राजस्थान सुजस पत्रिका अप्रैल 2018 महत्वपूर्ण बिंदु /sujas magazine April 2018 important facts
भामाशाह योजना
भामाशाह योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा 15 अगस्त 2014 को की गई।
यह योजना मुख्यत महिला सशक्तिकरण तथा सरकारी योजनाओं के लाभ के सीधे हस्तांतरण पर केंद्रित है।
योजना के तहत सामाजिक सुरक्षा पेंशन, मनरेगा भुगतान, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, छात्रवृति, जननी सुरक्षा योजना, स्वास्थ्य बीमा योजना आदि के लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किये जा रहे हैं।
योजना में शामिल सभी बीपीएल, स्टेट बीपीएल, अंत्योदय, अन्नपूर्णा में चयनित परिवारों की महिला मुखिया के बैंक खाते में ₹2000 की सहायता राशि एक मुश्त प्रदान की जाती है।
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भामाशाह प्लेटफार्म से वितरित लाभों का वर्ष में 2 बार ग्राम सभा द्वारा सामाजिक अंकेक्षण किया जाता है।
लाभार्थी स्वयं भी भामाशाह मोबाइल एप्प माध्यम से उसे प्राप्त लाभ का विवरण प्राप्त कर सकते हैं।
योजना के तहत अब तक कुल 5 करोड़ 63 लाख लोगों का नामांकन हो चुका है।
भामाशाह योजना की सफल क्रियान्विति के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2015-16 में राज्य को राष्ट्रीय ई गवर्नेंस का स्वर्ण पुरस्कार भी प्रदान किया है।
2018-19 के बजट में भामाशाह कार्ड धारक राष्ट्रीय खाद्य अधिनियम से जुड़े परिवारों के सदस्यों का ₹100000 तक का दुर्घटना बीमा कराने की महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। इसे भामाशाह सुरक्षा कवच नाम दिया गया है।
भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना
भामाशाह योजना से आगे बढ़ते हुए सरकार द्वारा आम लोगों, विशेषकर कमजोर वर्ग के मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत 13 दिसंबर 2015 को की गई।
कैशलेस इलाज की सुविधा के लिए योजना में 1715 बिमारियों को कवर करते हुए 1304 चिकित्सालयों को जोड़ा गया है। इनमें 503 सरकारी तथा 801 निजी चिकित्सालय शामिल है।
योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल एक करोड़ से ज्यादा परिवार लाभांवित हो रहे हैं।
योजना के तहत सामान्य बीमारी पर ₹30000 तथा चिन्हित गंभीर बीमारी पर तीन लाख रुपए का बीमा कवर दिया गया है।
योजना में पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती के दौरान हुए खर्च के अलावा भर्ती से 7 दिन पहले तथा इलाज के 15 दिन बाद तक का खर्चा प्राप्त करने का हक प्रदान किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा हर वर्ष प्रत्येक बीमित परिवार के लिए ₹370 का प्रीमियम न्यू इंडिया बीमा कंपनी को दिया जा रहा है।
योजना के दूसरे चरण की शुरुआत 13 दिसंबर 2017 से की गई है।
पैसिफिक एरिया ट्रेवल राइटर्स एसोसिएशन (पटवा) की ओर से आईटीबी बर्लिन में आयोजित समारोह में आरटीडीसी तथा भारतीय रेलवे द्वारा संयुक्त रुप से संचालित लग्जरी पर्यटक ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स को टूरिस्ट ट्रेन ऑफ द ईयर की श्रेणी में पटवा अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड दिया गया है।
23 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री कार्यालय में युवा विकास प्रेरक समीक्षा एवं मार्गदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य मंत्री ने युवा नेट लांच किया। इस एनी टाइम प्लेटफार्म माध्यम से लाखों युवा सीधे मुख्यमंत्री से संवाद कर सकेंगे।
26 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री द्वारा भीलवाड़ा जिले में गुर्जरों की आस्था की केंद्र तथा भगवान देवनारायण की जन्म स्थली मालासरी डूंगरी में भगवान देवनारायण पैनोरमा की नींव रखी।
प्रदेश में सो करोड़ रुपए की लागत से 30 पैनोरमा का निर्माण करवाया जा रहा है। अब अलवर में राजा भरतरी, राजसमंद में महाराणा कुंभा, सीकर में भक्त शिरोमणि करमेती बाई, अजमेर में श्री सेन महाराज तथा चित्तौड़गढ़ में भगवान परशुराम के पैनोरमा का निर्माण भी किया जाएगा।
प्रदेश में सो करोड़ रुपए की लागत से 30 पैनोरमा का निर्माण करवाया जा रहा है। अब अलवर में राजा भरतरी, राजसमंद में महाराणा कुंभा, सीकर में भक्त शिरोमणि करमेती बाई, अजमेर में श्री सेन महाराज तथा चित्तौड़गढ़ में भगवान परशुराम के पैनोरमा का निर्माण भी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक अप्रैल को जयपुर में हाई कोर्ट परिसर स्थित ई लाइब्रेरी का उद्घाटन किया यह लाइब्रेरी राजस्थान की पहली ई लाइब्रेरी है जहां पर हाई कोर्ट के वकील कानून की पुस्तकों का निशुल्क अध्ययन कर सकेंगे।
राजस्थान की लोक चित्रकला शैली फड़ को वैश्विक पहचान दिलाने वाले श्रीलाल जोशी जी का हाल में निधन हो गया है।
उनका जन्म भीलवाड़ा के शाहपुरा में 5 मार्च 1931 को हुआ था। इन्होंने फड़ की समकालीन शैली विकसित की।
फड़ के साथ उन्होंने भित्ति चित्रों के लिए भी प्रसिद्धि पाई। वह प्राचीन फ्रेस्को शैली में भित्ति चित्रण करते थे। कला का सर्वश्रेष्ठ नेशनल अवॉर्ड 1984 में मिला तथा सन 2006 में इन्हें पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।
2007 में इन्हें शिल्प गुरु की उपाधि प्रदान की गई। भारत सरकार ने उनकी प्रसिद्ध रचना देवनारायण जी की फड़ पर डाक टिकट भी जारी किया है।
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उनका जन्म भीलवाड़ा के शाहपुरा में 5 मार्च 1931 को हुआ था। इन्होंने फड़ की समकालीन शैली विकसित की।
फड़ के साथ उन्होंने भित्ति चित्रों के लिए भी प्रसिद्धि पाई। वह प्राचीन फ्रेस्को शैली में भित्ति चित्रण करते थे। कला का सर्वश्रेष्ठ नेशनल अवॉर्ड 1984 में मिला तथा सन 2006 में इन्हें पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।
2007 में इन्हें शिल्प गुरु की उपाधि प्रदान की गई। भारत सरकार ने उनकी प्रसिद्ध रचना देवनारायण जी की फड़ पर डाक टिकट भी जारी किया है।
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