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Friday, December 22, 2017

भारत शासन अधिनियम (मार्ले-मिन्टों सुधार)-1909/ bharat shashan adhiniyam-1909


    भारत सचिव मार्ले तथा वायसराय मिन्टों के समय लागू होने की वजह से इस अधिनियम को मार्ले-मिन्टों सुधार भी कहा जाता है।


प्रमुख कारण-

1906 में आगा खाँ के नेतृत्व में मुस्लिमों ने वायसराय से पृथक निर्वाचन प्रणाली की मांग की।
कांग्रेस द्वारा सुधारों मांग, अतिवादियों के प्रभाव को कम करने तथा नरम दल की संतुष्टि हेतु सुधारों की सहायता ली गई।

सुधारों की विशेषताएं-

केन्द्रीय एवं प्रान्तीय विधान परिषदों में निर्वाचित दस्यों की संख्या में वृद्धि की गई।
प्रान्तीय विधानसभा में निर्वाचित सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव से चुने जाते थे। ये सदस्य मिलकर केन्द्रीय विधान परिषद के सदस्यों को चुनते थे।
पहली बार मुस्लिमों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली की स्थापना की गई।
सदस्यों को प्रश्न पूछने, साधारण प्रश्नों पर मतदान तथा बहस करने तथा संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अधिकार दिया गया।
गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी में एक भारतीय सदस्य की नियुक्ति।


इन सुधारों के पीछे सरकार की मंशा नरम दल व गरम दल में फूट डालने तथा पृथक निर्वाचन से राष्ट्रीय एकता को नष्ट करने की थी। अधिनियम द्वारा अपनाई गई चुनाव प्रणाली अस्पष्ट थी।
भारत में आंशिक रूप से पहली बार निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत हुई तथा शासन मे भारतीयों को प्रतिनिधित्व मिला। हालाकिं स्वशासन के स्थान पर केवल निरंकुशता ही हाथ लगी जिसने देशवासियों का नाश कर दिया।

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