अधिगम की अवधारणा भाग सात/ concept of learning part 7/observational learning
प्रेक्षणात्मक अधिगम -
प्रारम्भ में इस अधिगम को अनुकरण के नाम से भी जाना जाता था।
इस अधिगम में व्यक्ति अन्य लोगों के व्यवहार को देखकर या प्रेक्षण के द्वारा चीज़ों को सीखता है।
इसे सामाजिक अधिगम या मॉडलिंग के नाम से भी जाना जाता है।
यह हमें सिखाता है की व्यक्ति को विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों में किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए।
बंदूरा तथा उनके सहयोगियों द्वारा इस सम्बंध में विश्लेषण किया गया है।
इसके अंतर्गत किए गए प्रयोग में कुछ बच्चों को तीन समूहों में बाँटकर एक पाँच मिनट की फ़िल्म दिखाई गई।
पहले समूह को दिखाई गई फ़िल्म में एक कमरे में कई खिलोनो को दर्शाया गया जिनमे एक बड़ा खिलोंना भी शामिल था। इसमें कमरे में एक बच्चे को प्रवेश करते हुए दिखाया गया जिसने खिलोनो के प्रति आक्रामकता प्रदर्शित की व बड़े खिलोने को तो उठा कर फेंक दिया। यह तीनो समूहों को समान दिखाया गया लेकिन फ़िल्म के अंत को अलग अलग बच्चों को भिन्न प्रकार से दिखाया गया।
पहले समूह को अंत में बच्चे को पुरस्कृत करते हुए दिखाया गया।
दूसरे समूह को अंत में बच्चे को दंडित करते हुए दिखाया गया तथा अंतिम समूह में बच्चे के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई गई।
फ़िल्म देख लेने के बाद बच्चों के ऐसे ही एक वास्तविक कक्ष में छोड़ कर उनके व्यवहार का निरीक्षण किया गया।
यह पाया गया कि जिन बच्चों ने पुरस्कृत होते बच्चों को देखा था उन्होंने खिलोनो के प्रति सबसे अधिक आक्रामकता प्रदर्शित की जबकि जिन्होंने दंडित होते देखी थी उन्होंने सबसे कम आक्रामकता प्रदर्शित की।
इस प्रकार आक्रामकता का स्तर बच्चों द्वारा फ़िल्म में किए गए प्रेक्षण द्वारा निर्धारीत था।
घरों में बच्चे भी खेल खेलते समय कई बार उन व्यवहारों का प्रदर्शन करते है जिन्हें वे आसपास अपने समाज में घटित होते हुए देखते है। बच्चे अपने से बड़े लोगों की नक़ल करते है।
अध्ययन से पता चला है कि बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में भी प्रेक्षणात्मक अधिगम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
इस अधिगम द्वारा परोपकार, आक्रामकता, आदर, नम्रता तथा परिश्रम जैसे गुण अर्जित किए जाते है।
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