बुद्धि के सिद्धान्त भाग 2 /theories of intelligence part 2 /RAS Mains Paper 3
बुद्धि के कई सिद्धान्त प्रतिपादित किए गए हैं जिनमें से निम्न पर हम इस भाग में चर्चा करेंगे-
गिलफोर्ड का त्रिविमीय सिद्वान्त
कैटल का तरल व ठोस सिद्धान्त
थार्नडाइक का बहुतत्व का सिद्धान्त
गिलफोर्ड का त्रिविमीय सिद्वान्त- (Guilford's structure theory of intelligence)
गिलफोर्ड ने बुद्धि को एक त्रिविमीय संरचना के रूप में प्रस्तुत किया है जिसके तीन आयाम (3 डी स्ट्रक्चर ) उसके द्वारा बताये गए है।
इस सिद्धांत को बुद्धि का संरचनावादी सिद्धांत भी कहा जाता है।
बुद्धि के तीन आयाम निम्न प्रकार है -
1 . विषय वस्तु - व्यक्ति द्वारा सोचने चिंतन करने के लिए जिस सूचना सामग्री का प्रयोग किया जाता है उसे विषय वस्तु कहते है।
यह विषय वस्तु पांच प्रकार की होती है।
आकृतियात्मक दृश्यात्मक , संकेतात्मक , आकृतिजन्य श्रवनात्मक , भाषागत/शाब्दिक तथा व्यवहारगत।
2. संकिया - यह वह विधि अथवा प्रक्रिया है जिसके सहायता से विषय वस्तु का चिंतन मनन या विचार किया जाता है।
स्मृति, संज्ञान, अपसारी चिंतन, अभिसारी चिंतन तथा मूल्यांकन आदि संक्रिया के प्रमुख प्रकार है।
3. उत्पाद- बुद्धि द्वारा विषय वस्तु के विश्लेषण अर्थात संक्रिया से गुजरने के बाद परिणाम स्वरूप उत्पाद की प्राप्ति होती है।
उत्पाद छ प्रकार के होते है जिसमे वर्ग, सम्बन्ध, इकाई ,प्रणाली, रूपांतरण तथा अनुप्रयोग सम्मिलित है।
कैटल का तरल व ठोस सिद्धान्त (Cattell's theory of fluid and crystallized intelligence)
मूल रूप से इस अवधारणा का विकास रेमंड कैटल द्वारा किया गया था जिसका विस्तार बाद में उनके शिष्य जॉन एल हॉर्न द्वारा किया गया।
तरल बुद्धि - यह बुद्धि का जन्मजात एवं प्राकृतिक तत्त्व है जो की व्यक्ति के वंशानुक्रम द्वारा निर्धारित होता है तथा उसे नयी समस्याओ का बिना किसी पूर्व ज्ञान के हल निकालने की योग्यता देता है । यह बुद्धि सभी प्रकार की तार्किक समस्याओ को हल करने में सहायता करती है।
ठोस बुद्धि - यह तत्त्व व्यक्ति को पूर्व कौशल, ज्ञान तथा अनुभव जो की उसने वातावरण से अर्जित किये है उनका उपयोग करने की क्षमता प्रदान करता है। अनुभव पर आधारित होने के कारण समय के साथ व्यक्ति में इस बुद्धि का विकास होता है।
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हेब्ब का A व् B बुद्धि का सिद्धांत- (Hebb's theory of A and B intelligence)
इस सिद्धांत का प्रतिपादन हेब्ब ने अपनी पुस्तक द आर्गेनाईजेशन ऑफ़ बिहैवियर में 1949 में किया था।
इंटेलिजंस A - चाहे जानवर हो या मनुष्य, सिखने तथा पर्यावरण के अनुकूल होने के लिए यह एक बुनियादी तत्त्व है। इंटेलिजेंस A का निर्धारण जीन द्वारा होता है लेकिन इसका नियंत्रण केंद्रीय तंत्रिका तंत्र द्वारा होता है।
इंटेलिजेंस B- यह व्यक्ति की क्षमता का वह स्तर है जो की उसके व्यवहार में प्रकट होता है। यह जेनेटिक नहीं है तथा व्यक्ति की सीखने , सोचने तथा समस्याओ को सुलझाने जैसी क्रियाओ में प्रकट होती है। वस्तुतः यह आनुवंशिक सम्भावना तथा पर्यावरणीय अनुक्रिया का परिणाम है।
इससे आगे के सिद्धान्तो की चर्चा हम अगले भाग में करेंगे।
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