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Monday, January 1, 2018

Hindi -Religious Reform movement (dharm sudhar)/ world history/धर्म सुधार आन्दोलन


धर्म सुधार आन्दोलन ( Religious Reform movement )


पुनर्जागरण के फलस्वरूप ईसाई जगत में व्याप्त अंधाविश्वासों तथा रुढ़िवादी कुरितियों के विरोध में एक जोरदार आन्दोलन की उत्पति हुई।
धर्म के साथ साथ राजनीतिक एवं सामाजिक रुप से भी यह आन्दोलन अति महत्वपूर्ण था।
इस समय रोमन कैथोलिक चर्च के प्रभाव में कमी होने लगी तथा एक नये चर्च प्रोटेस्टेंट का उदय हुआ। इसलिए यह आन्दोलन प्रोटेस्टेंट सुधार आन्दोलन भी कहलाता है।
इसी के साथ कैथोलिक धर्म में भी सुधारों की शुरुआत हुई।

आंदोलन के निर्माणकारी तथ्य

मध्यकाल में यूरोप में वास्तविक सत्ता चर्च के पोप तथा सामतों के हाथ में थी।
पोप स्वयं को ईसा मसीह का प्रतिनिधि बताकर सर्वोच्चता धारण किये हुए थे तथा ईसाई समाज के प्रमुख थे।
चर्च के रीति रिवाज घृणित तथा भ्रष्टाचार से परिपूर्ण थे जिन्होंने लोगों को जीवन से मृत्यु पर्यन्त बांध रखा था।
संस्कार नामक प्रथा के अन्तर्गत नाम संस्कार, पाप स्वीकार संस्कार तथा परम प्रसाद संस्कार तीन प्रथाएँ थी जिनमें चर्च के समक्ष प्रायश्चित करना पडता था।
संस्कारों की एवज में चर्च को ऊँची रकम का भुगतान करना पडता था।
इसके अतिरिक्त समाज में जादू टोने व अलौकिक सत्ता जैसे अंधाविश्वासों का भी बोलबाला था।
सजा के तौर पर लोगों की सम्पत्ति जब्त कर ली जाती थी या जिंदा जलाकर मौत की सजा दी जाती थी।

प्रोटेस्टेंट आन्दोलन

आंदोलन की शुरूआत जर्मनी के साधु मार्टिन लूथर द्वारा 1517 में कैथोलिक चर्च के विरोध के साथ हुई। यह एक अपूर्व कदम था जिसने ईसाई जगत में तहलका मचा दिया।
इसके फलस्वरूप लूथर को धर्म से बहिष्कृत कर दिया गया।
जर्मनी के शासक जो चर्च तथा सामंतो के प्रभाव से दबे थे, उन्होंने लूथर को समर्थन दिया तथा उसे एक स्वतंत्र चर्च की स्थापना में भी सहयोग मिला।
चर्च के पास करमुक्त अकूत सम्पति थी जिस पर शासको की नजर थी। इस धन का उपयोग कर वें अपनी राजनीतिक तथा सामरिक स्थिति को मजबूत कर सकते थे।
जर्मनी में विरोध को देखकर यूरोप के अन्य देशों में भी कैथोलिक चर्चों के विरोध ने प्रोटेस्टेंट आंदोलन को जन्म दिया।

कैथोलिक धर्म सुधार आन्दोलन-

प्रौटस्टेंट आन्दोलन के फलस्वरूप कैथोलिक समुदाय ने भी बदलते परिप्रेक्ष्य में सुधार की आवश्यकता को महसूस किया।
शुरूआत स्पेन से हुई जहाँ अभी भी कैथोलिक चर्च प्रभावशाली थे। इन्होंने जेसुइट नामक पुजारियों के संघ का निर्माण कर चर्च सुधार हेतु कार्य किया तथा विद्यालयों की भी स्थापना की।
हालांकि धर्म सुधार के नाम पर कई स्त्रियों को डायन बताकर जिंदा जलाया गया ।
इस दौरान आंतरिक कलह व युद्धो को बढ़ावा मिला। केवल फ्रांस में ही आठ धार्मिक युद्ध हुए जिनमें व्यापक नरसंहार हुआ।
धर्मसुधार आंदोलन ने यूरोप में निरंकुश राजतंत्र की स्थापना में भी सहयोग प्रदान किया।

Link for tutorial video

https://youtu.be/WuZJEf3dHLI


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