माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को हरियाणा में इस अभियान का शुभारम्भ किया गया। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में बाललिंगानुपात गिरकर चिंताजनक रूप से 918 पर आ चुका है , जो की निश्चित रूप से चिंता का विषय है। ऐसे में यह आवश्यक था की सरकार कुछ ठोस कदम उठाए। जैसा की योजना के नाम से ही पता चलता की यह कार्यक्रम मुख्य रूप से बालिका शिक्षा के साथ उनके संरक्षण पर जोर देता है। हरियाणा से शुरुआत करने का मुख्य उद्देश्य वहा देश का न्यूनतम लिंगानुपात होना है। आइए , इस योजना के कुछ मुख्य पहलुओ पर नजर डालते है-
- इसके अंतर्गत 2011 की जनगणना के अनुसार निम्न लिंगानुपात वाले 100 जिलो का चयन किया गया है। प्रत्येक राज्य में से कम से कम एक जिला चुना गया है।
- अभियान हेतु बजट में 100 करोड़ रूपये का प्रारम्भिक आवंटन किया गया है। इस धनराशि का उपयोग बालिकाओ के जीवन की सुरक्षा करना व उन्हें उचित शिक्षा प्राप्त करवाना है।
इस योजना के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार से है -
- चयनित जिलो में सालभर में जन्मलिंगनुपात में न्यूनतम 10 अंको का सुधार करना।
- पांच वर्ष से कम आयु की कम वजन व रक्त अल्पता से ग्रसित बालिकाओ के पोषण व स्वास्थय पर विशेष ध्यान देना।
- चयनित जिलो की प्रत्येक स्कूल में शौचालयों की व्यवस्था करना।
- माध्यमिक स्कूलों में बालिकाओ के नामांकन को 2017 तक 79 प्रतिशत तक लाना।
- बाल सुरक्षा कानून ( पास्को एक्ट ) 2012, को लागू कर बालिकाओ को यौन अपराधो के विरुद्ध सुरक्षित वातावरण प्रदान करना।
- बाल मृत्यु दर के अंतर को आठ अंको से कम करके चार अंको तक लाना।
उपरोक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने लिए यह आवश्यक है की जनता में जागरूकता के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रमों का सुचारू रूप से क्रियान्वन सुनिश्चित किया जाये तथा स्थानीय स्तर की संस्थाओ यथा पंचायतो को भी इसमें सम्मिलित किया जाये। उपरोक्त अभियान से सम्बंधित सभी कार्यक्रमो की रुपरेखा परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा तय की जाती है।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.