भारत में नैनो मिशन एवं महत्वपूर्ण संकल्पनाएं/ brief overview of Nano mission in India
भारत में नैनो मिशन
नैनो मिशन क्षमता निर्माण के लिए एक अंब्रेला कार्यक्रम है जिसमें देश में अनुसंधान के इस क्षेत्र के समग्र विकास और देश के विकास के लिए अपनी उपलब्ध क्षमता को और विकसित करने की परिकल्पना की गई है।
पृष्ठभूमि -
डीएसटी ने नैनो विज्ञान के क्षेत्र में 2001 में नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पहल (एनआईएसटी) नामक एक आदर्श कार्यक्रम शुरू किया था।
देश में नैनो प्रोद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा मई 2007 में इस मिशन की शुरुआत की गई थी।
यह एक अम्ब्रेला क्षमता निर्माण कार्यक्रम है।
मिशन के उद्देश्य (Ovjectives of mission )-
संक्षिप्त में मिशन के उद्देश्य निम्न प्रकार से है -
मूलभूत अनुसंधान को प्रोत्साहन -
इसमें नैनो प्रोदयोगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाले व्यक्तिगत अथवा समूह में कार्य करने वाले वैज्ञानिको तथा नैनो प्रोदयोगिकी के अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्रो के निर्माण हेतु वित्त पोषण का कार्य शामिल है।
नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान के लिए बुनियादी ढाँचे का विकास-
नैनो पैमाने पर जाँच के लिए कई महँगे उपकरणो की आवश्यकता होती है।इसलिए ऐसे महँगे एवं परिष्कृत उपकरणो तथा सुविधाओं के इष्टतम उपयोग के लिए देश भर में साझा करने योग्य सुविधाओं की एक चेन स्थापित करने की योजना है।
नैनो अनुप्रयोग और प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम-
उत्पादों और उपकरणों के लिए अग्रणी अनुप्रयोगों और प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रमों को उत्प्रेरित करने के लिए, मिशन आवेदन उन्मुख अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने तथा नैनो अनुप्रयोगों और प्रौद्योगिकी विकास केंद्रों की स्थापना का प्रस्ताव करता है। इसके अतिरिक्त इसके उद्देश्य में सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से ओद्योगिक क्षेत्र को शामिल करना भी शामिल है।
मानव संसाधन विकास -
मिशन विविध क्षेत्रों में शोधकर्ताओं और पेशेवरों को प्रभावी शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने पर केंद्रित होगा ताकि नैनोस्केल विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के लिए एक वास्तविक अंतःविषय संस्कृति उभर सके। इसमें एमएससी / एमटेक जैसे कोर्स लॉन्च करने तथा राष्ट्रीय और विदेशी पोस्ट-डॉक्टरेट फैलोशिप देने की योजना है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग -
वैज्ञानिकों की खोजी यात्राओं, संयुक्त कार्यशालाओं और सम्मेलनों और संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के अलावा, विदेशों में परिष्कृत अनुसंधान सुविधाओं तक पहुंच की सुविधा, उत्कृष्टता के संयुक्त केंद्र स्थापित करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकादमिक-उद्योग भागीदारी को प्रोत्साहित करने की भी योजना बनाई गई है।
संरचना एवं गतिविधियां-
इस मिशन के संचालन के लिए एक परिषद का गठन किया गया है।
विभिन्न प्रकार की प्रोदयोगिकी गतिविधियों में विज्ञान एवं प्रोदयोगिकी विभाग द्वारा मदद की जा रही है।
डी॰एस॰टी॰ द्वारा आधुनिक उपकरणो के कई केंद्रो की स्थापना की गई है।
