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Friday, October 26, 2018

मानव रक्त एवं परिसंचरण तंत्र भाग एक/Human Blood and Circulatory System Part 1

मानव रक्त एवं परिसंचरण तंत्र भाग एक/Human Blood and Circulatory System Part 1



रक्त (blood)

रक्त एक प्रकार का संयोजी उत्तक होता है।
हमारे शरीर के भार का लगभग 7% रक्त के रूप में होता है। किसी भी स्वस्थ मनुष्य में औसत रूप से 5 से 6 लीटर रक्त पाया जाता है।
रक्त एक क्षारीय प्रकृति का विलयन है जिसका पीएच मान 7.4 होता है।
रक्त के द्वारा पोषक तत्त्वों तथा ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक पहुंचाया जाता है जबकि कोशिकाओं के अपशिष्ट तत्वों व कार्बन डाइऑक्साइड को फेफड़ों व अन्य अंगों तक परिवहन  किया जाता है।
वयस्को में रक्त का निर्माण लाल अस्थि मज्जा (red bone marrow) में होता है। छोटे बच्चों में प्लीहा में इसका निर्माण होता है।

मानव शरीर में रुधिर के दो भाग होते हैं-

प्लाज्मा 
रूधिर कोशिकाएं अथवा कणिकाएं।

प्लाज्मा-

रुधिर के द्रव्य अथवा तरल भाग को प्लाज्मा के रूप में जाना जाता है। रक्त का लगभग 55% भाग प्लाज्मा के रूप में होता है। प्लाज्मा में लगभग 92% के करीब जल तथा 8% के करीब कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ होते हैं।

रुधिर कणिकाएं (blood corpuscles)

रुधिर कणिकाएं रक्त के 45% भाग का निर्माण करती है तथा प्लाज्मा में स्वतंत्र रूप से तैरती है।

लाल रुधिर कणिकाएं
श्वेत रुधिर कणिकाएं
प्लेटलेट्स

लाल रुधिर कणिकाएं-

लाल रुधिर कणिकाएं रक्त में सर्वाधिक मात्रा में होती है। यह रुधिर कणिकाओं का लगभग 99% धारण करती हैं।
लाल रुधिर कणिकाएं केवल कशेरुकी प्राणियों में ही पाई जाती है। इन कोशिकाओं में केंद्रक अनुपस्थित होता है(अपवाद ऊंट)।
लाल रुधिर कणिकाओं में हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन पाया जाता है जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता है।
हीमोग्लोबिन मानव शरीर में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड के संचरण का कार्य करता है।
लाल रुधिर कणिकाओं का निर्माण लाल अस्थि मज्जा में होता है ।
इन का औसत जीवन 120 दिन तक होता है।

श्वेत रुधिर कणिकाएं-

इन कणिकाओं को ल्यूकोसाइट के नाम से भी जाना जाता है। यह शरीर में प्रतिरक्षा का कार्य करती है।
इनकी आकृति अनियमित होती है लेकिन इनमें केंद्र पाया जाता है।
लाल रुधिर कणिकाओं की तुलना में इनकी संख्या अत्यंत कम होती है।
हिमोग्लोबिन अनुपस्थित होने की वजह से यह रंग हीन होती है।

इन कणिकाओं को पुनः दो भागों में बांटा जा सकता है-
  1. ग्रेन्यूलोसाइट (कनिकाणु)- जिन श्वेत रुधिर कणिकाओं में कण पाए जाते हैं उन्हें कनिकाणु कहा जाता है। न्यूट्रोफिल, बेसोफिल तथा इयोसिनोफिल।
  2. अकणिकाणु (एग्रेन्यूलोसाइट) -कुछ श्वेत रुधिर कणिकाओं में कोशिका द्रव में किसी प्रकार के कण नहीं पाए जाते हैं। लिंफोसाइट एवं मोनोसाइट्स के उदाहरण है।
 उपरोक्त कोशिकाओं में न्यूट्रोफिल तथा मोनोसाइट भक्षक कोशिकाओं के रूप में कार्य करती हैं।

प्लेटलेट्स या थ्रोंबोसाइट्स-

इन्हें बिंबाणु भी कहा जाता है।
यह कणिकाएं केवल स्तनधारियों के रक्त में ही पाई जाती है।
यह सूक्ष्म, रंगहीन, केंद्रक हीन एवं गोलाकार होती है।
इनके द्वारा रक्त का थक्का जमाने का कार्य किया जाता है जिससे की चोट लगने पर रक्त का बहाव रोका जा सके।
इनका जीवन काल मात्र 10 दिन का होता है। रक्त में इनकी संख्या 300000 प्रति घन मिली मीटर होती है।

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