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Tuesday, November 13, 2018

अधिगम की अवधारणा भाग 2/ concept of learning part 2/Ras mains paper 3rd

अधिगम की अवधारणा भाग 2/ concept of learning part 2/Ras mains paper 3rd



    अधिगम के प्रतिमान ( Paradigm of learning)-

    अधिगम अथवा सीखने की प्रक्रिया को कई विधियों से किया जा सकता है।
    इनमे से कुछ विधिया सरल अनुक्रियाओं के लिए जबकि कुछ जटिल कार्यो को सीखने में प्रयुक्त की जाती है।

    अधिगम के कुछ प्रमुख प्रकार निम्न प्रकार है -

    अनुबंधन अधिगम (Conditioning Learning)
    प्रेक्षणात्मक अधिगम (Observational Learning)
    संज्ञानात्मक अधिगम (Cognitive Learning)
    वाचिक अधिगम (Verbal Learning)
    संप्रत्यय अधिगम (Concept Learning)
    कौशल अधिगम (Skill Learning)

    अनुबंधन अधिगम (Conditioning Learning)

    यह सीखने का सबसे सरल तरीका है जो साहचर्य पर आधारित होता है। इसमें एक क्रिया को दूसरी क्रिया से जोड़कर सिखाया जाता है।
    यह दो प्रकार से किया जाता है -
  • प्राचीन अनुबंधन (Classical Conditioning)
  • क्रियाप्रसूत/नैमित्तिक अनुबंधन (Operant/Instrumental Conditioning)

  • प्राचीन अनुबंधन (Classical Conditioning)

    इसके प्रतिपादक इवान पी पावलॉव है। वे एक फिजियोलॉजिस्ट थे तथा पाचन प्रक्रिया के अध्ययन के दौरान उन्होंने कुत्तो पर प्रयोग किये।
    उन्होंने पाया की जब कुत्तो को तश्तरी में भोजन दिया जाता है तो वे लार टपकना शुरू कर देते है।
    यह कुत्तो में पाया जाने वाला एक स्वाभाविक उद्दीपन अथवा अनुक्रिया है जो की तश्तरी में भोजन रुपी उद्दीपक के कारण होती है।
    उन्होंने इस स्वाभाविक उद्दीपक के साथ एक अन्य तटस्थ उद्दीपक को जोड़ दिया।
    अपने प्रयोग में उन्होंने कुत्ते को एक बॉक्स में बंद कर दिया तथा उसे भूखा रखते हुए घंटी  बजने के बाद तश्तरी में भोजन करने दिया।
    कुत्ते के मुँह में एक नली फिट करके एक गिलास में एकत्रित करने की व्यवस्था की गई।
    प्रारम्भ में कुत्ते द्वारा भोजन को देखकर लार टपकाना एक स्वाभाविक अनुक्रिया है लेकिन घंटी के बजने पर वह लार नहीं टपकाता है।
    कुछ दिनों तक लगातार घंटी बजने के बाद कुत्ते को भोजन दिया गया।
    अंत में परीक्षण प्रयास में केवल घंटी बजाई गई लेकिन कुत्ते को भोजन नहीं दिया गया।
    परिणाम स्वरुप यह पाया गया की घंटी बजने के बाद भोजन मिलने की आशा में कुत्ते ने उसी तरह लार स्त्रावित की जैसे वह भोजन मिलने पर करता था।
    घंटी तथा भोजन के बीच यह साहचर्य ही अनुबंधन  कहलाता है।

    अननुबन्धित उद्दीपक- बिना सीखा हुआ या स्वाभाविक उद्दीपक जैसे - भोजन
    अननुबन्धित अनुक्रिया - अननुबन्धित उद्दीपक के प्रति होने वाली अनुक्रिया जैसे लार भोजन के लिए एक अनुक्रिया है।
    अनुबंधित उद्दीपक -जब एक तटस्थ उद्दीपक को किसी अननुबन्धित उद्दीपक के साथ बार बार युग्मित करने से उसके परिणाम स्वरुप सामान प्रतिवर्ती क्रिया उत्पन्न होती है तो उसे अनुबंधित उद्दीपक कहते है। यहाँ घंटी एक अनुबंधित उद्दीपक है।
    अनुबंधित अनुक्रिया- अनुबंधित उद्दीपक के प्रति होने वाली प्रतिक्रिया को अनुबंधित प्रतिक्रिया कहते है। जैसे घंटी बजने पर लार आना।

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