4. बहुब्रीहि समास- दोनों ही पदों की प्रधानता नहीं रहती है अपितु अन्य अर्थ की प्रधानता होती है1 विग्रह रूपी शब्दो में वाला है , जो, जिसका, जिसकी, आदि का प्रयोग होता है 1
उदहारण-
पीताम्बर = पीत अम्बर है जिसके वह (विष्णु)
गजानन = गज का आनन है जिसका वह (गणेश)
सुग्रीव = सुन्दर है ग्रीवा जिसकी वह
चक्रपाणि = चक्र है पाणी में जिसके वह
5. द्विगु समास- इस समास में पहला पद संख्यावाची होता है 1
दोनों पद मिलकर किसी समुह का बोध करते है1
उदाहरण-
सप्ताह = सात दिनों का समूह
पंचामृत = पांच अमृतो का समाहार
त्रिभुज = तीन भुजाओ का समाहार
नवरत्न = नो रत्नों का समाहार
6. कर्मधारय समास-इसमें पहला पद विशेषण होता है एवम दूसरा पद विशेष्य होता है 1 दोनों पदों के मध्य उपमान उपमेय का सम्बन्ध होता है1
उदहारण-
महापुरुष = महान है जो पुरुष
कुपुत्र = कुत्सित है जो पुत्र
घनश्याम = घन जैसा श्याम
क्रोधग्नि = क्रोध रूपी अग्नि
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