राजस्थान लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2011/rajasthan lok seva guarantee act 2011/ Rajasthan Guaranteed Delivery of Public Services Act, 2011
लोक सेवा कानूनों के अंतर्गत वे वैधानिक कानून शामिल है जो सरकार द्वारा नागरिको को प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं के समयबद्ध वितरण की गारंटी प्रदान करते है। इसके साथ ही समयबद्ध तरीके से सेवाओं का वितरण नहीं होने पर सरकारी मुलाजिमों को दण्डित करने के लिए तंत्र भी प्रदान करते है।
इन कानूनों का प्रमुख उद्देश्य सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता तथा जवाबदेही को बढ़ाना एवं भ्रष्टाचार में कमी लाना है।
देश में मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य था जिसने 18 अगस्त 2010 को सेवा का अधिकार अधिनियम पारित किया था।
राजस्थान में लोक सेवा गारंटी अधिनियम दिनांक 14 नवम्बर 2011 को लागू किया गया था। राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने अधिनियम के उल्लंघन पर दंड सम्बन्धी प्रावधान रखे है।
अधिनियम के प्रमुख प्रावधान-
इस अधिनियम के अंतर्गत 15 विभागों की 108 सेवाओं को शामिल किया गया है जिसमे बिजली, जलदाय, स्वास्थय, नगर निगम, पंचायती राज जैसी सेवाएं शामिल है।
इसके अंतर्गत प्रत्येक अनुसूचित विभाग एक कार्मिक की नियुक्ति करेगा जो अधिनियम के अंतर्गत शिकायतों को लेने के लिए उत्तरदायी होगा।
अधिकृत कर्मचारी आवेदक को लिखित में अभिस्वीकृति देगा तथा आवश्यक दस्तावेज सलग्न होने पर नियत समय सीमा का उल्लेख भी करेगा।
यदि आवश्यक दस्तावेज सलग्न नहीं है तो इसका उल्लेख अभीस्वीकृति में किया जाएगा तथा नियत समय सीमा नहीं दी जाएगी।
सेवा नियत समय सीमा में उपलब्ध कराई जाएगी तथा सेवा में विलम्ब या नहीं मिलने की दशा में पदाभिहित अधिकारी कारणों का स्पष्ट उल्लेख करेगा, अपील के लिए समयवधि तथा अपील अधिकारी की भी जानकारी देगा।
नियत समय सीमा की गणना करते समय लोक अवकाशों को शामिल नहीं किया जायेगा।
पदाभिहित अधिकारी अनिवार्य रूप से जनता की जानकारी के लिए नोटिस बोर्ड पर सेवाओं से सम्बंधित सभी सुसंगत जानकारियों का प्रदर्शन करेगा। इसमें सेवा के लिए समस्त आवश्यक दस्तावेजों का भी उल्लेख होगा।
प्रथम अपील, द्वितीय अपील तथा पुनरीक्षण आवदेन के साथ कोई फीस देय नहीं होगी।
प्रार्थी नियत समय सीमा की समाप्ति के तीस दिनों के भीतर प्रथम अपील अधिकारी को अपील कर सकेगा। प्रथम अपील अधिकारी या तो सम्बंधित पदाभिहित अधिकारी को सेवा प्रदान करने का आदेश देगा या फिर अपील को नामंजूर कर देगा।
प्रथम अपील अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध ऐसे निर्णय की तारीख से साठ दिनों के भीतर द्वितीय अपील अधिकारी को अपील की जा सकेगी।
शास्ति अथवा दंड -
जहा द्वितीय अपील अधिकारी की यह राय हो की पदाभिहित अधिकारी वांछित सेवा प्रदान करने में पर्याप्त कारणों से विफल रहा है तो वह पांचसौ से अधिक तथा पांच हजार रूपये से कम की शास्ति अधिरोपित कर सकेगा।
जहा द्वितीय अपील अधिकारी की यह राय हो की पदाभिहित अधिकारी ने वांछित सेवा प्रदान करने में पर्याप्त कारणों से विलम्ब किया है तो वह दो सौ पचास रूपये प्रतिदिन की दर से शास्ति अधिरोपित कर सकता है जिसकी अधिकतम सीमा पांच हजार रूपये होगी।
जहा द्वितीय अपील अधिकारी की यह राय हो की प्रथम अपील अधिकारी नियत समय सीमा के भीतर अपील का विनिश्चय करने में पर्याप्त कारणों से विफल रहा है तो वह पांचसौ से अधिक तथा पांच हजार रूपये से कम की शास्ति अधिरोपित कर सकेगा।
इस राशि को द्वितीय अपील अधिकारी के आदेशानुसार प्रार्थी को प्रतिकर के रूप में दिया जा सकता है।
अधिनियम का वर्तमान स्वरुप तथा कमियाँ -
अधिनियम को लागू हुए लगभग सात वर्ष बीत चुके है लेकिन अभी तक यह पूरी तरह से प्रभावी नहीं हुआ है।
अधिनियम में 15 विभागों की सिर्फ 108 सेवाए शामिल है। अन्य सेवाएं इस अधिनियम में शामिल नहीं है।
अधिकतर मामलो में विभागीय अधिकारी ही अपील अधिकारी होते है जिसकी वजह से दोषी अधिकारी पर उचित कार्यवाही नहीं हो पाती है।
कानून में प्रथम व द्वितीय अपील का प्रावधान है लेकिन ज्यादातर लोगो को इसकी जानकारी नहीं है।
प्रशासनिक सुधार व समन्वय विभाग के अनुसार अब तक एक दो मामलो में ही दोषियों को दंड मिला है जो की अधिनियम की विफलता को साफ़ दर्शाता है।
