Rajasthan sujas magazine September 2018 part 2/ राजस्थान सुजस पत्रिका सितंबर 2018 महत्वपूर्ण बिंदु
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान
राजस्थान की 90% कृषि मानसून पर निर्भर करती है तथा प्रति वर्ष राज्य का एक बड़ा हिस्सा अकाल की चपेट में होता है। अनिश्चित वर्षा व सूखे की वजह से प्रतिवर्ष कृषि का एक बड़ा भाग बेकार हो जाता है।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए तथा राज्य में पेयजल व कृषि के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ही विभिन्न विभागों का समन्वय करते हुए मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान शुरू किया गया।
अभियान की शुरुआत 27 जनवरी 2016 को की गई जिसमें प्रथम चरण के अंतर्गत 3529 गांव को सम्मिलित किया गया।
9 दिसंबर 2016 से शुरू हुए दूसरे चरण के अंतर्गत 4213 गांव को सम्मिलित कर वृक्षारोपण एवं जल संरक्षण के कार्य किए गए।
9 दिसंबर 2017 से शुरू हुए तृतीय चरण के अंतर्गत 4314 गांव को सम्मिलित किया गया।
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के चतुर्थ चरण की शुरुआत दिनांक 3 अक्टूबर 2018 से की गई है।
अभियान की प्रमुख विशेषताएं-
अभियान के अंतर्गत राज्य के 21000 से अधिक गांवों को लाभान्वित किया जाएगा।
योजना के अंतर्गत विभिन्न विभागों का समन्वय किया गया है।
इसके अंतर्गत गैर सरकारी संगठनों, धार्मिक ट्रस्टों तथा निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व का सहारा भी लिया जा रहा है।
अभियान के अंतर्गत किए गए प्रत्येक कार्य की जियो टैगिंग की जा रही है।
मोबाइल एप के माध्यम से कार्यों की प्रभावी समीक्षा की जा रही है।
प्रस्तावित कार्यों का जीआईएस द्वारा विश्लेषण किया जा रहा है।
अभियान के उद्देश्य-
जल ग्रहण क्षेत्र अथवा केचमेंट एरिया को एक इकाई मानते हुए जल संसाधनों का प्रबंधन।
विभिन्न संस्थाओं का सहयोग प्राप्त कर प्रभावी क्रियान्वयन।
प्रत्येक गांव को पेयजल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना।
भूजल के स्तर में वृद्धि तथा भूमि की गुणवत्ता में सुधार के प्रयास।
जल संग्रहण को बढ़ावा देकर गांव के सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना।
जलभराव क्षेत्रों की क्षमता को विकसित कर प्राकृतिक रूप से जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान शहरी के अंतर्गत जल संरक्षण के लिए रूफटॉप संरचनाओं का निर्माण तथा बावडियों का जीर्णोद्धार जैसे कार्य किए जा रहे हैं।
दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना-
प्रदेश के सम्माननीय वृद्धजनों को तीर्थ यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य के देवस्थान विभाग द्वारा दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना का संचालन किया जा रहा है।
योजना के अंतर्गत रामेश्वरम, तिरुपति, जगन्नाथ, द्वारकापुरी, वैष्णो देवी, गोवा, बिहार शरीफ, शिरडी जैसे तीर्थ स्थलों की यात्रा कराई जा रही है।
पिछले 4 वर्षों के अंतर्गत अब तक 38000 से अधिक वृद्धजन रेल तथा हवाई मार्ग से इसका लाभ उठा चुके हैं।
आवश्यक शर्तें
60 वर्ष से अधिक आयु का तथा राजस्थान की मूल निवासी व्यक्ति इस योजना के लिए पात्र हैं।
आवेदन करने वाला आयकर दाता नहीं होना चाहिए।
केंद्र अथवा राज्य सरकार के वर्तमान या पूर्व सरकारी कर्मचारी व उनके जीवन साथी यात्रा के लिए पात्र नहीं होंगे।
इस सुविधा का लाभ ऑनलाइन आवेदन करके उठाया जा सकता है।
आवेदनकर्ता में से लॉटरी द्वारा चयन किया जाता है।
पालनहार योजना-
वर्तमान में इस योजना का संचालन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा किया जा रहा है।
