जब दो या दो से अधिक पद मिलकर अपने बीच की विभक्तियों का लोप कर एक नया पद बनाते है तो उसे समास या सामासिक पद कहते है।
समास छः प्रकार के होते है-
1. अव्ययीभाव समास 2. तत्पुरुष समास
3. द्वंद्व समास 4. बहुब्रीहि समास
5. द्विगु समास। 6. कर्म धारय समास
1.अव्ययीभाव समास- पहला पद प्रधान होता है व अव्यय रूप में होता है। कई बार एक ही शब्द की पुनरावृत्ति होती है व दोनों शब्द मिलकर अव्यय के रूप में प्रयुक्त होते है।
उदाहरण-
यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार यथाविधि = विधि के अनुसार
प्रतिदिन = प्रत्येक दिन। प्रत्येक = हर एक / एक एक
रातो रात = रात ही रात में आमरण = मरने तक
बाकायदा = कायदे के अनुसार
2. तत्पुरुष समास- इसमें दूसरा पद प्रधान होता है तथा विभक्तियों का लोप होता है।
उदाहरण-
कृष्णार्पण = कृष्ण को अर्पण (कर्म तत्पुरुष)
प्राप्तोदक = उदक को प्राप्त
तुलसीकृत = तुलसी द्वारा कृत (करण तत्पुरुष)
दयार्द्र। = दया से आर्द्र
हवन-सामग्री = हवन के लिए सामग्री (सम्प्रदान तत्पुरुष)
विद्यालय = विद्या के लिए आलय
पदच्युत = पद से च्युत (अपादान तत्पुरुष)
पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट
राजमाता = राजा की माता (सम्बन्ध तत्पुरुष)
रामचरित = राम का चरित
वनवास। = वन में वास(अधिकरण तत्पुरुष)
घुड़सवार = घोड़े पर सवार
3. द्वंद्व समास- दोनों पद प्रधान होते है व प्रायः एक दूसरे के विलोम होते है। पदों के मध्य से और व या का लॉप होता है।
उदाहरण-
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य/ पाप या पुण्य
अन्न-जल = अन्न और जल
शीतोष्ण = शीत और उष्ण
समास छः प्रकार के होते है-
1. अव्ययीभाव समास 2. तत्पुरुष समास
3. द्वंद्व समास 4. बहुब्रीहि समास
5. द्विगु समास। 6. कर्म धारय समास
1.अव्ययीभाव समास- पहला पद प्रधान होता है व अव्यय रूप में होता है। कई बार एक ही शब्द की पुनरावृत्ति होती है व दोनों शब्द मिलकर अव्यय के रूप में प्रयुक्त होते है।
उदाहरण-
यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार यथाविधि = विधि के अनुसार
प्रतिदिन = प्रत्येक दिन। प्रत्येक = हर एक / एक एक
रातो रात = रात ही रात में आमरण = मरने तक
बाकायदा = कायदे के अनुसार
2. तत्पुरुष समास- इसमें दूसरा पद प्रधान होता है तथा विभक्तियों का लोप होता है।
उदाहरण-
कृष्णार्पण = कृष्ण को अर्पण (कर्म तत्पुरुष)
प्राप्तोदक = उदक को प्राप्त
तुलसीकृत = तुलसी द्वारा कृत (करण तत्पुरुष)
दयार्द्र। = दया से आर्द्र
हवन-सामग्री = हवन के लिए सामग्री (सम्प्रदान तत्पुरुष)
विद्यालय = विद्या के लिए आलय
पदच्युत = पद से च्युत (अपादान तत्पुरुष)
पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट
राजमाता = राजा की माता (सम्बन्ध तत्पुरुष)
रामचरित = राम का चरित
वनवास। = वन में वास(अधिकरण तत्पुरुष)
घुड़सवार = घोड़े पर सवार
3. द्वंद्व समास- दोनों पद प्रधान होते है व प्रायः एक दूसरे के विलोम होते है। पदों के मध्य से और व या का लॉप होता है।
उदाहरण-
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य/ पाप या पुण्य
अन्न-जल = अन्न और जल
शीतोष्ण = शीत और उष्ण
Here I found clear explanation about samas in Hindi vyakaran everything was clearly explained here. thank you for sharing this material
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