अधिगम की अवधारणा भाग 5/ concept of learning part 5/Ras mains paper 3rd
क्रियाप्रसूत अनुबंधन के निर्धारक -
उपरोक्त अनुबंधन में प्राप्त होने वाले परिणाम के आधार पर अधिगम होता है अर्थात व्यवहार को सीखा जाता है। इस परिणाम को प्रबलक कहा जाता है।
यदि परिभाषा के रूप में बात करें तो प्रबलक उस उद्दीपक या घटना को कहा जाता है जो वांछित अनुक्रिया के प्राप्त होने की संभावना को बढ़ाता है।
अनुक्रिया का निर्धारण प्रबलक की निम्न विशेषताओं के आधार पर होता है -
प्रबलन के प्रकार
संख्या आवृति एवं गुणवत्ता
अनुसूची
प्रबलन के प्रकार -
प्रबलन धनात्मक अथवा ऋणात्मक प्रकार का हो सकता है
धनात्मक प्रबलन में वे उद्दीपक शामिल होते है जिनका परिणाम सुखद होता हैं। ये विषय की नैसर्गिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते है जैसे की भोजन, पानी,धन,प्रतिष्ठा आदि।
ऋणात्मक प्रबलन में शामिल उद्दीपक पीड़ादायी होते है तथा विषय के लिए अप्रिय होते है। वह ऐसे उद्दीपको से बचने के लिए पलायन अथवा परिहार जैसी प्रक्रियाओं को अपनाता है। हालाँकि यह दंड के अंतर्गत नहीं है क्योकि दंड का प्रभाव अस्थायी होता है तथा अनुक्रिया को कम करता है जबकि ऋणात्मक प्रबलन परिहार या पलायन को बढ़ावा देता है।
उदाहरण के लिए सर्दी से बचने के लिए हम गर्म कपडे पहनते है तथा हीटर चलाते है। वाहन चलाते समय सीट बेल्ट बांधना।
प्रबलन की संख्या, आवृति एवं गुणवत्ता -
संख्या या आवृति- प्रबलन के प्रयोग या प्रयासों की कुल संख्या
मात्रा - एक प्रयास में प्राप्त होने वाली उद्दीपक की मात्रा
गुणवत्ता- उपयोग किये जाने वाले उद्दीपक की गुणवत्ता
प्रबलन अनुसूचियाँ-
यह वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत प्रबलन को उपलब्ध कराया जाता है।
नैमितिक अनुबंधन में या तो प्रत्येक प्रयास में प्रबलन दिया जा सकता है (सतत प्रबलन) या कुछ प्रयासों में प्रबलन का लोप किया जा सकता हैै। (आंशिक प्रबलन)
विलंबित प्रबलन-
यदि हम प्रबलन को उपलब्ध कराने में विलम्ब करते है तो प्रबलनकारी क्षमता कम होने लगती है।
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