पिछली राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 के लगभग 15 साल बाद नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की घोषणा की गई है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश, स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन तथा वित्त पोषण, रोगों की रोकथाम, प्रौद्योगिकी को बढ़ावा, स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान को बढ़ाने आदि सभी प्राथमिकताओं की जानकारी इस नीति में दी गई है।
नीति का उद्देश्य सभी लोगो विशेषकर अल्प सेवित तथा उपेक्षित लोगों को सुनिश्चित स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराना है।
नीति में स्वास्थ्य संवर्धन तथा रोकथाम को बढ़ावा देते हुए रुग्णता देखभाल की बजाए आरोग्यता पर ध्यान देने की कोशिश की गई है।
नीति में निजी क्षेत्र के साथ सुदृढ़ भागीदारी करने की परिकल्पना भी की गई है।
नीति में जन स्वास्थ्य पर व्यय को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5% तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है।
इसमें स्वास्थय तथा आरोग्यता केंद्रों के माध्यम से समुचित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का बड़ा पैकेज प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।
इसका उद्देश्य प्रति हजार व्यक्तियों पर दो बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
नीति में प्रस्तावित प्रमुख लक्ष्य
जन्म के समय आजीवन प्रत्याशा को वर्तमान स्थिति से बढ़ाकर 2025 तक 70 वर्ष करना।
2025 तक राष्ट्रीय स्तर पर टीएफआर को हटाकर एक तक लाना।
2025 तक 5 वर्ष से कम आयु के बालको की मृत्यु दर को घटाकर 23 तथा मातॄ मृत्यु दर को 100 तक लाना।
नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना।
नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना।
एचआईवी एड्स के लिए वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करना जिसे 90:90:90 के रूप में जाना जाता है।
2017 तक कालाजार, लिम्फेटिक फिलेरियेसीस तथा 2018 तक कुष्ठ रोग का उन्मूलन करके स्थिति को बनाए रखना
क्षय रोग के नए रोगियों में 85% से अधिक की इलाज दर प्राप्त करना ताकि 2025 तक इसका उन्मूलन किया जा सके।
हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह तथा श्वास रोग से होने वाली मृत्यु को 2025 तक घटाकर 25 प्रतिशत करना।
नीति में आयुष प्रणाली के त्रिआयामी एकीकरण की परिकल्पना की गई है जिसमें क्रॉस रेफरल, सह स्थल तथा औषधियों की एकीकृत पद्धतियां शामिल है।
नीति में औषधियों तथा उपकरणों के लिए मेक इन इंडिया लागू करने की परिकल्पना भी की गई है।
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