का रास्ता ढूँढ लिया।
दूसरे समूह के लिए कोई भोजन नहीं रखा गया तो उन्होंने बाहर निकलने में काफ़ी समय लगाया लेकिन जब उन्हें भी अंत में भोजन दिया गया तो उन्होंने भी पूर्ववर्ती चूहों की तरह समान प्रतिक्रिया व्यक्त की।
टोलमेन ने समझाया की दूसरे समूह के चूहों ने भी बाहर निकलने के रास्ते का अन्वेषण तो कर लिया था लेकिन वांछित प्रतिक्रिया तभी प्रदर्शित की जब उन्हें भोजन दिया गया।
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