प्रबंध क्षेत्र तथा अवधारणा भाग चार/ management area and concept Part 4/RAS Mains Paper 1
प्रबंध की प्रकृति-
समय के साथ-साथ प्रबंध की प्रकृति में भी लगातार परिवर्तन हुए हैं। शुरुआती समय में जहां प्रबंधन केवल कला के विषय के रूप में विद्यमान था वही अब यह कला तथा विज्ञान दोनों रूपों में विद्यमान है। वही इसका पुरातन गैर पेशेवर रूप बदलकर पेशेवर हो गया हैं। वर्तमान में हम प्रबंध के स्वभाव तथा प्रकृति का अध्ययन निम्न रूपों के अंतर्गत करते हैं-
प्रबंध बहुविधा के रूप में
प्रबंध कला एवं विज्ञान के रूप में
प्रबंध एक पेशे के रूप में
प्रबंध की सार्वभौमिक प्रक्रिया
प्रबंध एक बहुविधा के रूप में-
- वैसे तो प्रबंध स्वयं अपने आप में एक विधा है लेकिन इसके विकास में अन्य कई विधाओं का भी योगदान होने की वजह से इसे बहु विधा के रूप में माना जाता है।
- इन विधाओं में भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास, मनोविज्ञान, मानव शास्त्र तथा समाजशास्त्र जैसी विधाएं शामिल है।
- प्रबंधन में निर्णय प्रक्रिया, संसाधनों का आवंटन व उनका समुचित प्रयोग अर्थशास्त्र से संबंधित हैं।
- प्रबंध के अंतर्गत संगठन की संरचना, संगठन के सिद्धांत तथा नौकरशाही जैसे तत्व राजनीति विज्ञान की देन है।
- व्यक्ति के व्यवहार को समझने में नियंत्रित करने संबंधी सिद्धांत प्रबंध को मनोविज्ञान व जीव विज्ञान जैसी विधाओं से प्राप्त हुए हैं।
- मानव शास्त्र ने प्रबंध को नैतिक मूल्यों और व्यावसायिक नैतिकता संबंधी सिद्धांत प्रदान किए हैं।
- समाजशास्त्र ने व्यक्ति समूह की अवधारणा व उनकी कार्यप्रणाली को समझने में प्रबंध में योगदान दिया है।
इससे पता चलता है कि प्रबंध के अंतर्गत विभिन्न विधाओं से सिद्धांतों का एकीकरण करके प्रबंधकों के योग्य बनाए गया है।
कुछ लोग प्रबंध को कला के रूप में, कुछ विज्ञान के रूप में तथा कुछ दोनों के रूप में मानते हैं।
प्रबंध विज्ञान के रूप में-
विज्ञान से तात्पर्य प्रकृति के क्रमबद्ध अध्ययन से प्राप्त सुव्यवस्थित ज्ञान से हैं जो कारण तथा परिणाम में संबंध को दर्शाता है।
विज्ञान के विभिन्न सिद्धांत प्रयोगों पर आधारित होते हैं तथा सार्वभौमिक रुप से लागू होते हैं। इन सिद्धांतो का प्रयोग समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है।
प्रबंध के सिद्धांत भी प्रयोगों पर आधारित हैं तथा कारण व परिणाम में संबंध दर्शाते हैं लेकिन विज्ञान के कई गुणों को प्रबंध धारण नहीं करता है। जैसे कि प्रबंध के सिद्धांत परिवर्तनीय व परिस्थितिजन्य होते हैं। प्रबंध में वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग तो होता है लेकिन यह शुद्ध विज्ञान नहीं है।
प्रबंध को अयथार्थ विज्ञान कहा जा सकता है।
प्रबंध कला के रूप में-
कला विषय व्यवहार एवं अभ्यास पर आधारित होता है।
कला से मतलब विधि से हैं जिसमें सिद्धांतो का प्रयोग कुशलतापूर्वक करके इच्छित परिणाम प्राप्त किया जाता है।
प्रबंध में कला की निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती है-
- प्रबंध में भी कला की भांति निरंतर अभ्यास से दक्षता प्राप्त की जा सकती है।
- प्रबंध भी अन्य कलाओं की भांति मानवीय व्यक्तिगत गुणों पर आधारित है।
- कला की तरह ही प्रबंध में भी सृजनात्मकता के माध्यम से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
देखा जाय तो प्रबंध की शुरुआत कला के रुप में हुई थी तथा बाद में वैज्ञानिक पद्धतियों को शामिल किया गया।
इस प्रकार देखा जाए तो प्रबंध विज्ञान एवं कला दोनों ही है तथा दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
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