लोक सेवा कानूनों के अंतर्गत वे वैधानिक कानून शामिल है जो सरकार द्वारा नागरिको को प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं के समयबद्ध वितरण की गारंटी प्रदान करते है। इसके साथ ही समयबद्ध तरीके से सेवाओं का वितरण नहीं होने पर सरकारी मुलाजिमों को दण्डित करने के लिए तंत्र भी प्रदान करते है।
इन कानूनों का प्रमुख उद्देश्य सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता तथा जवाबदेही को बढ़ाना एवं भ्रष्टाचार में कमी लाना है।
देश में मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य था जिसने 18 अगस्त 2010 को सेवा का अधिकार अधिनियम पारित किया था।
राजस्थान में लोक सेवा गारंटी अधिनियम दिनांक 14 नवम्बर 2011 को लागू किया गया था। राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने अधिनियम के उल्लंघन पर दंड सम्बन्धी प्रावधान रखे है।
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अधिनियम के प्रमुख प्रावधान-
इस अधिनियम के अंतर्गत 15 विभागों की 108 सेवाओं को शामिल किया गया है जिसमे बिजली, जलदाय, स्वास्थय, नगर निगम, पंचायती राज जैसी सेवाएं शामिल है।
इसके अंतर्गत प्रत्येक अनुसूचित विभाग एक कार्मिक की नियुक्ति करेगा जो अधिनियम के अंतर्गत शिकायतों को लेने के लिए उत्तरदायी होगा।
अधिकृत कर्मचारी आवेदक को लिखित में अभिस्वीकृति देगा तथा आवश्यक दस्तावेज सलग्न होने पर नियत समय सीमा का उल्लेख भी करेगा।
यदि आवश्यक दस्तावेज सलग्न नहीं है तो इसका उल्लेख अभीस्वीकृति में किया जाएगा तथा नियत समय सीमा नहीं दी जाएगी।
सेवा नियत समय सीमा में उपलब्ध कराई जाएगी तथा सेवा में विलम्ब या नहीं मिलने की दशा में पदाभिहित अधिकारी कारणों का स्पष्ट उल्लेख करेगा, अपील के लिए समयवधि तथा अपील अधिकारी की भी जानकारी देगा।
नियत समय सीमा की गणना करते समय लोक अवकाशों को शामिल नहीं किया जायेगा।
पदाभिहित अधिकारी अनिवार्य रूप से जनता की जानकारी के लिए नोटिस बोर्ड पर सेवाओं से सम्बंधित सभी सुसंगत जानकारियों का प्रदर्शन करेगा। इसमें सेवा के लिए समस्त आवश्यक दस्तावेजों का भी उल्लेख होगा।
प्रथम अपील, द्वितीय अपील तथा पुनरीक्षण आवदेन के साथ कोई फीस देय नहीं होगी।
प्रार्थी नियत समय सीमा की समाप्ति के तीस दिनों के भीतर प्रथम अपील अधिकारी को अपील कर सकेगा। प्रथम अपील अधिकारी या तो सम्बंधित पदाभिहित अधिकारी को सेवा प्रदान करने का आदेश देगा या फिर अपील को नामंजूर कर देगा।
प्रथम अपील अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध ऐसे निर्णय की तारीख से साठ दिनों के भीतर द्वितीय अपील अधिकारी को अपील की जा सकेगी।
शास्ति अथवा दंड -
जहा द्वितीय अपील अधिकारी की यह राय हो की पदाभिहित अधिकारी वांछित सेवा प्रदान करने में पर्याप्त कारणों से विफल रहा है तो वह पांचसौ से अधिक तथा पांच हजार रूपये से कम की शास्ति अधिरोपित कर सकेगा।
जहा द्वितीय अपील अधिकारी की यह राय हो की पदाभिहित अधिकारी ने वांछित सेवा प्रदान करने में पर्याप्त कारणों से विलम्ब किया है तो वह दो सौ पचास रूपये प्रतिदिन की दर से शास्ति अधिरोपित कर सकता है जिसकी अधिकतम सीमा पांच हजार रूपये होगी।
जहा द्वितीय अपील अधिकारी की यह राय हो की प्रथम अपील अधिकारी नियत समय सीमा के भीतर अपील का विनिश्चय करने में पर्याप्त कारणों से विफल रहा है तो वह पांचसौ से अधिक तथा पांच हजार रूपये से कम की शास्ति अधिरोपित कर सकेगा।
इस राशि को द्वितीय अपील अधिकारी के आदेशानुसार प्रार्थी को प्रतिकर के रूप में दिया जा सकता है।
अधिनियम का वर्तमान स्वरुप तथा कमियाँ -
अधिनियम को लागू हुए लगभग सात वर्ष बीत चुके है लेकिन अभी तक यह पूरी तरह से प्रभावी नहीं हुआ है।
अधिनियम में 15 विभागों की सिर्फ 108 सेवाए शामिल है। अन्य सेवाएं इस अधिनियम में शामिल नहीं है।
अधिकतर मामलो में विभागीय अधिकारी ही अपील अधिकारी होते है जिसकी वजह से दोषी अधिकारी पर उचित कार्यवाही नहीं हो पाती है।
कानून में प्रथम व द्वितीय अपील का प्रावधान है लेकिन ज्यादातर लोगो को इसकी जानकारी नहीं है।
प्रशासनिक सुधार व समन्वय विभाग के अनुसार अब तक एक दो मामलो में ही दोषियों को दंड मिला है जो की अधिनियम की विफलता को साफ़ दर्शाता है।
शिकायत करने वालो को दबा दिया छाता है या छुप करा देते है
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