इस योजना की शुरुआत अनाथ बच्चों के पालन पोषण तथा शिक्षा के लिए अनाथ आश्रम की बजाय बालक की किसी नजदीकी रिश्तेदार द्वारा परिवार में ही करने के लिए की गई थी।
शुरुआत 8 फरवरी 2005 से अनुसूचित जाति के बच्चों के लिए की गई थी।
23 अगस्त 2005 को सभी जातियों के अनाथ बच्चों को इसके अंतर्गत सम्मिलित किया गया।
इसके पश्चात विधवा, नाता जाने वाली महिलाओं एवं एड्स पीड़ित माता पिता के बच्चों एवं दिव्यांग दंपत्ति के बच्चों को भी सम्मिलित किया गया।
3 मार्च 2011 से लाभ पाने की अधिकतम आयु 18 वर्ष तक कर दी गई है।
योजना के अंतर्गत 0 से 6 वर्ष की आयु तक के बच्चों को ₹500 प्रतिमाह एवं 1 अप्रैल 2013 से 6 से 18 वर्ष आयु के बच्चों को प्रतिमाह ₹1000 मानदेय सरकार की ओर से दिया जाता है।
वस्त्र आदि के लिए ₹2000 प्रति वर्ष एकमुश्त राशि भी दी जाती है।
पालनहार परिवार की अधिकतम आय ₹120000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
1 जून 2016 से इस योजना को ईमित्र से जोड़ दिया गया है।
6 वर्ष तक के बच्चों का आंगनबाड़ी तथा 6 से 18 वर्ष तक के बच्चों का विद्यालय जाना अनिवार्य है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम-
जन्म से लेकर 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों में पाए जाने वाले चार विकारों का पता लगाकर उनका उपचार करने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
यह योजना वर्तमान में राजस्थान के सभी जिलो में लागू है।
योजना के अंतर्गत बच्चों में 38 प्रकार की बीमारियों का पता लगाकर उनका उपचार किया जाता है।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 4 ड़ी विकारों का पता लगाकर उनका इलाज करना है जिसमें निम्न शामिल है-
जन्मजात विकृति (defect by birth)
अपूर्णता या कमी (deficiencies)
रोग(disease)
अवरुद्ध विकास एवं विकलांगता(development delays and disabilities)
योजना अंतर्गत प्रदेश में कुल 500 से भी अधिक मोबाइल हेल्थ टीमों में प्रशिक्षित कार्मिक उपलब्ध हैं।
कार्यक्रम की अंतर्गत सरकारी विद्यालय में कक्षा एक से 12वीं तक पढ़ने वाले विद्यार्थी जिनकी आयु 18 वर्ष से कम है तथा शहरी बस्तियों में जीरो से 6 वर्ष आयु के बच्चे शामिल है ।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के ऑनलाइन पोर्टल में एक करोड़ से भी अधिक बच्चों का डाटा तैयार कर लिया गया है।
कार्यक्रम के अंतर्गत चल रही गतिविधियों की समय समय पर जिला एवं ब्लॉक स्तर पर मॉनिटरिंग की जाती है।
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना-
महिलाओं का सशक्तिकरण करने, सम्मान करने, स्वच्छ ईंधन प्रदान करने, स्वास्थ्य सुरक्षा देने और बेहतर जीवन यापन के उद्देश्य को लेकर 1 मई 2016 से केंद्र सरकार द्वारा इस योजना का शुभारंभ किया गया था।
यह योजना पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही है।
परियोजना में पांच करोड़ महिलाओं को गैस कनेक्शन के लिए 16 सो रुपए की आर्थिक राशि उपलब्ध करवाने का 2019 तक लक्ष्य रखा गया था।
इसकी सफलता को देखते हुए कार्यक्रम को 2020 तक आगे बढ़ाते हुए लक्ष्य को पांच करोड़ से 8 करोड कर दिया गया है।
योजना से पूर्व राजस्थान में केवल साठ प्रतिशत परिवार ही lpg गैस का इस्तेमाल करते थे जो संख्या अब 87 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
योजना के अंतर्गत मुफ्त गैस कनेक्शन प्राप्त करने के लिए bpl कार्ड होना आवश्यक है।
अगस्त 2018 तक राज्य में 40 लाख से अधिक परिवारों को गैस कनेक्शन दिया जा चुका है।
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