कृषि विपणन
कृषको को उनकी उपज का उचित मुल्य दिलवाने के लिए तथा मंडियों के प्रबंधन हेतु राज्य में अलग से कृषि विपणन निदेशालय की स्थापना की गई है।
राजीव गांधी कृषक साथी योजना
इस योजना के अंतर्गत किसानों/ खेतीहर मजदूरों तथा हम्मालों को कृषि कार्य के दौरान कार्यस्थल पर होने वाली दुर्घटना वश मृत्यु के लिए सरकार की तरफ से दो लाख रुपयों की सहायता राशि प्रदान की जाती है।
किसान कलेवा योजना
यह योजना राज्य सरकार द्वारा राज्य की सुपर अ तथा ब श्रेणी की मंडियों में शुरू की गई है।
इसके अंतर्गत इन मंडियों में अपनी उपज को विक्रय के लिए आने वाले किसानों को गुणवत्ता युक्त भोजन उचित अनुदानित दरों पर उपलब्ध कराया जाता है।
महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना-
श्रमिकों के कल्याण वाली इस योजना की शुरुआत 2015 में की गई थी। इस योजना की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार से है-
प्रसूति सहायता-
योजना के अंतर्गत अनुज्ञप्ति धारित महिला श्रमिक को दो प्रसूति के दौरान 45 दिन का अकुशल श्रमिक के लिए निर्धारित प्रचलित मजदूरी दर पर राशि का भुगतान दिया जा रहा है।
इसी तरह पुरुष श्रमिक को नवजात शिशु के जन्म पर 15 दिन का एक कुशल श्रमिक के लिए निर्धारित प्रचलित मजदूरी दर पर राशि का भुगतान किया जा रहा है।
विवाह के लिए सहायता-
इसके अंतर्गत अनुज्ञप्तिधारी महिला श्रमिक को अधिकतम दो पुत्रियों के लिए विवाह हेतु प्रति पुत्री ₹50000 की सहायता दे होगी।
मेधावी छात्र पुरस्कार योजना-
इस योजना के अंतर्गत मंडी में कार्यरत श्रमिक के पुत्र व पुत्री को 60% से अधिक अंक प्राप्त करने पर छात्रवृत्ति देय होगी।
चिकित्सा सहायता -
श्रमिकों को गंभीर बीमारी से ग्रसित होने पर अस्पताल में भर्ती रहने पर अधिकतम ₹20000 तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
जल संसाधन
स्वतंत्रता के समय राज्य में केवल 4 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा मौजूद थी जो 2016 17 में बढ़कर 38.49 लाख हैक्टेयर हो चुकी है।
वर्तमान समय में निर्माणाधीन महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं में तीन वृहद परियोजनाओं, सात मध्यम परियोजनाओं तथा 49 लघु परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है।
इसके अतिरिक्त गंग नहर के आधुनिकीकरण का कार्य भी किया जा रहा है।
परवन सिंचाई एवं बहुउद्देशीय परियोजना-
यह परियोजना झालावाड़ जिले के ग्राम अकावद कला खानपुर के निकट काली सिंध की सहायक परवन नदी पर प्रस्तावित है।
योजना के प्रथम वह वित्तीय चरण के अंतर्गत झालावाड़ कोटा तथा बारां जिले के क्रमशः 313 जिलो की 1,31,400 तथा 324 जिलों की 70,000 हैक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके अतिरिक्त उपरोक्त जिलों के 1821 गांवों की आबादी को पेयजल उपलब्ध कराना भी इसी योजना के अंतर्गत शामिल है।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना-
यह राजस्थान की नदियों को जोड़ने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।
इसके अंतर्गत दक्षिण पूर्वी राजस्थान की पार्वती, कालीसिंध, मेज तथा चाकण जैसी नदियों के वर्षा के समय अतिरिक्त जल को बनास, मोरेन, बाणगंगा तथा गंभीरी जैसी नदियों के बेसिन में स्थानांतरित करने की योजना है।
राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार योजना
योजना का उद्देश्य राजस्थान में स्थित नहरों तथा बांधों की स्थिति में सुधार करते हुए जल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है।
इसके अंतर्गत जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी से वित्तीय सहायता भी ली जा रही है।
इसमें राज्य के 25 जिलो की 137 योजनाएं सम्मिलित की गई है।
यूरोपीय यूनियन राज्य सहभागिता कार्यक्रम-
यूरोपीय कमीशन के द्वारा अनुदानित यह कार्यक्रम राज्य के जल क्षेत्र में नीति आधारित सुधारो हेतु एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जिसका उद्देश्य पंचायती राज संस्थानों को जल प्रबंधन में सक्षम बनाना है।
एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन के अंतर्गत 26 गैर सरकारी संगठनों का चयन किया गया है जिनके द्वारा चयनित 11 जिलो में 82 ब्लॉक की 3182 ग्राम पंचायतों के स्तर पर प्रशिक्षण कार्य किए जा रहे हैं।
इस योजना के लिए यूरोपियन कमीशन द्वारा 450 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया है
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