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Thursday, May 17, 2018

राजस्थान आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 भाग 5/मूल्य एवम् सार्वजनिक वितरण प्रणाली/economic review of rajasthan part 5


मुल्य सूचकांक वस्तु अथवा सेवाओं के मुल्य स्तर में, निश्चित समय एवं क्षेत्र के आधार पर, आए सापेक्ष परिवर्तन को मापने की महत्वपूर्ण सांख्यिकी विधा है।

राजस्थान में आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय के द्वारा वर्ष 1957 से साप्ताहिक आधार पर आवश्यक वस्तुओं के थोक एवं खुदरा भावों का राज्य के चयनित केंद्रों से नियमित संग्रहण किया जाता है।

राजस्थान का थोक मुल्य सूचकांक (WPI)

आधार वर्ष 1999-2000=100 

यह सूचकांक सरकार की व्यापार, राजस्व, मौद्रिक एवं अन्य आर्थिक नीतियों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण निर्धारक के रूप में कार्य करता है।
इसे मासिक आधार पर जारी किया जाता है।

इसमें कुल 154 वस्तुओं को सम्मिलित किया गया है जिसका वर्णन निम्न प्रकार है-

प्राथमिक वस्तु समूह -    75
विनिर्मित उत्पाद समूह-  69
ईंधन एवं ऊर्जा समूह -   10

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)-

देश में चार प्रकार के उपभोक्ता मुल्य सूचकांक प्रतिमाह तैयार किए जाते हैं-

औद्योगिक श्रमिकों हेतु
कृषि श्रमिकों हेतु
ग्रामीण श्रमिकों हेतु
ग्रामीण एवं शहरी हेतु

प्रथम तीन प्रकार के सूचकांक श्रम ब्यूरो शिमला तथा तथा अंतिम सूचकांक केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सी एस ओ) नई दिल्ली द्वारा तैयार किया जाता है

औद्योगिक श्रमिकों हेतु उपभोक्ता मुल्य सूचकांक

आधार वर्ष  2001=100
इसके लक्षित समूह में कारखाने, खनन, वृक्षारोपण मोटर परिवहन, पोत, रेलवे एवं विद्युत क्षेत्र में नियोजित श्रमिक शामिल हैं।
इसके देश भर में कुल 78 चयनित केंद्र हैं जिनमें से तीन राज्य के जयपुर, अजमेर व भीलवाड़ा केंद्र सम्मिलित हैं।

कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-

आधार वर्ष 1986-1987 =100

ग्रामीण श्रमिकों के लिए उपभोक्‍ता मूलय सूचकांक

आधार 1986-1987= 100

सामान्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक:  ग्रामीण शहरी एवं संयुक्त-

आधार वर्ष 2012=100

उपभोक्ता मामलात निदेशालय

इस की स्थापना 26 सितंबर 2013 को की गई थी।
विभाग का उदेश्य उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान हेतु सभी उपभोक्ता मंचों, राज्य आयोग, माप तोल विभाग आदि को एक ही छत के नीचे लाना है।
वर्तमान में राज्य स्तरीय उपभोक्ता हेल्पलाइन द्वारा 40,000 से अधिक परिवादों का निस्तारण किया जा चुका है।
लगभग 1000 माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालयों 33 महाविद्यालयों में उपभोक्ता क्लब शुरु किए गए हैं।

राजस्थान राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम-

इस की स्थापना कंपनी अधिनियम 1956 के तहत वर्ष 2010 में की गई थी।
निगम की अधिकृत पूंजी 100 करोड रुपए तथा वर्तमान प्रदत्त कुंजी 50 करोड़ रुपए हैं।
निगम के मुख्य उद्देश्य-
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की वस्तु का प्रभावी व सुगमता से खरीद व वितरण सुनिश्चित करना।
भारतीय खाद्य निगम से आवंटित अनाज को उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाना।
भंडारण सुविधाएं उपलब्ध करवाना।
बाजार में हस्तक्षेप कर आवश्यक वस्तुएं उचित मूल्य पर उपलब्ध करवाना।
गेहूं एवं चीनी के थोक व्यापारी तथा गेहूं की विकेंन्द्रीकृत खरीद के लिए राज्य की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करना।

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