संचार हमेशा से प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण अंग रहा है। सम्प्रेषण अथवा संचार से तात्पर्य दो पक्षों के मध्य तथ्यों व विचारो के आदान प्रदान व आपसी समझ की प्रक्रिया से है।
थियो हेमेन -'' संचार एक व्यक्ति से दूसरे को सूचना अथवा जानकारी हस्तान्तरित करने की प्रक्रिया है। ''
प्रबंधन में संचार का महत्त्व-
- संगठन में संचार नियोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह संगठनात्मक आंकड़ों व सूचनाओ की उपलब्धि सुनिश्चित करता है।
- संगठन में अधिकारों व दायित्वों के निर्धारण तथा उनके सम्प्रेषण में सहायता करता है।
- सम्प्रेषण से निर्णय प्रकिया सरल व तीव्र गति से करने में सहायता मिलती है।
- कार्मिको तक संगठन के लक्ष्यों व नीतियों को पहुंचाने में संचार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- सशक्त संचार माध्यम उपस्थित होने पर कार्मिको में संगठन के प्रति लगाव बढ़ता है
संचार (सम्प्रेषण ) की विशेषताएं -
- यह दो पक्षों के मध्य संभव होता है। प्रेषक व प्रापक।
- इसके अंतर्गत सूचनाओ, आदेश निर्देश व आंकड़ों का संचार होता है।
- यह उर्ध्वगामी, अधोगामी अथवा क्षैतिज रूप में हो सकता है।
- यह विचारो व सूचनाओं के विनिमय की एक प्रकिया है ।
- संचार प्रबंधकीय कार्यो का आधार व उद्देश्य विशेष की पूर्ति के लिए किया जाता है।
संचार की प्रक्रिया -
संचार की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते है -
- प्रेषक (स्पीकर) - यह संचार की शुरुआत करता है
- सन्देश (मैसेज) - यह आदेश, निर्देश, तथ्य आदि रूपों में होता है
- माध्यम (मीडियम)- वाहक तत्त्व। लिखित, मौखिक या सांकेतिक।
- प्रापक (रिसीवर) - यह सन्देश को प्राप्त करता है।
- प्रतिक्रिया(फीडबैक)-यहा से विपरीत दिशा में संचार प्रारम्भ होता है।
संचार के प्रकार -
दिशा के आधार पर -
- अधोगामी संचार - उच्च स्तर से निम्न स्तर की ओर लक्ष्यों, नीतियों व आदेशों का प्रवाह।
- उर्ध्वगामी संचार - अधीनस्थों से उच्चस्थो की ओर संचार जिसमे कार्य निष्पादन, शिकायत, सुझाव आदि का प्रवाह होता है।
- समस्तरीय संचार - एक ही स्तर के समान अधिकारियो के मध्य संचार।
- विकर्णीय संचार- यह संगठन के किन्ही भी दो या अधिक कार्मिको के मध्य हो सकता है।
सम्बन्धो के आधार पर -
- औपचारिक संचार - यह एक निर्धारित पद्धति से होने वाला सम्प्रेषण है जो की कार्मिको के औपचारिक सम्बन्धो पर आधारित होता है।
- अनौपचारिक संचार - सामाजिक सम्बन्धो पर आधारित यह संचार गतिशील व लचीला होता है। ऐसे संचार का कोई निश्चित स्त्रोत नहीं होता है। इसकी वजह से संगठन में संघर्ष व विवाद की स्थिति भी पैदा हो जाती है।
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