बिजोलिया किसान आंदोलन
- बिजोलिया जो की वर्तमान भीलवाड़ा जिले में स्थित है तत्कालीन मेवाड़ रियासत का ठिकाना था।
- बिजोलिया में किसान आंदोलन की शुरुआत 1897 AD में हुई थी।
- यह आंदोलन धाकड़ जाति के किसानो द्वारा शुरू किया गया था।
- आंदोलन के मुख्य कारण
१. 84 प्रकार के लाग बाग़ (कर)
२. लाटा कूंता कर (खेत में खड़ी फसल के आधार पर कर)
३. चवरी कर (किसान की बेटी की शादी पर), तलवार बंधाई कर (नए जागीरदार बनने पर)
- यह आंदोलन मुख्यत तीन चरणों में विभक्त था-
१. प्रथम चरण (1897 -1914 ) स्वतः स्फूर्त
- नेता- फतेहकरण चरण, ब्रह्मदेव, प्रेमचंद भील।
- बिजोलिया के ठाकुर किशनसिंह ने जनता पर कई तरह के कर लगा रखे थे। गिरधारीपुरा नामक एक गांव में मृत्युभोज के अवसर पर किसानो की सभा हुई। नानजी व ठाकरी पटेल को मेवाड़ महाराणा से मिलने भेजा गया लेकिन ये असफल रहे जिसकी वजह से इन्हे बिजोलिया निष्काषित कर दिया गया।
२. द्वितीय चरण (1914 -1923 ) विजय सिंह पथिक
- 1906 AD में पृथिवी सिंह ने जागीरदार बनने पर जनता पर तलवार बंधाई का कर लगा दिया। विजय सिंह पथिक इसी समय आंदोलन से जुड़े।
- 1917 AD में 'उपरमाल पंच बोर्ड' की स्थापना की गई व मुन्ना पटेल को इसका अध्यक्ष बनाया गया।
- मेवाड़ रियासत में बिंदुलाल महाचार्य की अध्यक्षता में आयोग गठित किया गया।
- AGG हॉलेंड के प्रयासों से किसानो व रियासत के बीच एक समझौता हुआ लेकिन ठिकाने ने इसे लागू नहीं किया।
- विजय सिंह पथिक ने इस आंदोलन के मुद्दे को कांग्रेस के अधिवेशन में उठाया।
३. तृतीय चरण (1923 -1941 ) जमनालाल बजाज
- तीसरे चरण में जमना लाल बजाज ने नेतृत्व संभाला एवं हरिभाऊ उपाध्याय को नियुक्त कर दिया।
- माणिक्यलाल वर्मा ने अपने 'पंछीड़ा' गीत से किसानो में जोश भर दिया।
- 1941 में रियासत व किसानो के समझौता हो गया एवं आंदोलन का अंत हो गया।
- यह सर्वाधिक समय (44 साल) तक चलने वाला एकमात्र अहिंसक आंदोलन था।
- इस आंदोलन की महिला नेत्रियो में अंजना देवी चौधरी, नारायण देवी वर्मा व रमा देवी प्रमुख थी।
- गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपने समाचार पत्र प्रताप में इस आंदोलन को प्रमुखता दी थी।
Acha matter h sir but apse
ReplyDeletewhat's aap ya YouTube se se kese jude
Nice sir
ReplyDeleteSadu Shitaram das ka kya samband tha aandolan se
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