व्यक्तित्व के प्रारूप उपागम के सिद्धांत
युंग ने अपने प्रारूप सिद्धांत के अंतर्गत व्यक्तित्व को दो प्रकारों में विभाजित किया है-
- अंतर्मुखी व्यक्तित्व(introvert personality)- ऐसे लोग स्वभाव से शर्मीले तथा एकाकी होते हैं। यह लोग एकांत में जीवन जीना पसंद करते हैं। दूसरे लोगों के साथ इनका व्यवहार तथा अंतर्क्रिया बहुत ही कम होती है।
- बहिर्मुखी व्यक्तित्व (extrovert personality)- यह लोग सामाजिक एवं मिलनसार प्रवृत्ति के होते हैं तथा ऐसे व्यवसाय चुनते हैं जिनसे लोगों से संपर्क बनाए रख सके। लोगों से बातचीत करना, सामाजिक क्रियाओं में भाग लेना आदि इनके स्वभाव की विशेषताएं होती है।
- फ्रीडमैन व रोजेनमेन का व्यक्तित्व सिद्धांत-
उपरोक्त मनोवैज्ञानिकों द्वारा मनोसामाजिक जोखिमों का अध्ययन करते हुए यह प्रारूप प्रतिपादित किया गया है। यह परिकल्पना दो विपरीत प्रकार के व्यक्तित्व का वर्णन करती है-
- टाइप ए- इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोग अधिक प्रतिस्पर्धी अधिक संगठित महत्वकांक्षी, अधीर तथा समय प्रबंधन के प्रति अत्यधिक जागरूक होते हैं। ऐसे लोग अपने कार्यस्थल पर तनाव का अनुभव करते हैं। यह लोग निश्चिंत होकर मंद गति से कार्य करने में परेशानी का अनुभव करते हैं। ऐसे लोगों के हृदय रोगों, उच्च्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि से ग्रसित होने की संभावना बनी रहती है।
- टाइप बी- इस प्रकार का व्यक्तित्व रखने वाले लोग तनाव से दूर रहते हुए लगातार काम करते हैं तथा कार्य का आनंद लेते हैं। यह प्रतिस्पर्धा के माहौल में जीतने और हारने पर कम ध्यान केंद्रित करते हैं। ऐसे लोग टाइप ए व्यक्तित्व की तुलना में अधिक सहनशील होते हैं।
- टाइप सी- मौरिस द्वारा व्यक्तित्व का एक अन्य प्रकार टाइप सी के रूप में बताया गया है। यह लोग सहयोग शील विनीत तथा धैर्यवान होते हैं। यह अपने निषेधात्मक संवेगों पर काबू पाने में सक्षम होते हैं। हालांकि इन्हें कैंसर जैसे रोगों के प्रति संवेदनशील माना जाता है।
- टाइप डी- यह एक नवीन वर्गीकरण है जिसके अंतर्गत लोगों में अवसाद ग्रसित होने की प्रवृत्ति पाई जाती है।
मानव का व्यवहार अत्यधिक जटिल परिवर्तनशील होता है। प्रारूप उपागम के अंतर्गत दिए गए विभिन्न सिद्धांत हालांकि आकर्षित करने वाले हैं लेकिन यह अत्यंत सरलीकृत प्रकृति के हैं। लोगों को किसी एक विशिष्ट व्यक्तित्व के प्रारूप में वर्गीकृत करना सरल कार्य नहीं है अतः मनोवैज्ञानिकों द्वारा कुछ अन्य सिद्धांत भी दिए गए हैं।
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