बुद्धि के सिद्धान्त भाग 1 /theories of intelligence part 1 /RAS Mains Paper 3
बुद्धि के कई सिद्धान्त प्रतिपादित किए गए हैं जिनमें से निम्न पर हम इस भाग में चर्चा करेंगे-
अल्फ्रेड बिने का एकतत्व का सिद्वान्त
स्पीयरमैन का द्वितत्व एवं त्रितत्व का सिद्धान्त
स्टर्नबर्ग का त्रितन्त्र का सिद्धान्त
अल्फ्रेड बिने का एकतत्व का सिद्वान्त-
सबसे प्राचीन इस सिद्धान्त के प्रतिपादक अल्फ्रेड बिने है।
इस सिद्धान्त का अन्य नाम 'निरंकुशता वादी सिद्धान्त' है क्योंकि इस सिद्धान्त के अनुसार विचार, निर्णय, कल्पना, तर्कशक्ति, चिंतन जैसी सभी मानसिक शक्तियाँ एक ही तत्व द्वारा निर्धारित होती है जिसे ही अल्फ्रेड बिने ने एक तत्त्व सिद्धांत के रूप में प्रतिपादित किया है।
इस सिद्धान्त का अन्य नाम 'निरंकुशता वादी सिद्धान्त' है क्योंकि इस सिद्धान्त के अनुसार विचार, निर्णय, कल्पना, तर्कशक्ति, चिंतन जैसी सभी मानसिक शक्तियाँ एक ही तत्व द्वारा निर्धारित होती है जिसे ही अल्फ्रेड बिने ने एक तत्त्व सिद्धांत के रूप में प्रतिपादित किया है।
इस तत्त्व के क्रियाशील होने पर ही व्यक्ति सफलता के शीर्ष तक पहुंच पता है क्योकि यही तत्त्व सभी क्रियाओ पर नियंत्रण का कार्य करता है।
स्पीयरमैन का द्वितत्व का सिद्धांत-
अल्फ्रेड बिने के विपरीत स्पीयरमैन बुद्धि के एक की जगह दो तत्वों को क्रियाशील मानते है जिन्हे उन्होंने सामान्य तत्त्व (General Element ) तथा विशिष्ट तत्त्व (Special Element ) नाम दिया है।
सामान्य तत्त्व (G तत्त्व)- यह बुद्धि का जन्मजात एवं प्राकृतिक तत्त्व है जो की सार्वभौमिक तत्त्व है तथा व्यक्ति के सभी सामान्य मानसिक कार्यो से प्रदर्शित होता है। किसी भी व्यक्ति में जितने अधिक G तत्त्व होते है वह उतना ही शीघ्र जीवन में सफलता को प्राप्त करता है।
विशिष्ट तत्त्व (S तत्त्व )- यह तत्त्व व्यक्ति की किसी विशेष योग्यता या गुणों के निर्धारण में भूमिका निभाता है। यह एक वातावरण से अर्जित तत्त्व है जिसकी मात्रा व प्रकृति भिन्न भिन्न लोगो में अलग अलग होती है। इस तत्त्व की वजह से व्यक्ति जीवन में किसी विशिष्ट क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने योग्य बनता है।
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स्पीयरमैन का त्रितत्व का सिद्धांत-
स्पीयरमैन ने अपने सिद्धांत में एक और तीसरे तत्त्व को जगह देने की कोशिश की जिसे उसने G तथा S तत्त्व के बीच का तत्त्व माना लेकिन इस सिद्धांत को मान्यता नहीं मिलने की वजह से उसने इस सिद्धांत को वापस ले लिया।
स्टर्नबर्ग का त्रितंत्र का सिद्धांत-
संज्ञानात्मक श्रेणी के वैज्ञानिक तथा जीन पियाजे से प्रभावित स्टर्नबर्ग ने बुद्धि के तीन तंत्रो का प्रतिपादन किया जो निम्न प्रकार से है -
सृजनात्मक बुद्धि- पूर्व अनुभव तथा पूर्व ज्ञान से विकसित होने वाली इस बुद्धि को अनुभवजन्य बुद्धि भी कहा जाता है। यह बुद्धि व्यक्ति में नवाचार तथा मौलिकता को बढ़ावा देती है जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति जीवन में नए नियमो व सिद्धांतो का निर्माण कर पाने में सक्षम हो पाता है।
संदर्भात्मक बुद्धि- यह एक प्रकार प्रकार की व्यवहारात्मक बुद्धि है जो की व्यक्ति की सूझबूझ तथा व्यवहार में दिखाई देती है। यह व्यक्ति के वातावरण के साथ समायोजन में सहायक होती है।
घटकीय बुद्धि - यह बुद्धि विश्लेषणात्मक कार्यो के संपादन में सहयोग करती है। इसकी सहायता से व्यक्ति तर्क वितर्क, वाद-विवाद, समस्याओ के समाधान व कार्यो के विभाजन जैसे कार्यो को कर पाने में सक्षम होता है।
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