स्व एवं व्यक्तित्व की अवधारणा भाग दस/self concept and personality part 10/ RAS MAINS PAPER 3
व्यक्तित्व के निर्धारक (Determinants of Personality) -
व्यक्तित्व का निर्धारण उन सभी कारकों के आधार पर किया जाता है जो व्यक्ति के विकास को प्रभावित करने वाले होते हैं।
यह कारक दो प्रकार के होते हैं-
जैविक कारक (biological factors)
पर्यावरणीय कारक (Environmental factors)
जैविक कारक (biological factors)
जैविक कारकों के अंतर्गत उन सभी कारकों को सम्मिलित किया जाता है जो आनुवांशिक रुप से व्यक्ति के माता पिता से उसे प्राप्त होते हैं या फिर शरीर में होने वाली विभिन्न क्रियाओं के माध्यम से अर्जित किए जाते हैं।
व्यक्ति की शारीरिक संरचना रूप रंग बनावट आदि उसके माता-पिता से काफी मेल खाती है। व्यक्तित्व का शारीरिक पक्ष आनुवांशिक गुणों से काफी प्रभावित होता है।
इसके अतिरिक्त अंत:स्रावी ग्रंथियों से स्त्रावित होने वाले हार्मोन भी व्यक्तित्व निर्धारण पर प्रभाव डालते हैं। एड्रीनल, थायराइड, पिट्यूटरी, यौन ग्रन्थियों से जो हार्मोन निकलते हैं वह हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वभाव को नियंत्रित करते हैं। इन हार्मोनो की कमी अथवा अधिकता से कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं जो व्यक्तित्व को भी प्रभावित करते हैं।
पर्यावरणीय कारक (Environmental factors)-
व्यक्ति जिस वातावरण में निवास करता है उसका भी व्यक्तित्व निर्धारण में काफी योगदान होता है।
अलग-अलग समाज से जुड़े हुए विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक कारक होते हैं जो व्यक्तित्व निर्माण में सहयोग करते हैं।
परिवार में रहते हुए बालक विभिन्न प्रकार के अच्छे या बुरे गुणों को सीखता है। परिवार से प्राप्त संस्कारों की झलक ही बात के व्यवहार में दिखाई देती है।
विद्यालय में प्रवेश की पश्चात बालक समूह में बड़ा होता है तथा सह छात्रों के संपर्क से कई गुणों का विकास करता है।
इसके अतिरिक्त समाज में रहते हुए विभिन्न रीति रिवाज, मान्यताएं, त्यौहार, वेशभूषा, खानपान आदि भी हमारी व्यक्तित्व निर्माण के सहायक कारक होते हैं।
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