पूरे देश में 11 नैनो विज्ञान के केंद्रो की स्थापना की जा रही है जिनमे क्षेत्र के वैज्ञानिको के साथ विचारों का आदान प्रदान करने की सुविधाए मौजूद है।
विभिन्न देशों के साथ अनुसंधान एवं विकास गतिविधियाँ चलाई जा रही है।
पीपीपी मोड़ पर कई नई गतिविधियों की शुरुआत भी DST द्वारा की गई है।
130 से अधिक परियोजनाओं में मिशन द्वारा सहायता प्रदान की गई है।
नवीन महत्वपूर्ण संकल्पनाए -
नैनो स्केल एडिटीव्स -
कपड़े की सतह के उपचार के लिए इसका प्रयोग किया जा रहा है जिनसे कपड़ों को सल्वटों, धब्बो तथा बेक्टीरिया से बचाया जा सकता है।
नैनो स्केल फ़िल्म -
इसका प्रयोग चश्मे, कम्प्यूटर डिस्प्ले आदि पर किया जा रहा है जिससे इन्हें वाटर प्रूफ़, खरोंच प्रतिरोधी, स्व सफ़ाई, परबैंगनी तथा अवरक़्त प्रकाश से प्रतिरोध जैसे गुण प्रदान किए जा सकते है।
नैनो स्केल सामग्री -
इनसे ऐसे फेब्रिक का निर्माण किया जा सकता है जिनमे नैनो सेंसर्स लगे हो जिसका प्रयोग स्वास्थ्य निगरानी, सौर ऊर्जा अवशोषन तथा हलचल से ऊर्जा उत्पादन में किया जा सके।
नैनो प्रोदयोगिकी का प्रयोग करके कई उत्पादों को हल्का किया जा सकता है जो इंधन की बचत में सहायक हो सकेंगे।
हल्के वज़न तथा चालकता का एक साथ संयोजन करके उन्हें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शिल्डिंग तथा ताप प्रबंधन के लिए आदर्श बना सकती है।
नैनो बायोएंजिनीरिंग -
इसमें प्रकृति प्रदत प्रदर्थो की नैनो स्तर पर एंजिनीरिंग की जाती है तथा लक्षित गुण प्रदान किए जाते है।
इसका प्रयोग बायो मास से एथेनाल उत्पादित करने वाले एंजाइम तैयार करने में किया जा सकता है।
सेलुलोसिक नैनोमटीरीयल्ज़ कम महँगा होता है तथा काम वज़न में भी अधिक शक्ति प्रदान करता है।
सेलुलोसिक नेनो मेट्रिक्स को निर्माण, पैकिजिंग, भोजन, ऊर्जा रक्षा आदि कई क्षेत्रों में प्रयोग किया जा सकता है।
नैनोटेक्नोलॉजी-सक्षम ल्यूब्रिकेंट्स और इंजन ऑयल भी घर्षण तथा टूटफूट को काफी कम कर देते हैं, जो बिजली के औजारों से औद्योगिक मशीनरी तक हर चीज के जीवनकाल को बढ़ा सकते हैं।
नैनो कण -
रासायनिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देने के लिए नैनोकणों का उपयोग उत्प्रेरक में किया जाता है। यह वांछित परिणाम उत्पन्न करने, धन की बचत करने और प्रदूषकों को कम करने के लिए आवश्यक उत्प्रेरक सामग्रियों की मात्रा को कम करता है। दो बड़े अनुप्रयोग पेट्रोलियम शोधन और ऑटोमोटिव उत्प्रेरक कन्वर्टर्स में हैं।
थिन फ़िल्म सोलर एलेक्ट्रिक पेनल -
इन्हें विभिन्न सतहों तथा कपड़ों में फ़िट करके घर्षण, प्रकाश आदि से ऊर्जा उत्पन्न करने में प्रयोग किया जा रहा है।
नैनो टेक्नॉलजी की हानिया/ कमियाँ
नैनो कण उत्पादों से बाहर निकलकर लोगों के स्वाँस सम्बंधी रोगों को जन्म दे सकते है।
फ़िल्टरिग में प्रयुक्त नेनो तकनीक विषाक्तता को भी जन्म दे सकती है।
हथियारों के उत्पन्न में नैनो टेक्नॉलजी का अंधाधुँध प्रयोग मानव सभ्यता के विनाश का कारण बन सकता है।
कृत्रिम रक़्त कनिकाओ का तापीय अथवा जैविक अपघटन होने पर वे शरीर को नुक़सान पहुचा सकती है।
नैनो अवशेष या नेनो लिटरबग्स सक्रिय प्रदूषण को बढ़ावा देते है।
नैनो पदार्थों का अपघटन नहीं होता है इसलिए भी ये अंत में पर्यावरण को प्रदूषित करते है।
इनके अधिक प्रयोग से खाद्य चेनो के प्रभावित होने की भी सम्भावना है
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