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Wednesday, January 31, 2018

प्रशासनिक विकास/ Administrative Development/ Prashasnik Vikas/ RAS Mains Paper 3

प्रशासनिक विकास/ Administrative Development/ Prashasnik Vikas/ RAS Mains Paper 3 
 
प्रशासनिक विकास के बारे में समझने से पहले हमें विकास प्रशासन की अवधारणा को समझना आवश्यक है। विकासशील देशो में विकास प्रशासन के अंतर्गत आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक तथा प्रशासनिक विकास को सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार प्रशासनिक विकास को विकास प्रशासन का एक भाग माना जाता है। 
 
प्रशासनिक विकास का अर्थ-
 
राज्य के निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रशासनिक व्यवस्था का विकास करना व उसे इस हेतु समर्थ व दक्ष बनाने की विभिन्न गतिविधियाँ प्रशासनिक विकास कहलाती है। इसके अंतर्गत प्रशासन में संगठन  से लेकर कार्यप्रणाली तक विभिन्न बदलाव कर उसे वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जाता है। 
 
विकास प्रशासन तथा प्रशासनिक विकास में प्रमुख अंतर-
 
  1. विकास प्रशासन के अंतर्गत राज्य के विकास कार्यो को प्रशासन अंजाम देता है जबकि प्रशासनिक विकास में स्वयं प्रशासन का विकास किया जाता है। 
  2. विकास प्रशासन के अंतर्गत सभी तरह का विकास शामिल है जबकि प्रशासनिक विकास इसका एक भाग है। 
  3. जनता के विकास का कार्य विकास प्रशासन के अंतर्गत आता है वही प्रशासनिक विकास का लक्ष्य केवल प्रशासन को कार्यकुशल बनाना होता है। 
 
प्रशासनिक विकास के प्रमुख साधन- 
 
  1. प्रशासन को समय समय पर वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराकर प्रशासन की संरचना, कार्यप्रणाली, संगठन व नीतियों में प्रशासनिक सुधार के माध्यम से इसका विकास किया जा सकता है। 
  2. प्रशासन में बदलाव के लिए नए नए तरीको का प्रयोग करते हुए नवाचार के माध्यम से भी प्रशासनिक विकास को किया जा सकता है। 
  3. विभिन्न  सामाजिक मूल्यों, संस्कृति, वातावरण, सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था आदि की भी प्रशासनिक विकास में योगदान रहता है। 
 
प्रशासनिक विकास का महत्व-
 
लोक प्रशासन में यह अत्यंत आवश्यक है की विकास प्रशासन के साथ साथ प्रशासनिक विकास पर भी जोर दिया जाए। विकास प्रशासन का सफल क्रियान्वन तभी संभव है जब इस कार्य हेतु एक कुशल व दक्ष प्रशासनिक व्यवस्था विद्यमान हो। लोक कल्याणकारी नीतियों का क्रियान्वन केवल मजबूत व समर्थ प्रशासनिक व्यवस्था के द्वारा ही संभव है। 
विकासशील देशो में निरंतर हो रहे बदलावों से तालमेल रखने के लिए यह आवश्यक है की हमारी प्रशासनिक व्यवस्था भी उसे के अनुरूप अपने आप में आवश्यक बदलाव करती रहें तथा अपनी कार्यशैली व व्यवहार में बदलाव करती रहें। प्रशासनिक विकास के द्वारा ही हम लोक कल्याणकारी राष्ट्र की अवधारणा को साकार कर सकते है।

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