प्रशासन एवं प्रबंध भाग पांच/ administration and management part 5/Concept of hierarchy
सोपानक्रम या पदसोपान संगठन का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
किसी भी संगठन को विशेषज्ञता प्राप्त करने के उद्देश्य से कई इकाइयों में विभाजित किया जाता है। सोपानक्रम उच्च अधिकारियों से लेकर निमं स्तर के कर्मचारी तक सभी के बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य करता है।
अर्थ एवं परिभाषा -
भाषा की दृष्टि से सोपान क्रम किसी अधीनस्थ पर वरिष्ठ का नियंत्रण अथवा सत्ता है।
लेकिन यदि प्रशासन की दृष्टि से देखा जाए तो इसका तात्पर्य एक ऐसे संगठन से है जिसमें क्रमवार कई स्तर होते है तथा जो आपस में एक दूसरे से जुड़े होते है।
किसी भी बड़े संगठन में ऊपरी स्तर पर कुछ लोगों द्वारा आदेश दिए जाते है जिनका पालन निचले स्तर पर स्थित कर्मचारियों द्वारा करना पड़ता है।
इस वजह से संगठन में ऊपर से नीचे वरिष्ठों तथा अधिनस्थो के बीच एक पिरामिडनुमा ढाँचे का निर्मन हो जाता है। इसे सीढ़ीनुमा सिद्धांत या प्रक्रिया भी कहा जाता है।
एल ड़ी व्हाइट के अनुसार -
सोपानक्रम, किसी भी व्यवस्था में ऊपर से नीचे तक उत्तरदायित्व के कई स्तरों के कारण उत्पन्न वरिष्ठ तथा अधीनस्थ का वह सम्बंध है जो सब जगह लागू होता है
जे डी मिलेट के अनुसार - सोपानक्रम एक ऐसी पद्धति है जिसमें विभिन्न लोगों के प्रयासों को आपस में जोड़ दिया जाता है।
सोपान क्रम संगठन में संचार तथा सत्ता के विभिन्न स्तरों के बीच आदेशों की एक शृखला का माध्यम बन जाता है।
सोपानक्रम की मूल विशेषतायें -
प्रशासन का विभाजन इकाइयों तथा उप इकाइयों में कर दिया जाता है।
यह व्यवस्था एक पिरामिड के आकर की होती है।
इसमें विभिन्न स्तरों को अधिकार सोपे जाते है।
सोपानक्रम पर आधारित संगठन उचित माध्यम के सिद्धांत के आधार पर कार्य करता है।
प्रत्येक व्यक्ति केवल निकटतम अधिकारी से आदेश लेता है जो कि आदेश की एकता को दर्शाता है।
अधिकार व उत्तरदायित्व में तालमेल रखा जाता है।
सोपान क्रम का सिद्धांत -
संगठनात्मक पिरामिड के शीर्ष पर स्थित व्यक्ति द्वारा अपने से अधीनस्थ को आदेश प्रसारित किए जाते है। ये आदेश एक के बाद एक निचले स्तर पर पहुँचते है।
आदेशों के एक एक करके नीचे उतरते हुए ऊपरी शिखर से निचले स्तर पर पहुचने को उचित माध्यम से सम्पर्क कहा जाता है।
इसे निम्न उदाहरण से समझा जा सकता है -
अनुभाग अधिकारी - अधीक्षक- मुख्य लिपिक - सम्पर्क लिपिक
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