राजस्थान का बंगाल की खाड़ी प्रवाह तंत्र
बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों में चंबल बनास बाणगंगा व उनकी सहायक नदियां प्रमुख हैं।
यह सभी नदियां यमुना नदी में जाकर मिलती है।
यह राज्य के कुल प्रवाह का 22.4 तथा समस्त जल ग्रहण क्षेत्र का 53.13 प्रतिशत क्षेत्र धारण करती है
चंबल नदी-
अन्य नाम- चर्मण्वती, राजस्थान की कामधेनू
उद्गम स्थल - जनापाव की पहाड़ी महू मध्यप्रदेश
कुल लम्बाई 965 किलोमीटर है जिसमें से राजस्थान में 135 किलोमीटर है।
राजस्थान में यह नदी चित्तौड़गढ़ के चौरासीगढ़ गांव से प्रवेश करती है तथा चित्तौड़गढ़, बूंदी, कोटा, सवाई माधोपुर, करौली व धोलपुर जिलो से बहती है।
यह नदी राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के बीच 250 किलोमीटर लंबी सीमा का निर्माण करती है।
यह वर्ष भर बहने वाली नदी है।
यह भारत की दक्षिण से उत्तर की ओर बहने वाली नदी है।
यह नदी मध्य प्रदेश के महू, मंदसौर, उज्जैन तथा रतलाम जिलों से होकर बहती है।
राजस्थान से निकलने के पश्चात यह नदी उत्तर प्रदेश में इटावा के मुराद गंज के पास यमुना नदी में मिल जाती है।
चंबल नदी का घना जंगल का क्षेत्र डांग क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।
नदी के द्वारा प्रदेश में सर्वाधिक अवनालिका अपरदन किया जाता है।
चंबल की सहायक नदियां-
इसकी सहायक नदियां में बनास, पार्वती, काली सिंध, मेज, ब्राह्मणी नदी प्रमुख है।
पार्वती नदी-
इस नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के देवास की पहाड़ियों से होता है तथा 300 किलोमीटर मध्यप्रदेश में बहने के पश्चात यह नदी बारां जिले के करियाहाट में प्रवेश करती है।
लगभग 100 किलोमीटर बारां में बहने के पश्चात यह वापस मध्य प्रदेश में चली जाती है तथा सवाई माधोपुर के पालीघाट में चंबल में मिल जाती है
काली सिंध नदी-
यह नदी मध्य प्रदेश के देवास में स्थित बागली गांव से निकलती है तथा झालावाड जिले से राजस्थान में प्रवेश करती है। यह नदी नानेरा नामक स्थान पर चंबल नदी में मिल जाती है।
इसकी सहायक नदियों में परवन, आहू, उजाड़ तथा चंद्रभागा नदी है।
आहू नदी
यह नदी मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले से निकलती है तथा झालावाड़ के नंदपुर से राजस्थान में प्रवेश करती है। उसके पश्चात झालावाड़ में बहती हुई गागरोन के पास काली सिंध में मिलती है। यही पर गागरोन का प्रसिद्ध किला भी है।
रेवा, पीपलाज तथा क्यासरी इसकी सहायक नदियां है।
परवन नदी
मध्य प्रदेश से निकलकर यह नदी झालावाड़ के मनोहर थाना में प्रवेश करती है तथा कोटा जिले में काली सिंध नदी में मिल जाती है। निवाज नदी इसकी सहायक नदी है।
बामनी (ब्राह्मणी) नदी-
यह नदी चित्तौड़गढ़ के हरिपुरा गांव की पहाड़ियों से निकलती है तथा भैंसरोडगढ़ के पास चंबल नदी में मिलती है जहां राजस्थान का सबसे बड़ा 18 मीटर ऊंचा चूलिया जलप्रपात है।
मेज नदी
यह नदी भीलवाड़ा से निकलकर बूंदी जिले में बहती है तथा अंत में सीनपुर के निकट चंबल नदी में मिल जाती है। इसकी सहायक नदी कुराल ऊपर माल के पठार से निकलकर बूंदी में इसमें मिलती है।
चंबल परियोजना के अंतर्गत इस नदी पर कुल 4 बांधों का निर्माण किया गया है-
गांधी सागर बांध (मध्य प्रदेश)
राणा प्रताप सागर बांध (चित्तौड़गढ़ राजस्थान)
जवाहर सागर बांध (कोटा राजस्थान)
कोटा बेराज (कोटा राजस्थान)
राणा प्रताप सागर बांध (चित्तौड़गढ़ राजस्थान)
जवाहर सागर बांध (कोटा राजस्थान)
कोटा बेराज (कोटा राजस्थान)
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