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Wednesday, October 25, 2017

lok prabhandhan ke siddhant-ras mains in hindi/ लोक प्रबंधन के सिद्धांत- वैज्ञानिक प्रबंधन

  • 20 वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति की शुरआत के साथ ही प्रबंधन की वैज्ञानिक अवधारणा का जन्म हुआ।
  • इस शब्द का प्रथम प्रयोग 1910 में "लुइ ब्रेडीज" द्वारा किया गया था लेकिन फ्रेडरिक डब्ल्यू टेलर ने विस्तृत रूप से इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

अर्थ व परिभाषा-

  • वैज्ञानिक- विशिष्ट ज्ञान अथवा जानकारी    ।        प्रबंध- किसी कार्य को व्यवस्थित ढंग से करना।
  • टेलर के अनुसार- यह जानना की हम लोगो से क्या करवाना चाहते है तथा इसका निर्धारण करना की वे उस कार्य को किस तरह सरल सस्ते व उचित तरीके से कर सकते है, वैज्ञानिक प्रबंध कहलाता है।
  • प्रबंधन की वह विधि जिसमे उपलब्ध संसाधनों के उचित समन्वय के माध्यम से न्यूनतम लागत में अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जाता है, वैज्ञानिक प्रबंध कहलाती है।

विशेषताए-

  • 1. वैज्ञानिक विश्लेषण 2. नियमावली 3. गतिशील प्रकृति 4. वैज्ञानिक क्रियाविधि
  • 5. उतरदायित्व निर्धारण 6. प्रभावकारी नियंत्रण 7. निरन्तरता व मितव्यता।

उद्देश्य -

  • प्रशिक्षित व दक्ष मानव संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • कार्यप्रणाली व संसाधनों में आवश्यकतानुसार सुधार करना।
  • संस्थान के सभी अंगों में समन्वय व पर्याप्त नियंत्रण जिससे संभावित नुकसान यथा काम में विलम्ब, दुर्घटना आदि से बचा जा सके।
  • निरन्तर मार्गदर्शन व प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
  • श्रम व पूंजी में समन्वय स्थापित करना।

वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धान्त-

  1. कार्य अनुमान का सिद्धान्त- श्रमिक की योग्यता अनुसार उचित कार्य का निर्धारण
  2. प्रयोग- समय गति व थकान के अध्ययन हेतु प्रयोगों द्वारा श्रमिक में सुधार करने व उसकी कार्य कुशलता को बढ़ाने का प्रयास।
  3. चयन व प्रशिक्षण - वैज्ञानिक विधि का प्रयोग करते हुए कार्मिको के चयन व प्रशिक्षण की व्यवस्था करना जिससे संसाधनों का कुशलतम प्रयोग हो सके।
  4. आधुनिक व नवीनतम संसाधन- कार्मिको को कार्य की आवश्यकता के आधार पर अत्याधुनिक यंत्रो की उपलब्धता जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो सके।
  5. उपयुक्त वातावरण की उपलब्धता- स्वच्छ वायु, पेयजल, विश्रांति गृह, कार्य हेतु पर्याप्त स्थान उपलब्ध कराना जिससे श्रमिक अधिक कुशलता से कार्य कर सके।
  6. प्रेरणात्मक वेतन- कार्मिकों को उनकी योग्यता के अनुसार उपयुक्त व संतोषजनक वेतन देकर उन्हें प्रेरित किया जा सकता है।

वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत क्रियात्मक संगठन को महत्व दिया गया है। इसके अनुसार प्रत्येक व्याक्ति को उसकी योग्यता अनुसार एक विशेष कार्य सौंपा जाता है। इसके अतिरिक्त प्रशासको व अधीनस्थों के बीच अधिकाधिक व्यक्तिगत सम्पर्क होने पर जोर दिया जाता है।

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