अधिगम की अवधारणा भाग 4/ concept of learning part 4/Ras mains paper 3rd
क्रियाप्रसूत/ नैमित्तिक अनुबंधन (Operant/Instrumental Conditioning)
अनुबंधन के इस प्रकार का सर्वप्रथम उपयोग बी ऍफ़ स्किनर द्वारा किया गया।
क्रियाप्रसूत - जब प्राणी पर्यावरण में सक्रिय होकर कार्य करता है तब वह कुछ ऐसी क्रियाओ या व्यवहार को प्रदर्शित करता है जो ऐच्छिक होती है तथा उस प्राणी के नियंत्रण में होती है, इन्हे क्रिया प्रसूत कहा जाता है।
उपरोक्त क्रियाप्रसूत व्यवहार के साथ किसी अन्य क्रिया का अनुबंधन करना क्रियाप्रसूत अनुबंधन कहलाता है।
चूहे पर प्रयोग-
स्किनर ने एक चूहे को एक बॉक्स में बंद कर दिया जिससे वह बाहर नहीं निकल सकता था।
इस बॉक्स की एक दीवार पर एक लीवर लगा हुआ था जो की बॉक्स की छत पर लगे भोजन पात्र से जुड़ा हुआ था। लीवर को दबाने से भोजन पिंजरे में रखे एक प्लेट में गिर जाता था।
जब भूखे चूहे को इस बॉक्स में रखा गया तो वह परेशान होकर दीवारों पर पंजे मारने लगा। सयोंग से एक बार उससे लीवर दब गया तथा चूहे को भोजन मिल गया।
जैसे जैसे इन अभ्यासों की संख्या बढ़ती गयी तो चूहे को बॉक्स में रखने तथा लीवर दबाने का अंतराल घटता गया।
अनुबंधन के पूर्ण होने की अवस्था में जैसे ही चूहे को बॉक्स में रखा जाता वह तुरंत लीवर दबा कर खाना प्राप्त करने लगा।
लीवर दबाने की अनुक्रिया को क्रियाप्रसूत अनुक्रिया कहा जाता है जिसके परिणाम स्वरुप चूहे को भोजन की प्राप्ति होती है।
उपरोक्त प्रयोग में लीवर दबाने की प्रक्रिया भोजन प्राप्त करने का निमित्त या माध्यम भी है अतः इस प्रकार के अधिगम को नैमित्तिक अनुबंधन भी कहा जाता है।
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