किसी भी संस्था में बजट के माध्यम से मौद्रिक नियंत्रण करने को बजटरी नियंत्रण कहते है। संसाधन सीमित होने की स्थिति में प्रत्येक संस्था का यह प्रयास होता है कि कम से कम लागत में अधिकतम लाभ अर्जित किया जा सकें।
बजटरी नियंत्रण के उद्देश्य-
- नियोजन प्रकिया को व्यवस्थित रखना।
- उत्पादन की लागत को सीमित व नियंत्रित करना।
- संगठन में मितव्ययता तथा कार्य कुशलता को बढ़ावा देना।
- संसाधनों का कुशलतम उपयोग करते हुए लाभ को बढ़ाना।
नियंत्रण की प्रकिया-
- बजट केन्द्रों की स्थापना करना।
- बजट निर्माण हेतु उत्तरदायी कार्मिको का चयन करके उन्हें अधिकार व कार्य सौंपना।
- बजट निर्माण हेतु आवश्यक सूचना एवं साधन प्राप्ति हेतु आवश्यक प्रबंध करना।
- बजट के क्रियाशील स्तर का निर्धारण करना।
लाभ-
- संस्थान के संसाधनों का अधिकतम सदुपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।
- कार्मिको के अधिकार, कर्तव्य व दायित्वों को सुनिश्चित करके अधिकतम कार्य कुशलता को प्राप्त किया जा सकता है।
- मालिकों व कार्मिको के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण के निर्माण में सहायक होता है।
- बजटरी नियंत्रण सुव्यवस्थित नियोजन में सहायक होता है।
- यह व्यावसायिक कार्यो में स्थायित्व प्रदान करता है।
- इससे उत्पादन लागत में भी कमी होती है।
सीमाएँ -
बजटरी नियंत्रण की कुछ सीमाएं भी है जो निम्न प्रकार से है -
- इसकी सफलता कार्मिको की कार्यकुशलता व दक्षता पर निर्भर है।
- बजटरी नियंत्रण पूर्वानुमानो पर आधारित होता है तथा कई कारको यथा बाजार की स्थिति, सरकारी नीतियों आदि से प्रभावित होता है। इस वजह से कई बार निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
- यह केवल बड़े संस्थानों व औद्योगिक घरानो के लिए ही उपयोगी है , छोटे उद्योगों के लिए नहीं।
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