Dovelopement of sport in india/national sport policies/RAS Mains paper 3
खेल कूद हमेशा से ही व्यक्ति के चहुमुखी विकास का अंग रहा है। ये मनोरंजन के साथ साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा तथा समाज में आपसी लगाव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
देश में इस क्षेत्र में प्रारंभिक प्रयास 1982 के नवें एशियाई के भारत में आयोजन के साथ हुआ जब पहली राष्ट्रीय खेल नीति 1984 की घोषणा की गई।
राष्ट्रीय खेल नीति 1984
देश में खेलो के विकास तथा संवर्धन के लिए व्यापक नीतिगत रूपरेखा के विकास की और पहली शुरुआत थी। यह नीति खेल अवस्थापना के विकास पर जोर देते हुए शारीरिक शिक्षा तथा खेलो को स्कूली पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाती है।
इस नीति में बुनियादी न्यूनतम खेल अवस्थापना के सृजन तथा खेल गतिविधियों के लिए वर्तमान खेल के मैदानों व सुरक्षित खुले स्थानों के संरक्षण के लिए यदि आवश्यक हो तो उपयुक्त विधान के द्वारा एक समयबद्ध कार्यक्रम की आवश्यकता पर बल दिया गया।
खेलो को प्रोत्साहन देने के लिए देश में 19 अगस्त 1992 को एक राष्ट्रीय खेल नीति की घोषणा की गई जो की वर्ष 1984 मे घोषित राष्ट्रीय खेल नीति का एक विस्तृत रूप था।
इस नीति के अंतर्गत निम्न चार बातो पर बल दिया गया है -
देश में खेलो के लिए माहौल तैयार करना।
खेलो का विस्तार।
प्रतियोगिता के स्तर में सुधार तथा
खेल प्रबंधन आदि।
राष्ट्रीय खेल नीति 2001 -
यह नीति प्रमुख रूप से खेलो में विशिष्टता को प्रोत्साहन देती है तथा इसे व्यापक बनाती है।
इस नीति के प्रमुख बिंदु निम्न प्रकार है -
खेलकूद के आधार को व्यापक करना तथा और अधिक विशिष्टता हासिल करना।
बुनियादी ढांचे का उन्नयन तथा विकास।
राष्ट्रीय खेल परिसंघों तथा अन्य उचित निकायों को समर्थन तथा सहयोग प्रदान करना।
खेलो में वैज्ञानिक तथा कोचिंग समर्थन को मजबूत करना।
खेलो को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन प्रदान करना।
महिलाओ, अनुसूचित जातियों तथा ग्रामीण युवाओ की भागीदारी को बढ़ाना।
खेलो के प्रचार प्रसार के लिए कॉर्पोरेट जगत की सहायता प्राप्त करना।
आम जनता में खेल के प्रति रुचि को बढ़ाना।
व्यापक राष्ट्रीय खेल नीति 2007 -
उद्देश्य- इसका उद्देश्य पहले की खेल नीतियों में छूट गए एजेंडे की और तथा 21 वी सदी में भारत के समक्ष उभर रही चुनोतियो{जिसमे न केवल विश्व में शक्ति के रूप म् उभरना बल्कि विशेष रूप से निकट भविष्य में आर्थिक शक्ति के रूप में उभरना भी शामिल है।} की और ध्यान आकर्षित करना है।
इस नीति में व्यक्तित्व के विकास,विशेषकर युवाओ के विकास, सामुदायिक विकास, स्वास्थ्य एवं अच्छा रहन सहन, आर्थिक विकास एवं मनोरंजन तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति व भाईचारे की भावना के विकास में खेल तथा शारीरिक शिक्षा के योगदान को पूरी तरह स्वीकार किया गया है।
