प्रबंध क्षेत्र तथा अवधारणा भाग दो/ management area and concept Part 2/RAS Mains Paper 1
प्रबंध की विशेषताएं-
प्रबंध एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है।
प्रबंध सर्वव्यापी तथा सार्वभौमिक है।
यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
प्रबंध एक सामूहिक प्रक्रिया है।
प्रबंध एक मानवीय कार्य है।
प्रबंध एक गतिशील कार्य है।
प्रबंध एक अमूर्त शक्ति है।
बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें कार्य, मानव संसाधन तथा परिचालन तीनों परिमाणों का प्रबंध करना होता है।
प्रबंध एक सृजनात्मक कार्य है।
प्रबंधन मानवीय प्रयासों तथा भौतिक संसाधनों के समन्वय की प्रक्रिया है।
प्रबंध के उद्देश्य-
प्रबंध एक उद्देश्य पर आधारित प्रक्रिया है। प्रबंध एक विस्तृत क्रियाओं का समूह होने की वजह से इसके उद्देश्य भी विस्तृत होते हैं जिन्हें निम्न भागों में बांटा जा सकता है
- संगठनात्मक उद्देश्य
- प्राथमिक उद्देश्य
- सहायक उद्देश्य
- सामाजिक उद्देश्य
- व्यक्तिगत उद्देश्य
प्राथमिक उद्देश्य-
किसी भी संगठन द्वारा उससे जुड़े हुए सभी पक्षों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना आवश्यक होता है। सभी पक्षों की आकांक्षाओं की पूर्ति कर के ही कोई संगठन अपने प्राथमिक उद्देश्य की पूर्ति करने में सफल हो पाता है। इसके अंतर्गत प्रभावपूर्ण एवं कुशल उत्पादनप्रभावपूर्ण एवं कुशल उत्पादन, उचित मूल्य पर वितरण, सभी संसाधनों को उचित पारिश्रमिक का वितरण तथा अंत में उपक्रम के लिए उचित लाभार्जन की प्राप्ति सम्मिलित हैं।
सहायक उद्देश्य-
संगठन द्वारा प्राथमिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कुछ सहायक उद्देश्य भी निर्धारित किए जाते हैं, जिससे प्राथमिक उद्देश्य को भलीभांति प्राप्त किया जा सके। यह सहायक उद्देश्य संगठन की आंतरिक कार्य प्रणाली से संबंधित होते हैं।
इसमें संगठन के विभिन्न संसाधनों एवं मानवीय भौतिक तथा वित्तीय संसाधनों में गुणवत्ता उत्पन्न करना, यथोचित समय वह स्थान का चुनाव, सभी संसाधनों में सामंजस्य स्थापित करना आदि क्रियाविधि शामिल है।
व्यक्तिगत उद्देश्य-
किसी भी संगठन के लिए मानवीय संसाधन सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है क्योंकि संगठन की सफलता मानवीय संसाधनों की संतुष्टि पर ही निर्भर होती है। वित्तीय तथा भौतिक संसाधनों का संचालन एवं मानवीय संसाधनों द्वारा किया जाता है।
संगठन के मानवीय संसाधनों को अलग-अलग भागों में वर्गीकृत किया जाता है तथा उद्यमी, प्रबंधक एवं अन्य कर्मचारी। इन सभी वर्गों के लिए अलग-अलग उत्तरदायित्व, कार्य एवं आकांक्षाएं निर्धारित होती है।
अतः प्रबंध के लिए यह आवश्यक है कि वह कार्यस्थल पर ऐसा वातावरण विकसित करें जिससे सभी मानवीय संसाधनों की आकांक्षाओं की पूर्ति हो सके तथा उनकी क्षमता का अधिकतम उपयोग किया जा सके।
सामाजिक उद्देश्य-
चूंकि संगठन को सभी प्रकार के संसाधन समाज से ही प्राप्त होते हैं अतः प्रत्येक चरण पर उसे समाज की भलाई का ही उद्देश्य साथ लेकर चलना होता है। निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व भी ऐसा ही उदाहरण है। समाज के संसाधनों का संतुलित विकास व उनका समुचित उपयोग, समाज के सभी वर्गों की आकांक्षाओं की पूर्ति, अच्छे आचरण को बढ़ावा आदि उद्देश्य सामाजिक उद्देश्य ही हैं।
बहुत अच्छे से आपने इतने जटिल विषय को समझनेस का प्रयत्न किया है जो वाकई काबिलेतारिफ है।
ReplyDeleteबहुत अच्छे से आपने इतने जटिल विषय को समझनेस का प्रयत्न किया है जो वाकई काबिलेतारिफ है।
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