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Saturday, February 10, 2018

अशोक की धम्म नीति/Ashoka's dhamma policy RAS mains & prelims

अशोक की धम्म नीति/Ashoka's dhamma policy/RAS mains & prelims
अशोक ने पितृवत शासन का परिचय देते हुए लोक कल्याण को राज्य का महत्वपूर्ण उद्देश्य बनाया। धम्म नीति का प्रतिपादन भी इसी का एक प्रमुख भाग था। अशोक ने अपने अभिषेक के आठवें वर्ष में लगभग 261 ईस्वी पूर्व में कलिंग पर आक्रमण किया जिसमें लगभग एक लाख लोग मारे गए व 1.5 लाख लोग बंदी बना लिए गए। इस भीषण नरसंहार को देख अशोक का मन द्रवित हो गया तथा उसने युद्ध नीति को त्याग कर धम्म को अपनाने की घोषणा की।
समाज के सभी अंगों को एकता के सूत्र में बांधने तथा प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए अशोक ने आचार विचारो की एक संहिता प्रस्तुत की जिसे अभिलेखों में धम्म कहा गया है।
 
धम्म के प्रमुख सिद्धान्त-
 
सहिष्णुता-
7,11 व 12 वें शिलालेख तथा दूसरे लघु शिलालेख में इसका उल्लेख है।
व्यक्तियो, विचारो,धर्मो,विश्वासों तथा भाषा संबंधी सहिष्णुता पर बल दिया।
गुरुओं का आदर , माता पिता की सेवा, दासों से उचित व्यवहार तथा वाक् संयम को अपनाने पर जोर दिया गया।
 
अहिंसा-
इसका उल्लेख 1 तथा 11वे शिलालेख व पांचवे स्तम्भ लेख में मिलता है।
युद्ध तथा हिंसा के माध्यम से विजय प्राप्ति का विरोध।
जीव हत्या का निषेध।
 

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लोक कल्याण-
सातवे स्तम्भ लेख व दूसरे शिलालेख में उल्लेखित है।
आम नागरिकों के कल्याण से सम्बन्धित कार्य।
वृक्षारोपण, सरायों,सड़को,सिचाई के साधनों व कुओं आदि का निर्माण इसमें सम्मिलित थे।
आडम्बरहीनता-
इसका उल्लेख नवे शिलालेख में किया है जिसके अंतर्गत विभिन्न अनुष्ठानों, यज्ञ आदि का निषेध किया गया है।
 
दूसरे स्तम्भ अभिलेख के अनुसार धम्म की परिभाषा-
 
"अपासिनवे बहुकयाते दया दाने सचे सोचये माधवे साधवे च"
 
अर्थ- प्रत्येक व्यक्ति पापो से दूर रहे, कल्याणकारी कार्य करे, दया,दान सत्य,पवित्रता तथा मृदुता का अवलंबन करें।
 
धम्म नीति का क्रियान्वयन-
 
 
अशोक ने युद्धनीति का परित्याग किया।
नौकरशाहों को तत्काल न्याय देने तथा लोकहित के कार्य करने हेतु पाबन्द किया।
सार्वजानिक निर्माण कार्य करवाये गए।
हिंसा पर प्रतिबन्ध तथा पशु बलि का निषेध।
समान नागरिक संहिता तथा दंड संहिता के सिद्धान्त का प्रतिपादन।
धम्म महामात्रो की नियुक्ति।
 
धम्म नीति का मूल्यांकन-
 
धम्म नीति के मूलभूत सिद्धान्त शुरू से ही भारतीय संस्कृति के भाग रहे है तथा वर्तमान में भी प्रासंगिक है। अशोक के बाद के शासकों ने भी इसे स्वीकार किया लेकिन इसे पूर्ण रूपेण लागू नहीं कर सके जिसके कई कारण थे। धम्म दुर्बल शासको, राजनितिक अनिश्चितता तथा सीमाओं की असुरक्षा के कारण फलीभूत नहीं हो सका। धम्म नीति का क्रियान्वयन केवल शांति काल में ही संभव है। इसके अतिरिक्त धम्म महामात्र जन कार्यो में हस्तक्षेप करने लगे।सामाजिक तनाव व संघर्ष भी बाधक बनकर उभरे।
हालाँकि धम्म नीति फलीभूत नहीं हो सकी लेकिन अशोक इस नीति के प्रतिपादन के लिए सराहना के पात्र है।

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