इस नीति का लक्ष्य भारत में खेलो के फ्रेमवर्क को और अधिक प्रभावी बनाना तथा सभी स्वामित्वधारियो की पूर्ण स्वामित्व और सहभागिता को शामिल करना है।
देश में इस क्षेत्र में प्रारंभिक प्रयास 1982 के नवें एशियाई के भारत में आयोजन के साथ हुआ जब पहली राष्ट्रीय खेल नीति 1984 की घोषणा की गई।
राष्ट्रीय खेल नीति 1984
देश में खेलो के विकास तथा संवर्धन के लिए व्यापक नीतिगत रूपरेखा के विकास की और पहली शुरुआत थी। यह नीति खेल अवस्थापना के विकास पर जोर देते हुए शारीरिक शिक्षा तथा खेलो को स्कूली पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाती है।
इस नीति में बुनियादी न्यूनतम खेल अवस्थापना के सृजन तथा खेल गतिविधियों के लिए वर्तमान खेल के मैदानों व सुरक्षित खुले स्थानों के संरक्षण के लिए यदि आवश्यक हो तो उपयुक्त विधान के द्वारा एक समयबद्ध कार्यक्रम की आवश्यकता पर बल दिया गया।
खेलो को प्रोत्साहन देने के लिए देश में 19 अगस्त 1992 को एक राष्ट्रीय खेल नीति की घोषणा की गई जो की वर्ष 1984 मे घोषित राष्ट्रीय खेल नीति का एक विस्तृत रूप था।
इस नीति के अंतर्गत निम्न चार बातो पर बल दिया गया है -
देश में खेलो के लिए माहौल तैयार करना।
खेलो का विस्तार।
प्रतियोगिता के स्तर में सुधार तथा
खेल प्रबंधन आदि।
राष्ट्रीय खेल नीति 2001 -
यह नीति प्रमुख रूप से खेलो में विशिष्टता को प्रोत्साहन देती है तथा इसे व्यापक बनाती है।
इस नीति के प्रमुख बिंदु निम्न प्रकार है -
खेलकूद के आधार को व्यापक करना तथा और अधिक विशिष्टता हासिल करना।
बुनियादी ढांचे का उन्नयन तथा विकास।
राष्ट्रीय खेल परिसंघों तथा अन्य उचित निकायों को समर्थन तथा सहयोग प्रदान करना।
खेलो में वैज्ञानिक तथा कोचिंग समर्थन को मजबूत करना।
खेलो को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन प्रदान करना।
महिलाओ, अनुसूचित जातियों तथा ग्रामीण युवाओ की भागीदारी को बढ़ाना।
खेलो के प्रचार प्रसार के लिए कॉर्पोरेट जगत की सहायता प्राप्त करना।
आम जनता में खेल के प्रति रुचि को बढ़ाना।
व्यापक राष्ट्रीय खेल नीति 2007 -
उद्देश्य- इसका उद्देश्य पहले की खेल नीतियों में छूट गए एजेंडे की और तथा 21 वी सदी में भारत के समक्ष उभर रही चुनोतियो{जिसमे न केवल विश्व में शक्ति के रूप म् उभरना बल्कि विशेष रूप से निकट भविष्य में आर्थिक शक्ति के रूप में उभरना भी शामिल है।} की और ध्यान आकर्षित करना है।
इस नीति में व्यक्तित्व के विकास,विशेषकर युवाओ के विकास, सामुदायिक विकास, स्वास्थ्य एवं अच्छा रहन सहन, आर्थिक विकास एवं मनोरंजन तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति व भाईचारे की भावना के विकास में खेल तथा शारीरिक शिक्षा के योगदान को पूरी तरह स्वीकार किया गया है।
इस नीति का लक्ष्य भारत में खेलो के फ्रेमवर्क को और अधिक प्रभावी बनाना तथा सभी स्वामित्वधारियो की पूर्ण स्वामित्व और सहभागिता को शामिल करना है।
1984 के बाद सेकंड खेल नीति 1992 थी??
ReplyDeletepta nhi. haha
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