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Wednesday, November 8, 2017

गुरूत्वाकर्षण(Gravitation)

ब्रह्माण्ड में किसी निश्चित दूरी पर उपस्थित कोई भी दो पिण्डों के बीच सदैव एक आकर्षण बल  कार्य करता है। यदि यह बल पृथ्वी तथा अन्य किसी पिण्ड के बीच हो तो इसे गुरूत्व बल अथवा गुरुत्वाकर्षण बल कहते है।
इस बल की वजह से जो त्वरण उत्पन्न होता है उसे गुरुत्वीय त्वरण(g) कहते है। इसका मान 9.8 m/s2 होता है।
गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी की त्रिज्या तथा द्रव्यमान पर निर्भर करता है। यह गुरुत्वीय त्वरण वस्तु के आकार व द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है
 

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम-



''इस नियम के अनुसार किन्ही दो पिंडो के बीच कार्यरत आकर्षण बल दोनों पिंडो के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।''

यदि m1 तथा m2 द्रव्यमान वाले दो पिंड r दूरी पर स्थित है तो उनके बीच आकर्षण बल-
   यहा G सार्वत्रिक गुरूत्वाकर्षण नियंताक है।

गुरुत्वीय बल के मान में परिवर्तन-

  1. पृथ्वी की सतह पर g का मान सर्वाधिक होता है तथा ऊपर व नीचे की ओर जाने पर घटता है।
  2. g का मान R(पृथ्वी की त्रिज्या) के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है अत विषुवत रेखा पर R का मान ज्यादा होने की वजह से g का मान न्यूनतम तथा ध्रुवो पर R का मान कम होने की वजह से g का मान सबसे ज्यादा होता है।
  3. पृथ्वी की घूर्णन गति की वजह से प्रत्येक पिंड पर पृथ्वी के केंद्र से विपरीत दिशा में एक अपकेंद्रिय बल लगता है, अतः घूर्णन गति बढ़ने पर g का मान कम तथा घूर्णन गति घटने पर g का मान ज्यादा हो जाता है।
  4. पृथ्वी पर रखी वस्तु को भारहीन (g=0) करने के लिए पृथ्वी को 17 गुना अधिक गति से घूमना होगा।

भार (w ) -

हम जानते है कि  बल F = वस्तु का द्रव्यमान(m) x त्वरण (g ) = mg 
किसी पिंड पर गुरुत्वीय त्वरण की वजह से पृथ्वी के केंद्र की ओर लगने वाला यह बल ही वस्तु का भार होता है। भार का मात्रक न्यूटन होता है तथा यह एक सदिश राशि है। 
 

लिफ्ट में किसी वस्तु  का भार -

जब कोई लिफ्ट नीचे की ओर  जाती है तो उसमे उपस्थित पिंड का भार कम प्रतीत होता है। 
लिफ्ट के ऊपर की ओर जाने पर भार बढ़ा हुआ प्रतीत होता है। 
यदि लिफ्ट का तार टूट जाए तो वस्तु पर केवल गुरुत्वीय त्वरण कार्य करता है तथा वस्तु फ्री फॉल की स्थिति में होती है। तब वह पिंड भारहीनता की स्थिति में होता है। 
पृथ्वी के चारो ओर  परिक्रमण कर रहे अंतरिक्षयान में उपस्थित यात्री भी भारहीनता महसूस करते है। 
 
 

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