प्रबंध प्रक्रिया एवं कार्य भाग दो/Management process and functions part 2/Ras mains paper 1
अध्ययन की दृष्टि से प्रबंध के कार्यों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(अ)-प्रमुख कार्य (ब)- सहायक कार्य
(अ)-प्रमुख कार्य-
उपरोक्त विचारकों द्वारा दिए गए वर्णन में तीन कार्य सभी ने सम्मिलित किए है - नियोजन, संगठन एवं नियंत्रण । इसके अतिरिक्त कर्मचारियो के निर्देशन तथा संसाधनों के समन्वय का कार्य भी प्रमुख कार्यो की श्रेणी में ही आते है। इसलिए प्रबन्ध के प्रमुख कार्यो में निम्न को सम्मिलित किया जाता है-
नियोजन
संगठन
निर्देशन
नियंत्रण
समन्वय
आइए इन सभी पर चर्चा कर लेते है।
नियोजन (planning)-
साधारण शब्दों में नियोजन से तात्पर्य किसी कार्य को सफल रूप से पूरा करने के लिए उसकी रूपरेखा तैयार करना है।
प्रबन्धकों द्वारा जब कोई भी लक्ष्य प्राप्ति का प्रयास किया जाता है तो उसके सफल रूप से क्रियान्वन के लिए पहले एक रूपरेखा अथवा योजना बनाई जाती है।
इस योजना के अन्तर्गत विभिन्न आवश्यक साधनों, संसाधनों, कार्य के तरीकों, बजट, समय आदि का निर्धारण भी पहले ही कर लिया जाता है।
किसी भी कार्य को करने के कई विकल्प हमारे पास होते हैं पर उनमें से श्रेष्ठ तरीकें या विकल्प का चुनाव करना ही नियोजन के अन्तर्गत आता है।
नियोजन प्रक्रिया के कुछ प्रमुख तत्व या घटक होते हैं जो निम्न प्रकार हैं-
- उद्देश्य
- नीतियां एवं नियम
- कार्य की विधि
- समय
- बजट
- व्यूह रचना
नियोजन को एक चयन प्रक्रिया भी माना जा सकता है जहां हमें उपलब्ध तरीकों में से श्रेष्ठ का चुनाव करना होता है जिससे निर्धारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकें।
संगठन (organisation)-
जिस प्रकार मानव के शरीर में मेरूदण्ड होता है उसी तरह प्रबन्धन में संगठन की भूमिका होती है।
संगठन शब्द का सामान्य अर्थ लोगों को आपस में जोड़ना है।
इसमें संस्थान के विभिन्न कार्यो का निर्धारण करना, विभिन कार्यो को पूरा करने के लिए उपयुक्त कार्मिकों का चयन करना, कार्यो का विभाजन करना, कार्मिकों के अधिकार एवं दायित्व तय करना आदि कार्य सम्मिलित है।
किसी भी संस्थान की सफलता उसके संगठन की संचरना तथा कार्यो पर निर्भर करती है।
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