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Tuesday, October 31, 2017

संस्कृत के उपसर्ग/ sanskrit ke upsarg

वे शब्दांश जो किसी मूल शब्द के पहले लगकर नये शब्द का निर्माण करते है, उन्हें उपसर्ग कहते है। स्वतंत्र रुप से इनका कोई अर्थ नहीं होता लेकिन किसी अन्य शब्द के साथ जुडकर ये अर्थ में विशेष परिवर्तन ला देते है।
संस्कृत में 22 उपसर्ग होते है।
  • उपसर्ग   अर्थ          
  1. अति    अधिक/परे     अत्यन्त, अतीव, अतीन्द्रिय, अत्यधिक, अत्युत्तम।
  2. अधि   मुख्य/श्रेष्ठ।     अधिकृत, अध्यक्ष, अधीक्षण, अध्यादेश, अधीन, अध्ययन, अध्यापक।
  3. अनु     पीछे/ समान    अनुज, अनुरूप, अन्वय, अन्वीक्षण, अनूदित, अन्वेक्षण, अनुच्छेद।
  4. अप     विपरीत/बुरा    अपव्यय, अपकर्ष, अपशकुन, अपेक्षा।
  5. अभि    पास/सामने     अभिभूत, अभ्युदय, अभ्यन्तर, अभ्यास, अभीप्सा, अभीष्ट।
  6. अव      बुरा/ हीन       अवज्ञा,अवतार, अवकाश, अवशेष।
  7. आ       तक/से          आघात, आगार, आगम, आमोद, आतप
  8. उत्       ऊपर/ श्रेष्ठ     उज्जवल, उदय, उत्तम, उद्धार, उच्छ्वास, उल्लेख।
  9. उप       समीप           उपवन, उपेक्षा, उपाधि, उपहार, उपाध्यक्ष।
  10. दुर्        बुरा/ कठिन    दुरूह, दुर्गुण, दुरवस्था, दुराशा, दुर्दशा।
  11. दुस्       बुरा/ कठिन    दुष्कर, दुस्साध्य, दुस्साहस, दुश्शासन।
  12. नि         बिना/विशेष    न्यून, न्याय, न्यास, निकर, निषेध, निषिद्ध।
  13. निर्        बिना/बाहर     निरामिष, निरवलम्ब, निर्धन, नीरोग, नीरस, नीरीह।
  14. निस्       बिना/बाहर     निश्छल, निष्काम, निष्फल,निस्सन्देह।
  15. प्र         आगे/अधिक    प्रयत्न, प्रारम्भ, प्रोज्जवल, प्रेत, प्राचार्य,प्रार्थी।
  16. परा       पीछे/अधिक    पराक्रम, पराविद्या, परावर्तन,पराकाष्ठा।
  17. परि       चारों ओर       पर्याप्त, पर्यटन, पर्यन्त, परिमाण, परिच्छेद,पर्यावरण।
  18. प्रति       प्रत्येक           प्रत्येक, प्रतीक्षा, प्रत्युत्तर, प्रत्याशा, प्रतीति।
  19. वि         विशेष/भिन्न     विलय, व्यर्थ, व्यवहार, व्यायाम,व्यंजन,व्याधि,व्यसन,व्यूह।
  20. सु         अच्छा/सरल    सुगन्ध, स्वागत, स्वल्प, सूक्ति, सुलभ।
  21. सम्       पूर्ण शुद्ध        संकल्प, संशय, संयोग, संलग्न, सन्तोष।
  22. अन्       नहीं/बुरा        अनुपम, अनन्य, अनीह, अनागत, अनुचित, अनुपयोगी।

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