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Friday, February 23, 2018

राजस्थान काश्तकारी अधिनियम-1955 (भाग-3)/rajasthan kashtkari adhiniyam

राजस्थान काश्तकारी अधिनियम-1955 (भाग-3)/rajasthan kashtkari adhiniyam bhag-3/ Rajasthan Tenancy act 1955 Part 3
 
 
भाग 2 से आगे-
 
 
ग्राम सेवा अनुदान- ग्राम समुदाय के लिए या गाँव के प्रशासन की किसी सेवा के बदले लगान मुक्त अथवा लगान की दर पर या अन्य शर्तो पर सरकार द्वारा लिया गया अनुदान ग्राम सेवा अनुदान कहलाता है।
इस अनुदान का गृहिता ग्राम सेवक कहलाता है।
 
 
जमींदार- वह व्यक्ति जिसे जमींदारी प्रथा के अन्तर्गत राज्य के अन्तर्गत आने वाला कोई गांव या उसका कोई हिस्सा बन्दोबस्त के रूप मे देकर उसे अधिकार अभिलेख में दर्ज किया जाए, ऐसा व्यक्ति जमींदार कहलाता है।
 
 
नालबट- नालबट एक प्रकार का किराया है जो कि किसी व्यक्ति द्वारा किसी कुएं का पानी उपयोग में लेने के बदले उस कुएं के मालिक या स्वामी को अदा किया जाता है।
 
 
आसामी की कुल चार श्रेणियां होती है-
 
(क) खातेदार आसामी
(ख) मालिक
(ग) खुदकाश्त आसामी
(घ) गैर खातेदार आसामी
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भूमि जिसमें खातेदारी अधिकार लागू (प्रोद्भूत) नहीं हो सकते है-
 
  1. गोचर भूमि,
  2. नदी या तालाब के तल की कभी कभी कृषि में उपयोग आने वाली भूमि।
  3. सिंघाडा जैसी पैदावार वाली जलमग्न भूमि।
  4. अस्थायी कृषि के प्रयोग वाली भूमि।
  5. सरकारी स्वामित्व वाली बाग या उपवन भूमि।
  6. सार्वजनिक उपयोग हेतु प्राप्त की गई भूमि।
  7. अधिनियम पूर्व सैनिक पड़ाव हेतु नियत भूमि।
  8. रेलवे या नहर की सीमा बंध वाली भूमि
  9. शिक्षण संस्थायों की भूमि।
परन्तु सरकार चाहे तो ऐसी किसी भी भूमि को खातेदारी भूमि में बदल सकती है। (सक्षम अधिकारी- जिला कलेक्टर या ऊपर के अधिकारी)
 
अनुसूचित जाति तथा जनजाति के व्यक्ति की भूमि को स्वर्ण जाति के व्यक्ति को हस्तान्तरित नहीं किया जा सकता है।

 एक आसामी का उसके भूमि-क्षेत्र या उसके किसी भाग में से हित  निम्न  परिस्थितियों में समाप्त माना जायेगा -
(1) जब वह कोई व्यक्ति अधिनियम द्वारा निर्धारित उत्तराधिकारी छोड़े बिना मर जाता है। 
 
(2) जब कोई वयक्ति अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उसे समर्पण या परित्याग कर दे,
 
(3) उसकी भूमि राजस्थान भूमि अवाप्ति अधिनियम,1953 के अन्तर्गत अवाप्त कर ली जाए। 
 
(4) जबकि वह भूमि पर अधिपत्य से वंचित कर दिया गया हो। 
 
(5) जब वह इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार बेदखल कर दिया गया। 


(6 ) जब वह उसे इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार बेच दे या दान कर दे। 
 
(8) यदि वह कानून द्वारा मान्य परिपत्र प्राप्त किए बिना या कानूनी अधिकार बिना भारत से अन्यत्र स्थान विदेश चला जाये। 

इस प्रकार यह काश्तकारी  अधिनियम तीन भागो में पूर्ण हो गया है। 


RAJASTHAN KASHTKARI ADHINIYAM PART 1


RAJASTHAN KASHTKARI ADHINIYAM PART 2

 


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