व्यावसायिक वित्त के प्रकार/type of Business Finance/Ras mains paper 1
किसी भी व्यवसाय को चलाने के लिए हमें धन अर्थात वित्त की आवश्यकता होती है।
यदि धन का उपयोग व्यवसाय को आगे बढ़ाने तथा व्यावसायिक तरीकों में किया जाता है तो इसे व्यावसायिक वित्त कहा जाता है। इसके अंतर्गत धन की प्राप्ति एवं उसका उपयोग दोनों बिन्दु सम्मिलित है।
किसी भी व्यवसाय के लिए धन की आवश्यकता मुख्यत संपत्ति के क्रय, विभिन्न दैनिक खर्चों के भुगतान, उत्पादन एवं बिक्री के बीच के समय की पूर्ति तथा अचानक होने वाले व्ययों की पूर्ति के लिए होती है।
व्यावसायिक वित्त को व्यापार के लिए वित्त की आवश्यकता की अवधि के अनुसार तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
अल्पकालीन वित्त
मध्यकालीन वित्त
दीर्घकालीन वित्त
मध्यकालीन वित्त
दीर्घकालीन वित्त
अल्पकालीन वित्त-
व्यवसाय के दिन प्रतिदिन के खर्चों की पूर्ति के लिए जिस धन की आवश्यकता होती है, उसे अल्पकालीन वित्त कहा जाता है।
इसके अंतर्गत उत्पादन हेतु कच्चे माल, किराया, दैनिक मजदूरी, बिजली, पानी आदि के बिल के खर्च शामिल है।
1 वर्ष तथा उससे कम समयावधि वाले खर्च अल्पकालीन वित्त के अंतर्गत आते हैं।
इसी धन को कार्यशील अथवा चक्र शील पूंजी भी कहा जाता है।
मध्यकालीन वित्त-
वह दिन जो 1 वर्ष से अधिक लेकिन 5 वर्ष से कम अवधि वाले कार्यों में उपयोगी होता है मध्यकालीन वित्त की श्रेणी में रखा जाता है।
आधुनिकीकरण, नवीनीकरण तथा विज्ञापन पर होने वाले खर्च इसमें शामिल होते हैं।
दीर्घकालीन वित्त-
5 वर्ष से अधिक समय के लिए निवेश हेतु आवश्यक धनराशि को दीर्घकालीन वित्त के अंतर्गत रखा जाता है।
इस प्रकार के वित्त की आवश्यकता सामान्यतः संपत्ति भूमि, मशीनरी तथा फर्नीचर आदि वस्तुएं खरीदने के लिए किया जाता है।
इसकी दीर्घकालीन प्रवृत्ति की वजह से इसे स्थाई पूंजी भी कहा जाता है।
इसके द्वारा खरीदी गई वस्तुएं बेचने के लिए नहीं अपितु स्थाई रूप से उपयोग करने के लिए होती है।
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