प्रशासन एवं प्रबंध भाग आठ/ administration and management part 8/ concept of unity of command
समादेश की एकता -
समादेश की एकता सोपानक्रम व्यवस्था के पूरक है तथा आदेश प्राप्त करने के इसी तरीक़े पर बल देती है।
हालाँकि वर्तमान समय में प्रशासन की जटिलताओ की वजह से केवल अपने ऊपरी अधिकारी से ही आदेश ले पाना कठिन हो चला है।
अर्थ व परिभाषाए -
समादेश की एकता का मतलब है की संगठन में कोई भी कर्मचारी केवल किसी एक वरिष्ठ अधिकारी से आदेश प्राप्त करें।
हेनरी फ़ेयोल इस सिद्धांत का समर्थन करते हुए कहते है की -कर्मचारी को केवल एक अधिकारी से अधेश प्राप्त करना चाहिए। इसका लाभ यह है की कर्मचारी परपस्पर विरोधी आदेशों से बच जाते है।
एक से अधिक आदेश प्राप्त करने पर कई बार उन आदेशों के एक दूसरे के विरोधी होने की संभावना रहती है।
महत्व -
किसी भी संगठन में कर्मचारी के सुचारू रूप से काम करने के लिए समादेश की एकता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
अगर कर्मचारी को एक से अधिक माध्यमों से आदेश प्राप्त होते है तो विवाद व उलझन की समस्या उत्पन्न हो जाती है जो लक्ष्य को ही अस्पष्ट कर देती है।
इसके फलस्वरूप कार्यकुशलता में कमी आती है।
यदि कर्मचारी स्वयं लापरवाह है तो वह दोनो अधिकारियों को एक दूसरे के विरुद्ध उपयोग भी कर सकता है।
ऐसी परिस्थिति में कर्मचारी संगठन की गरिमा को भी कम कर देता है।
संगठन को इन कमज़ोरियों तथा नुक़सान से बचाने के लिए यह आवश्यक की समादेश की एकता का सही रूप में पालन हो।
व्यवहार में समादेश की एकता -
व्यावहारिक रूप में समादेश की एकता को समझने के लिए हम वर्तमान प्रशासन का उदाहरण ले सकते है -
ज़िला स्तर पर ज़िलाधीश कृषि, शिक्षा, क़ानून व्यवस्था, चिकित्सा जैसे कई महकमो का प्रमुख होता है।
यदि ज़िला प्रशासन को एक संगठन माना जाए तो इस सभी विभागों के कर्मचारी समादेश की एकता के अंतर्गत केवल ज़िलाधीश कार्यालय से आदेश प्राप्त करेंगे
लेकिन व्यवहार में ये अपने विभागीय प्रमुखों तथा ज़िलाधीश दोनो से आदेश प्राप्त करते है।
विभागों के अधिकारी ज़िलाधीश तथा राज्य प्रशासन के अपने विभागीय अधिकारियों दोनो के आदेशों का पालन करते है।
इस प्रकार चाहे कोई भी संगठन हो कर्मचारी समन्यत एक से अधिक अधिकारियों से आदेश प्राप्त करते है। जब तक आदेश विपरीत नहीं होते है तब तक कर्मचारी के लिए कोई परेशानी नहीं है। इसलिए असली महत्व आदेशों की एकता का है न कि समादेश का।
यदि आदेशों में भिन्नता है तो कर्मचारी को अधिकारियों को इससे अवगत कराके समस्या का समाधान कर लेना चाहिए।
सिद्धांत के अपवाद -
ऊपरी तौर पर यह लगता है कि समादेश की एकता एक निर्विवाद सिद्धांत है लेकिन यह सही नहीं है।
वर्तमान में संगठनो में बढ़ती जटिलता की वजह से इसके अपवाद भी सामने आ रहे है।
ऐसे विभाग जिनमे कर्मचारियों पर अलग अलग तकनीकी एवं प्रशासनिक नियंत्रण होता है वह एक से अधिक अधिकारियों के आदेश से बचना असम्भव होता है।
एफ़ डबल्यू टेलर ने समादेश की एकता के सिद्धांत को अस्वीकार किया है। उन्होंने इसके स्थान पर कार्य सम्बंधी नेतृत्व का सिद्धांत दिया है।
इसके अंतर्गत काम के हिसाब से निर्देश एवं निरीक्षण की बात कही गयी है।इस प्रकार कर्मचारी की कार्यकुशलता के आंकलन का अधिकार ही किसी संगठन में प्रभावी समादेश की एकता का प्रमुख आधार है।
आज लोक प्रशासन के क्षेत्र में सामान्य प्रशासकों के साथ साथ अनेक तकनीकी विशेषज्ञ कम करते है जो कर्मचारियों का पर्यवेक्षण करते है। तकनीकी अधिकारी काम पर जबकी प्रशासनिक अधिकारी संसाधनो के बेहतर उपयोग पर ध्यान रखते है। यह समादेश की अनेकता को प्रदर्शित करता है।
समादेश की एकता के पक्ष में तर्क -
समादेश की एकता को वास्तविक तथा व्यवहारिक सिद्धांत माना जाता है।
चाहे आदेश किसी भी स्तर से आए यदि उनका लक्ष्य एक है तथा विवाद नहीं है तो समादेश की एकता बनी रहती है।
सही तरीक़े से लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आदेश एक जैसे होना ज़रूरी है।
यह सिद्धांत संगठनो में तालमेल बनाने का काम करता है।
कर्मचारियों पर कारगर निगरानी रखने में सहायता मिलती है।
यह सिद्धांत व्यवस्था तथा अनुशासन बनाए रखने में सहायक होता है।
समादेश की एकता के विपक्ष में तर्क -
अनेक विद्वानो ने इस सिद्धांत की व्यवहारिकता को लेकर इसकी आलोचना की है।
यह एक प्रकार की सैद्धांतिक अवधारणा है।
विकास शील प्रशासन में क्रमिकों को अनेक स्तरों से आदेश लेना समय की माँग है।
एक व्यक्ति एक अधिकारी जैसी धारणाए प्रशासन में जड़ता को बढ़ाती है।
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