प्रबोधन युग/age of enlightment/RAS mains paper 1
17वीं से 18 वीं शताब्दी के काल को यूरोप में प्रबोधन युग के नाम से जाना जाता है।
इस युग को ज्ञानोदय अथवा विवेक का युग आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है।
पुनर्जागरण तथा धर्म सुधार आंदोलन जैसी घटनाओं ने प्रबोधन के लिए आधार तैयार किया।
इसकी प्रेरणा स्वरूप फ्रांसीसी क्रांति, अमेरिकी क्रांति तथा नेपोलियन के सैनिक अभियान जैसी महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित हुई।
प्रबोधनकालीन चिंतको ने धर्म आधारित मान्यताओं को नकारते हुए दुनिया में होने वाली प्रत्येक घटना के पीछे किसी स्थायी तथा अपरिवर्तनशील प्राकृतिक नियम का हाथ माना।
प्रबोधन की प्रमुख विशेषताएँ -
धर्म से ऊपर उठकर मानवतावादी दृष्टिकोण का विकास।
कार्य कारण संबंध का विकास।
कार्य कारण संबंध का विकास।
ज्ञान तथा प्राकृतिक विज्ञान में संबंध की उत्पत्ति।
देववाद।
प्रकृति अपने आप में सुंदर है, जिसे मनुष्य ने अपने आचरण से बिगाड़ दिया है।
प्रबोधन कालीन विचारक-
रूसो-
18वीं शताब्दी
सर्वाधिक प्रभावशाली लेखक
रचनाएं-सोशल कॉन्ट्रैक्ट , सेकंड डिस्कोर्स
प्रारंभ में मनुष्य स्वतंत्र तथा प्रसन्न।
प्रतियोगिता की भावना की वजह से असमानता, अन्याय व शोषण की उत्पत्ति।
कानून जनता की सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति।
समानता एवं स्वतंत्रता समाज के संगठन का आधार।
सर्वाधिक प्रभावशाली लेखक
रचनाएं-सोशल कॉन्ट्रैक्ट , सेकंड डिस्कोर्स
प्रारंभ में मनुष्य स्वतंत्र तथा प्रसन्न।
प्रतियोगिता की भावना की वजह से असमानता, अन्याय व शोषण की उत्पत्ति।
कानून जनता की सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति।
समानता एवं स्वतंत्रता समाज के संगठन का आधार।
मॉन्टेस्क्यू-
18 वीं शताब्दी, फ्रांसीसी विचारक।
रचनाएं- स्पिरिट ऑफ ला
परिस्थितियों के हिसाब से सरकार का निर्माण होना चाहिए।
विशाल देशों के लिए निरंकुश, मध्यम दर्जे के देशों के लिए सीमित राजतंत्र तथा छोटे देशों के लिए गणतंत्र होना चाहिए।
शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत का समर्थन।
रचनाएं- स्पिरिट ऑफ ला
परिस्थितियों के हिसाब से सरकार का निर्माण होना चाहिए।
विशाल देशों के लिए निरंकुश, मध्यम दर्जे के देशों के लिए सीमित राजतंत्र तथा छोटे देशों के लिए गणतंत्र होना चाहिए।
शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत का समर्थन।
एडम स्मिथ-
18 वीं शताब्दी, स्कॉटलैंड, महान अर्थशास्त्री
रचना - वेल्थ ऑफ नेशंस
प्रगति के लिए व्यवसाय की स्वतंत्रता आवश्यक।
बाजार मूल्य एवं गुणवत्ता का निर्धारण प्रतियोगिता के आधार पर।
लेसेज फेयर( मुक्त व्यापार) का सिद्धांत, मांग पूर्ति का नियम।
रचना - वेल्थ ऑफ नेशंस
प्रगति के लिए व्यवसाय की स्वतंत्रता आवश्यक।
बाजार मूल्य एवं गुणवत्ता का निर्धारण प्रतियोगिता के आधार पर।
लेसेज फेयर( मुक्त व्यापार) का सिद्धांत, मांग पूर्ति का नियम।
कांट-
जर्मन दार्शनिक, 18 वीं सदी।
नैतिक कर्तव्य तथा प्राकृतिक विज्ञान का तुलनात्मक अध्ययन।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर विशेष बल।
राजनीतिक व्यवस्था लोक इच्छा पर आधारित होनी चाहिए।
नैतिक कर्तव्य तथा प्राकृतिक विज्ञान का तुलनात्मक अध्ययन।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर विशेष बल।
राजनीतिक व्यवस्था लोक इच्छा पर आधारित होनी चाहिए।
जॉन लॉक-
17 वी शताब्दी, अंग्रेज दार्शनिक।
रचनाएं -एन एस्से कंसर्निंग ह्यूमन अंडरस्टैंडिंग
प्रत्येक व्यक्ति के मूलभूत प्राकृतिक अधिकारों को स्वीकृति।
राज्य की सीमित संप्रभुता का सिद्धांत।
सरकार प्राकृतिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए है।
रचनाएं -एन एस्से कंसर्निंग ह्यूमन अंडरस्टैंडिंग
प्रत्येक व्यक्ति के मूलभूत प्राकृतिक अधिकारों को स्वीकृति।
राज्य की सीमित संप्रभुता का सिद्धांत।
सरकार प्राकृतिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए है।
वाल्तेयर-
फ्रांसीसी दार्शनिक, 18वीं शताब्दी
रचनाएं - "लुई 14 वें का युग, बदनाम चीजों को नष्ट कर दो।"
लेखक, कवि, नाटककार, व्यंग्यकार तथा दार्शनिक।
"संपादकों का राजा" उपाधि से सम्मानित।
शोषण तथा अंधविश्वास का कटु आलोचक।
चर्च के विरोध का मूल प्रतिपादक।
रचनाएं - "लुई 14 वें का युग, बदनाम चीजों को नष्ट कर दो।"
लेखक, कवि, नाटककार, व्यंग्यकार तथा दार्शनिक।
"संपादकों का राजा" उपाधि से सम्मानित।
शोषण तथा अंधविश्वास का कटु आलोचक।
चर्च के विरोध का मूल प्रतिपादक।
प्रबोधन काल का प्रभाव-
व्यापार एवं तकनीक के क्षेत्र में प्रगति से औद्योगीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
राजतंत्र की समाप्ति के साथ गणतंत्रों की शुरुआत।
साहित्य का विकास हुआ।
नवीन विचारों तथा दृष्टिकोणों का प्रसार।
शिक्षा का प्रसार तथा निम्न वर्ग का उत्थान।
राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन।
प्रबोधन तथा पुनर्जागरण में अंतर-
पुनर्जागरण कालीन चिंतक अतीत के ज्ञान को ही श्रेष्ठ मानते थे जबकि प्रबोधन कालीन चिंतकों ने स्वयं को एक नए रास्ते की और अग्रसर किया।
पुनर्जागरण ज्ञान के सैद्धांतिक पक्ष पर आधारित था वही प्रबोधन काल चिंतन तर्क तथा परीक्षण व प्रमाण जैसे मुद्दों पर विश्वास करता था।
पुनर्जागरण में वैज्ञानिक क्षेत्र में निजी प्रयास हुए वहीं प्रबोधन काल के दौरान सामूहिक रूप से इस क्षेत्र का विकास किया गया।
इस टॉपिक पर विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिया गया वीडियो देखिए
Sir excellent. You are sharing knowledge which not available in books & brief & very useful.pl continue sir
ReplyDeleteWell sir
ReplyDeleteसर जी पीडीएफ हो तो उपलब्ध करवाएं विश्व इतिहास,
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