संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत देश में संसद, विधानसभा, राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के चुनाव की देखरेख, निर्देशन व नियंत्रण का कार्य चुनाव आयोग को सौंपा गया है। अतः यह एक संवैधानिक निकाय है।
भारतीय निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गई थी।
आयोग की संरचना
संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार-
आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त होगा।
इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित संख्या में अन्य निर्वाचन आयुक्त होंगे।
राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की सलाह प्रादेशिक आयुक्तों की भी नियुक्ति कर सकता है।
इन सभी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
1989 तक एक अतिरिक्त चुनाव आयुक्त की व्यवस्था थी। इसके पश्चात 1989 से दो अन्य चुनाव आयुक्त की व्यवस्था राष्ट्रपति द्वारा की गई जिसे 1990 में फिर से एक चुनाव आयुक्त कर दिया गया। 1993 में एक बार फिर दो अन्य चुनाव आयुक्त की व्यवस्था की गई जो वर्तमान तक चली आ रही है।
आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त होगा।
इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित संख्या में अन्य निर्वाचन आयुक्त होंगे।
राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की सलाह प्रादेशिक आयुक्तों की भी नियुक्ति कर सकता है।
इन सभी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
1989 तक एक अतिरिक्त चुनाव आयुक्त की व्यवस्था थी। इसके पश्चात 1989 से दो अन्य चुनाव आयुक्त की व्यवस्था राष्ट्रपति द्वारा की गई जिसे 1990 में फिर से एक चुनाव आयुक्त कर दिया गया। 1993 में एक बार फिर दो अन्य चुनाव आयुक्त की व्यवस्था की गई जो वर्तमान तक चली आ रही है।
निर्वाचन आयुक्तों की सेवा शर्तों तथा कार्यकाल का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल निश्चित है।
सभी चुनाव आयुक्त 6 वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक अपने पद पर बने रह सकते हैं
मुख्य निर्वाचन आयुक्त को केवल संसद द्वारा महाभियोग के माध्यम से हटाया जा सकता है।
चुनाव आयोग की शक्तियां एवं कार्य
मतदाता का पंजीकरण करना।
चुनावों के लिए योग्य मतदाताओं की नामावली तैयार करना।
चुनाव के लिए तिथि तथा समय अधिसूचित करना।
चुनावी दलों को मान्यता प्रदान करना व चुनाव चिन्ह आवंटित करना।
आचार संहिता का निर्धारण करना।
चुनावों से संबंधित विभिन्न मामलों के निस्तारण के लिए न्यायालय के रूप में कार्य करना।
चुनाव के दौरान अनियमितता के मामले में उन्हें रद्द कर दोबारा चुनाव करना।
संसद तथा विधान मंडल के सदस्यों की अयोग्यता के संबंध में राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को सलाह देना।
चुनावों को सफलतापूर्वक आयोजित कराने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति करना।
चुनावों के लिए योग्य मतदाताओं की नामावली तैयार करना।
चुनाव के लिए तिथि तथा समय अधिसूचित करना।
चुनावी दलों को मान्यता प्रदान करना व चुनाव चिन्ह आवंटित करना।
आचार संहिता का निर्धारण करना।
चुनावों से संबंधित विभिन्न मामलों के निस्तारण के लिए न्यायालय के रूप में कार्य करना।
चुनाव के दौरान अनियमितता के मामले में उन्हें रद्द कर दोबारा चुनाव करना।
संसद तथा विधान मंडल के सदस्यों की अयोग्यता के संबंध में राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को सलाह देना।
चुनावों को सफलतापूर्वक आयोजित कराने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति करना।
राजनीतिक दल को प्रांतीय दल का दर्जा-
वह निम्नलिखित में से कोई एक शर्त पूरी करता है-
किसी आम चुनाव में या विधानसभा चुनाव में उस दल ने राज्य विधानसभा की 3 प्रतिशत सीटों (कम से कम तीन सीटों) पर चुनाव जीता हो।
लोकसभा या विधानसभा के किसी आम चुनाव में उस राजनीतिक दल ने उस राज्य के हिस्से की प्रति 25 लोकसभा सीटों पर एक लोकसभा सीट जीती हो।
लोकसभा या विधानसभा के किसी आम चुनाव में किसी राज्य में उस राजनीतिक दल को कम से कम 6 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हों। इसके अलावा उस दल ने उस राज्य से एक लोकसभा सीट या 2 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीता हो।
लोकसभा या विधानसभा के किसी आम चुनाव में उस राजनीतिक दल को उस राज्य में 8 प्रतिशत मत मिले हों।
राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल का दर्जा
उस राजनीतिक दल को तीन अलग-अलग राज्यों की लोकसभा (11 सीटों) की 2 प्रतिशत सीटें प्राप्त हुई हों।
लोकसभा या विधानसभा के किसी आम चुनाव में उस राजनीतिक दल को 4 राज्यों के कुल मतों में से 6 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हों और उसने लोकसभा की 4 सीटें जीती हों।
किसी राजनीतिक दल को 4 या अधिक राज्यों में राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त हो।
राज्य निर्वाचन आयोग
प्रत्येक संघ अथवा राज्य क्षेत्र के लिए संविधान में 73वें तथा 74 वें संशोधन द्वारा एक राज्य निर्वाचन आयोग की गठन किया गया है।
यह भारत निर्वाचन आयोग के नियंत्रण से मुक्त संस्था है।
राजस्थान में अनुच्छेद 243 K के तहत जुलाई 1994 में राज्य निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई।
राज्य में होने वाले पंचायत एवं निगम चुनाव का कार्य राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है।
राज्य निर्वाचन आयोग कि सहायता राज्य सरकार की सलाह पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा नियुक्त मुख्य चुनाव अधिकारी करते हैं।
जिला स्तर पर यह कार्य जिलाधीश द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में किया जाता है।
अपनी स्थापना के बाद से राज्य निर्वाचन आयोग कुल 5 पंचायती चुनाव आयोजित करवा चुका है जिनमें से अंतिम 2015 में आयोजित हुए थे।
वर्तमान में चुनाव देने के लिए न्यूनतम आयु को 21 वे संविधान संशोधन 1988 में 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया है।
वर्तमान में श्री ओम प्रकाश रावत देश के मुख्य चुनाव आयुक्त है।
वर्तमान में श्री पी एस मेहरा राजस्थान के राज्य निर्वाचन आयुक्त हैं
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